चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। रेडियो के पास बैठे हुए सभी बहनों व भाइयों को चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।
विकासः श्रोता दोस्तो, विकास का भी नमस्कार। बहुत खुशी के साथ आज हम फिर मिलते हैं आप का पत्र मिला कार्यक्रम में।
चंद्रिमाः विकास जी, क्या आप जानते हैं कि वर्ष 2011 के हमारे नये मोनिटर चुनाव का परिणाम आ गया है।
विकासः नये मोनिटर?जैसा मुझे पता है, हमारे पुराने मोनिटर तो आज़मी जी व दिपक कुमार दास थे। यह बदलाव किसलिए?
चंद्रिमाः क्योंकि हमारे बहुत सारे श्रोताओं ने हमें भेजे पत्र में सी.आर.आई. के मोनिटर बनने की इच्छा प्रकट की थी। हमने सोचा कि हर श्रोता के पास मोनिटर बनने का अधिकार होता है। और पुराने मोनिटरों का कार्यकाल भी बहुत लंबा हो गया था। इसलिए हमने नये श्रोताओं को मौका देना चाहा, ठीक है न?
विकासः आपने बिल्कुल ठीक कहा। सभी श्रोताओं का मौका मिलना चाहिए, पर नये मोनिटर कैसे चुने गये हैं?
चंद्रिमाः अच्छा, अब मैं आप और सभी श्रोताओं को यह बताऊंगी। सब से पहले हमने उन श्रोताओं के नाम इकट्ठे किये, जो हमेशा हमें डाक या ई-मेल से पत्र भेजते हैं। इस के बाद उन नामों का हमने लॉटरी निकाला। अंत में दो सौभाग्यशाली विजेताओं के नाम निकले ।
विकासः वाह, ये दो श्रोता कौन कौन हैं?
चंद्रिमाः वे हैं छत्तीसगढ़ के ग्रीन पीस डी-एक्स क्लब के अध्यक्ष चुन्नीलाल कैवर्त और नयी दिल्ली के हमारे श्रोता राम कुमार निरज।
विकासः अच्छा, पर चंद्रिमा जी इस बार मोनिटर का कार्यकाल कितना लंबा होगा?
चंद्रिमाः श्रोता प्रबंध विभाग के नियम के अनुसार इस वर्ष से मोनिटरों का कार्यकाल एक साल है। इसलिये यहां मैं हमारे पुराने मोनिटरों तथा सभी प्यारे श्रोताओं को यह बताना चाहूंगी कि अगर इस बार आप हमारे मोनिटर नहीं बन पाए, तो कोई बात नहीं, अगले वर्ष शायद आपको मौका मिलेगा। लेकिन इसकी पूर्वशर्त यह है कि आप सक्रिय रूप से हमें पत्र भेजते रहें।
विकासः जी हां। तो आज हम अपने मोनिटर चुनिलाल कैवर्त जी द्वारा भेजा गया एक पत्र सब से पहले पढ़ेंगे। उन्होंने लिखा है कि आजकल दक्षिण एशिया देशों, विशेषकर भारत में 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप का जादू सर चढ़कर बोल रहा है। युवा पीढ़ी की ज़ुबान पर क्रिकेट की ही चर्चा है। सब अपने-अपने तर्क से इस वर्ष की वर्ल्ड कप विजेता टीम की भविष्यवाणी कर रहे हैं। ऐसे में अपने श्रोताओं की रूचियों का हमेशा ख़याल रखने वाला चाईना रेडियो इंटरनॅशनल भला कैसे पीछे रह सकता है! पहली बार 2011 क्रिकेट वर्ल्ड कप का आकर्षक, सूचनाप्रद और सटीक कवरेज करके सी.आर.आई.ने अपने श्रोताओं का दिल जीत लिया है। विशेषकर सी.आर आई.की वेब साईट में क्रिकेट वर्ल्ड कप पर फोकस बेहतरीन और जानकारियों से परिपूर्ण है। साईट में मौजूदा विश्व कप के कार्यक्रम, मैच पाईन्ट्स और तस्वीरों सहित इसके इतिहास, टॉप स्कोरर और खेल जगत में प्रसारित साप्ताहिक समीक्षा की आडियो फाईल बहुत ही मनमोहक और जानकारियों से परिपूर्ण है। इन सबके लिये आप सब वास्तव में बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं।
