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आप का पसंदीदा मौसम
2011-04-06 13:20:09

चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। रेडियो के पास बैठे हुए सभी बहनों व भाइयों को चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।

विकासः आप सभी को विकास का भी नमस्कार। कार्यक्रम सुनने के लिए आप सभी का हार्दिक स्वागत है।

चंद्रिमाः विकास जी, आजकल हमें बहुत श्रोताओं के पत्र मिले हैं। और उन में से कई लोगों ने पत्र के साथ नया साल का कार्ड या कुछ छोटा सा उपहार भी भेजा है। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई कि हमारे श्रोता हमसे इतना प्यार करते हैं।

विकासः जी हां। हालांकि कुछ पत्र ज़रा देर से हमारे पास पहुंचे हैं, लेकिन श्रोताओं का प्रेम कभी देर नहीं होता है। जैसे जिला भावनगर, गुजरात के श्रोता मकवाना विशाल कुमार ने हमें भेजे कार्ड में लिखा है कि चाईना रेडियो इन्टरनेशनल टीम को दिपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूं। मैं इश्वर से प्रार्थना करता हूं कि चीन-भारत की दोस्ती हमेशा गहन बनी रही।

चंद्रिमाः कितनी अच्छी शुभकामनाएं हैं। हमारी भी यही इच्छा है। इस कार्ड के साथ मकवाना विशाल कुमार जी ने एक लंबा सा पत्र भी लिखा। पत्र में उन्होंने कहा कि आप का पत्र मिला कार्यक्रमों में मेरा पत्र शामिल किया गया, इसलिये मैं अनिल भाई व श्योथांग बहन को बहुत बहुत धन्यवाद और अभिनंदन करता हूं। सी.आर.आई. के कार्यक्रम मुझे बहुत ही पसंद आते हैं। मुझे उस में काफ़ी कुछ नया जानने व सीखने को भी मिलता है। मुझे आप के कार्यक्रम सुनकर इतनी खुशी होती है कि जिसको मैं शब्दों में बता नहीं कर सकता। वह प्यार सी.आर.आई. के प्रति मेरे दिल में है, उस को मैं सिर्फ़ महसूस कर सकता हूं।

विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि सी.आर.आई. से हमें मिलती है देश-विदेश और चीन की महत्वपूर्ण जानकारी। सी.आर.आई. को पाकर हुए श्रोतावाण आनंददीत और धन्य हुए। सी.आर.आई. को श्रोता ने भेजी अपनी प्रतिक्रिया और टिप्पणी से आगे बढ़ रही है। पुरे विश्व में सभी जगह हमारी प्यारी न्यारी सी.आर.आई. आगे बढ़ती रहे। श्यओथांग बहन ने मुझे श्रोता वाटिका और चीनी तिब्बत पुस्तकें भेजी हैं। वह मुझे पू्र्ण रूप से मिल गई हैं। जिसे पाकर मेरी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा। अगर आप मुझे आगे के और पीछे के अंक की श्रोता वाटिका भेजेंगे, तो मुझे बहुत खुशी होगी।

चंद्रिमाः जरूर, मकवाना विशाल कुमार जी। आप हमारे पत्रिका को इतना प्यार करते हैं, हम अवश्य ही आप को नियमित रूप से इसे भेजेंगे। और यहां हम अन्य श्रोताओं को श्रोता वाटिका पढ़ने का स्वागत करते हैं। अगर आप को इस पत्रिका में रुचि है, तो हमें पत्र भेजकर अपना नाम व पता बताइये। ताकि हम आप को इसे भेज सकते हैं।

विकासः जी हां, और जब आप पत्र लिखते हैं, तो सारा पत्र, खास तौर पर पता को साफ़ साफ़ लीखिये, ताकि हम सही पत्र पढ़ सकते हैं, और सही पता से आप को पत्रिका भेज सकते हैं।