चंद्रिमाः पत्र में चुनिलाल जी ने प्रशंसा देने के साथ-साथ कुछ सुझाव भी दिये हैं। उन्होंने लिखा है कि विश्व कप क्रिकेट 2011 को कवरेज करने में थोड़ी कमी भी देखने को मिली। आप लोगों ने भारत के साथ होने वाले मैचों को तो महत्व दिया, लेकिन अन्य मैचों के परिणाम बताने या रिपोर्ट प्रस्तुत करने में थोड़ी कोताही बरती। उदाहरण के लिये क्वार्टर फाईनल में 25 और 26 मार्च को खेले गए मैचों के परिणाम नहीं बताया। समाचारों में भी इनका जिक्र नहीं किया गया। इन मैचों में हारने के बाद दक्षिण अफ्रीका और इंगलैंड स्पर्धा से बाहर हो गए। सी.आर.आई. की वेब साईट में भी इन मैचों के बारे में पढ़ने-सुनने को नहीं मिले। इस के अलावा साप्ताहिक खेल जगत कार्यक्रम में सिर्फ क्रिकेट की चर्चा ही नहीं करके अन्य खेलों को भी स्थान दीजिएगा।
विकासः आप की प्रशंसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद, चुन्नीलाल जी। और आपकी राय व सुझाव हमने भी खेल जगत कार्यक्रम के उदघोषक वेइतुङ भाई को बतायी हैं। हमें विश्वास है कि इस मामले पर वे ज़रूर ध्यान देंगे।
चंद्रिमाः अच्छा, अब हम एक मधुर भारतीय गीत का मज़ा लेंगे। गीत के बोल हैं जय हो, जो फ़िल्म स्लमडॉग मिलियनेयर का शीर्षक गीत है।
विकासः अगला पत्र है बभनान बाजार, बस्ती, उत्तर प्रदेश के हमारे श्रोता कृष्ण कुमार जायसवाल द्वारा लिखा गया। पत्र ऐसा है:आजकल आजका तिब्बत कार्यक्रम में तिब्बत के पंचवर्षीय योजना, जो तिब्बत के सामाजिक, एकता प्रगति के विकास के बारे में ध्यानपूर्वक सुना। तिब्बत के अल्पसंख्यक जातियों के विकास के बारे में जानकारी महत्वपूर्ण लगी। संगीत कार्यक्रम में चीन का लोकगीत सुना मनमोहक लगा। सफल प्रस्तुति करने के लिये हार्दिक धन्यवाद।
चंद्रिमाः आप का भी बहुत धन्यवाद, कृष्ण कुमार जी। अब हम पढ़ेंगे जोहरी कोठी, समस्तीपुर, बिहार से यूथ लाइब्ररी के दोस्त भवदीप का पत्र। उन्होंने लिखा है कि हमारे लाइब्रेरी के सदस्यगण भी अब चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के हिन्दी कार्यक्रम में रुचि लेने लगे हैं। और आप लोगों से जुड़ने के लिये बहुत इच्छुक हैं। क्या आप लोग अपने श्रोताओं को सदस्य बनाकर कार्डस भी निर्गत करते हैं?अवगत कराइएगा। हम लोगों को अत्यधिक खुशी होगी यदि आप लोग हमारे लाइब्रेरी हेतु चाइना रेडियो इन्टरनेशनल का ऐसा बहुमुल्य उपहार भेजेंगे, जो एक यादगार बना रहे। यदि आप लोग अपने श्रोता सदस्यों को चाइना रेडियो का उपहार प्रदान करते हैं, तो हमारे लाइब्रेरी के वे सदस्यगण, जो आप के हिन्दी कार्यक्रम के प्रशंसक एवं श्रोता है, उन के लिये भी उपहार भेजने की कृपा कीजिएगा।
विकासः भवदीप साहब, आप तथा यूथ लाइब्ररी के सभी सदस्यों को हमारा रेडियो सुनने का हार्दिक स्वागत, और हमारे श्रोता बनने का भी हार्दिक स्वागत। अगर आप लोग अक्सर हमारे कार्यक्रमों पर ध्यान देते हैं, हमें पत्र भेजते हैं, और हमारे द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में भाग लेते हैं, तो आप लोगों को सी.आर.आई. से उपहार मिलने का मौका ज़रूर मिलेगा। और एक बात यह है कि जब आप लोग पत्र भेजते हैं, तो अपने नाम व पते को साफ़-साफ़ लिखिये, ताकि हम ठीक-ठाक पते से आप लोगों को पत्र या उपहार भेज सकेंगे। ठीक है न?