चंद्रिमाः अच्छा, अब हम दूसरा पत्र पढ़ें। इलाहाबाद के रवि श्रीवास्तव ने चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ की अमरीकी यात्रा से जुड़ी रिपोर्ट सुनकर हमें भेजे पत्र में लिखा है कि इसमें कोई संदेह नहीं कि चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ की अमरीका यात्रा ऐतिहासिक महत्व कि होगी और समूचे विश्व की निगाह इस यात्रा पर टिकी है। जहाँ एक ओर अमेरिका को चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत से लाभ मिलने की आशा है, वहीं दूसरी ओर चीन भी अमेरिका से कई मुद्दे पर संदेह को दूर करना चाहता है। दक्षिण एशिया के बदलते परिवेश भी अच्छे मुद्दे हैं क्योंकि भारत-पाकिस्तान की हलचल समूचे विश्व को प्रभावित करती है। ईरान और कोरिया के ज्वलंत प्रकरण भी बातचीत का हिस्सा हो सकते हैं किन्तु यहाँ हम चीन स्थित अमरीकी राजदूत चोन हून्समान की बात से पूरा इत्तेफ़ाक रखते हैं जिनके अनुसार अमरीका-चीन रणनीतिक व आर्थिक बातचीत व्यवस्था में प्रगति हुई है। मतभेद मौजूद हैं, लेकिन सहमतियाँ अधिक हैं, भविष्य में दोनों देशों के बीच समान हित ज्यादा से ज्यादा होंगे।

विकासः श्रीवास्तव जी, आप की बातें बिल्कुल ठीक है। इस वर्ष के जनवरी में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने अमरीका की यात्रा की है। इस से पहले हू चिन थाओ ने अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से सात बार भेंट की। और वर्ष 2009 में ओबामा ने भी सफलता के साथ चीन की यात्रा की। दोनों देशों के नेताओं ने 21वीं शताब्दी में सकारात्मक सहयोग व चतुर्मुखी चीन-अमरीका संबंधों के निर्माण पर महत्वपूर्ण सहमति प्राप्त की। इस यात्रा से चीन व अमेरिका के साझेदारी सहयोग का नया अध्याय जोड़ा गया है।

चंद्रिमाः अच्छा, कई पत्र पढ़ने के बाद अब हम एक साथ मज़ा लेंगे एक भारतीय गीत का। गीत के बोल हैं माही वे।

विकासः अच्छा, श्रोता दोस्तो। मधुर गीत सुनने के बाद अब हम श्रोताओं द्वारा लिखी गयी कुछ कविताएं पढ़ेंगे। एक है विजयवाड़ा, आंध्रप्रदेश से सी आर आइ लिस्नर्स क्लब के श्रोता रहमतुनिस्सा का। गिनते गिनते दिन तुम्हारी याद में चलते हुए। और क्या तुम को बनाऊ हाल क्या इस दिल का है। हमने सोचा था गुजर जाएगी हंसते खेलते। हम सफर था जो बस युंही चलती बनी। अब भी सावन आ गया पर नहीं आया है वह। होंसले न छोड़ना तो जिंदगी में आए रहमतुन्नीसा। एक अरसा हो गया घुट-घुट के हैं, मरते हुए। याद इस में बस गई तेरी युंही चलते हुए। उमर अज़ब जान बनी बस युंही ढलते हुए। देखते हम रह गए हाथ युंही मलते हुए। जिंदगी गुजरी है रोज व शब गिनते हुए। राह हख पे न उम्मीदी कफर है चलते हुए।

चंद्रिमाः और एक श्रोता आर.एन.सिंह, जो जिल्ला शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश से हैं, ने हमें भेजे पत्र में एक कविता लिखी है। कविता का नाम है कुन्डली। चीन देश के साथियो, भेज रहा सद्प्यार। सी.आर.आई. के श्रवण से शाउथांग उपहार। शाउथांग उपहार प्राप्त कर मन हर्षाया। तुरत आप को पत्र लिखा धन्यवाद वहाया। सन्तर साला देह, योग से स्वस्थ वेश के। भेज रहे हरिवश शब्द मित्र हो चीन देश के। कविता के साथ भाई सिंह ने यह भी लिखा है कि हमने बहुत से पत्र लिखे, परन्तु वे पत्र कभी प्रसारण में शामिल नहीं हुए हैं। मैं नियमित रुप से सी.आर.आई. शाम 6:30 से 7:30 तक सुनता हूं। मुझे सी.आर.आई. के वाद्य यत्रों की वसुरी सरीखी तुमुल ध्वनि बहुत सुरीली मन को मस्त कर देने में सक्षम लगती है। हम चीनी संस्कृति, सभ्यता, कला, उद्योग में गहरी अभिरुचि रखते हैं।