चंद्रिमाः अब बारी है कैलाश नगर, नारनौल, हरियाणा के उमेश कुमार का पत्र। वे भी हमारे पुराने मित्र हैं। और उन्हें चीनी सीखने का बड़ा शौक है। लगभग हर पत्र में उन्होंने कुछ चीनी अक्षर लिखने की कोशिश की है। जैसेः नमस्कार, धन्यवाद इत्यादि। विकास जी, चीनी सीखने में क्या आप उन्हें कुछ अनुभव बताना चाहते हैं?क्योंकि आप की चीनी भाषा अब बहुत अच्छी हो गयी।
विकासः सबसे पहले तो उमेश जी का चीनी भाषा सीखने का जो प्रयास है उसके लिए मैं उनकी बहुत सराहना करता हूँ। यहाँ मैं उमेश जी से कहना चाहूंगा कि किसी भी देश को जानने के लिए उस देश की भाषा जानना बहुत महत्वपूर्ण है। और इसके लिए आपका प्रयास काफी प्रशंसनिय है। आप हमारे कार्यक्रम के माध्यम से भी इस भाषा को सुन सकते हैं। शुरू में कुछ परेशानियाँ जरूर होंगी लेकिन अंत में आपके मेहनत की ही विजय होगी। आप रोजाना हमारे कार्यक्रम के माध्यम से चीनी वाक्यों का अभ्यास कर सकते हैं।
चंद्रिमाः इस पत्र में उमेश जी ने ऐसा लिखा है कि कार्यक्रम चीन में निर्माण व सुधार सुना, जिसमें शियांग शहर के पर्यटन विकास के बारे में जानकारी काफ़ी रोचक व ज्ञानवर्धक दी गयी है। शहर में हालांकि काफ़ी संख्या में पर्यटन साधन हैं, लेकिन फिर भी इनका प्रचार-प्रसार करना आवश्यक होता है। मीडिया इस संबंध में काफ़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। लोग इस शहर के विषय में मीडिया प्रसार माध्यम से यदि जानेंगे, तो इस ओर अधिक संख्या में आकर्षित होंगे। न्यूशिंग स्पेशल जिसे हेमा कृपलानी ने प्रस्तुत किया, में कथक नृत्यांगना नम्रता जी से साक्षात्कार सुनवाकर हमारा दिल जीत लिया। उनसे उनकी नृत्य शिक्षा, नृत्य प्रदर्शन व चीन यात्रा के अनुभव जानकर काफ़ी अच्छा लगा। उन्होंने सही कहा कि कला ऐसी चीज़ है जिसमें शब्दों की आवश्यकता नहीं पड़ती। वैसे भी चीनी लोग भारतीय कला एवं संस्कृति के प्रति काफ़ी आकर्षित रहते आए हैं।
विकासः चंद्रिमा जी, इस पत्र में उमेश जी ने आप द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम के बारे में भी कुछ बताया।
चंद्रिमाः ओह सच, मैं इसे सुनने को बेसब्र हूं। बताइये, विकास जी, उन्होंने क्या लिखा?
विकासः उन्होंने लिखा है कि चंद्रिमा जी से वसंत त्योहार के संबंध में जानकारी पाई। चीन में वसंत आगमन पर खुशियां मनाई जाती है। यह होनी भी चाहिए। वसंत है ही ऐसा मौसम, इस में वृक्षों पर नयी कोपलें आती हैं और हर तरफ हरियाली छा जाती है। मौसम भी अत्यन्त सुहावना होता है।
चंद्रिमाः मैं बहुत खुश हूं कि हमारे श्रोता मेरे कार्यक्रम से चीन से जुड़ी कुछ जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। उमेश जी की बातों से मुझे लगता है कि वे वसंत त्योहार को ज़रूर पसंद करते हैं। तो अब हम वसंत में नामक एक चीनी गीत विशेष तौर पर उन के लिये प्रस्तुत करेंगे। गीत के मुख्य बोल ऐसे हैं:कई सालों से पहले के वसंत की याद आई, उसी समय मैं एक गरीब व्यक्ति था, जिसे क्रेडिट कार्ड व प्रेमिका नहीं थी। लेकिन उसी समय मैं इतना खुश था, हालांकि मेरे पास केवल एक पुराना गिटार। रास्ते पर, पुल के नीचे व घास के मैदान में मैं गीत गाने से मज़ा लेता था। अगर किसी दिन मैं बूढ़ा हो गया, तो मैं उसी समय में वापस लौटना चाहता हूं। दोस्तो, मुझे इस सुहावना वसंत में दफनाइये।
विकासः अच्छा, मधुर गीत सुनने के बाद हम आगे पत्र पढ़ें। ओह चंद्रिमा जी, मेरे पास एक और पत्र है, जिसमें हमारे खेल जगत कार्यक्रम की प्रशंसा की गयी है।
चंद्रिमाः यह बहुत अच्छी बात है। तो बताइये, किसने लिखा है यह पत्र?
विकासः झारखंड के खूंटी जिले के हमारे श्रोता सुकरा हेमरोम ने अपने पत्र में यह लिखा है कि दिनांक 29 जनवरी वर्ष 2011 को खेलकूद हल चल खेल जगत में अनिल पांडे और वेइतुङ जी से भारतीय क्रिकेट व दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट टीम के बारे में चर्चा सुनी, जो एक दम अच्छी लगी। अनिल पांडे ऐसा लगा जैसे क्रिकेट के माहिर विशेषज्ञ हो, उन का कहना बहुत ही सही था कि दक्षिण अफ्रीकी टीम स्पिन बोल को खेल नहीं पाते है। एवं अफ्रीका के पिच तेज होते हैं। परन्तु भारतीय उपमहाद्वीप, इन्डियन सब कन्टिनेन्ट में पिचेज धीमा होते हैं अपेक्षा अफ्रीका के। तो 17 फ़रवरी से फिर विश्व कप शुरू होने वाला है। अपने ग्रुप में भारत प्रमुख दावेदार है। यानि भारत का सेमीफ़ाइनल में यह खेलना तय है। आशा हर खेल जगत में क्रिकेट की चर्चा करेंगे, विशेषकर विश्व कप के दौरान। मैं सी.आर.आई. का श्रोता हूं। एवं क्रिकेट को धर्म की तरह मानता हूं। मैं एक क्रिकेट प्रेमी हूं। आशा है अगला ज्ञान-विज्ञान प्रतियोगिता भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश में 17 फ़रवरी से होने वाले विश्व कप में हिस्सा लेने वाले टीमों और देशों के बारे में प्रतियोगिता आयोजित करेंगे। तो भारतीय श्रोता बहुत खुशी महसूस करेंगे।
चंद्रिमाः सुकरा हेमरोम साहब, मेरे ख्याल से आप का यह सुझाव बहुत अच्छा है। हम ज़रूर इसे हमारे विभाग के अध्यक्ष को बताएंगे। हालांकि इस बार आप का पत्र ज़रा देर से हमें पहुंचने के कारण आप की राय अमल में नहीं हो सकी। पर अगले बार के क्रिकेट विश्व कप के अवसर पर हम ज़रूर इस के बारे में एक ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन करने की कोशिश करेंगे।
विकासः इस पत्र के साथ आज के कार्यक्रम का पहला भाग समाप्त हो गया, अब लीजिये सुनिये दूसरा भाग आप की आवाज़ ऑन लाइन।