विकासः मेरे ख्याल से आज का कार्यक्रम सुनकर आर.एन.सिंह जी ज़रूर बहुत खुश होंगे। क्योंकि इस में न सिर्फ़ उन का पत्र पढ़ा गया, बल्कि उनके द्वारा लिखी गई कविता भी अन्य श्रोताओं के सामने पेश की गयी।

चंद्रिमाः अब हम और एक पत्र पढ़ेंगे। नयी दिल्ली में रह रहे हमारे श्रोता राम कुमार निरज ने हमें भेजे पत्र में लिखा है कि आशा है सी.आर.आई. के सभी उदघोषक व उदघोषिका अच्छे होंगे। आजकल नयी दिल्ली बहुत ठंडक है, जिससे हमारे साधारण जीवन में बहुत समस्याएं पैदी हुई। पर ऐसी सर्दी में मैं पहले की ही तरह इन्टरनेट पर आप लोगों के कार्यक्रम सुनता हूं। बेशक सभी कार्यक्रम बहुत दिलचस्प व ज्ञानवर्धक है। इस पत्र में मैं दो सवाल पूछना चाहता हूँ। पहला है चीन में सब से ऊंचे व सब से नीचे तापमान कितने हैं?दूसरा है जापान में कितने मौसम होते हैं?विकास जी, आप चीन में कई साल रह चुके हैं, क्या आप पहले सवालों का जवाब दे सकेंगे?

विकासः जी हां। मैं कोशिश करूंगा। आंकड़ों के अनुसार चीन में सब से ऊंचा तापमान 48.7 सेल्सियस डिग्री है, जो शिनच्याङ वेवूर स्वायत्त प्रदेश के तूरुफ़ान शहर में है। और इस के अलावा नानचिन, वूहान व छुनछिंग, जो चीन के तीन स्टोव कहलाते हैं, भी बहुत गर्म है। उन का सब से ऊंचा तापमान 42 सेल्सियस डिग्री पहुंच जाता है। जब हम सब से नीचे तापमान की चर्चा करते हैं, तो मुझे मो ह को कहना पड़ेगा। वह चीन के सब से उत्तर में स्थित है। और उस की सब से नीचे तापमान माइनस 53.3 सेल्सियस डिग्री तक पहुंचे।

चंद्रिमाः वाह, विकास जी। देखने में आप को चीन के बारे में खूब जानकारियां प्राप्त है। बहुत अच्छा है। तो अब मैं दूसरा सवाल का जवाब दूंगी। जापान में कितने मौसम हैं?क्योंकि जापान व चीन की राजधानी पेइचिंग लगभग एक लेटीट्यूड पर है, इसलिये वहाँ भी पेइचिंग की तरह चार मौसम होते हैं। वसंत, गर्मी, शरद व सर्दी। हर मौसम में जापान की भिन्न-भिन्न सुन्दरता दिखती है। इस के लिये जापान का एक मशहूर गीत भी होता है। गीत के बोल हैं चार मौसम। विकास जी, भारत में कितने मौसम है?और आप को सब से पसंदीदा मौसम क्या है?

विकासः भारत में भी चार मौसम है। वसंत, ग्रीष्म, शीत और वर्षा। मुझे सबसे ज्यादा ग्रीष्म ही अच्छा लगता है क्योंकि इस ऋतु में खाने के लिए तरह-तरह के फल मिलते हैं। और आपको?

चंद्रिमाः मैं तो वसंत ऋतु को बहुत प्यार करती हूं। क्योंकि इस मौसम में रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। सभी लोग पार्क में जाकर सुन्दर दृश्य देख सकते हैं। मेरे ख्याल से वसंत एक बहुत जीवनदायी मौसम है। जो मुझे बहुत पसंद है।

विकासः अच्छा, तो अंत में हम एक साथ चार मौसम नामक वह जापानी गीत सुनेंगे। और श्रोताओ, आप भी सोचिये आप किस मौसम को पसंद करते हैं?

चंद्रिमाः (गीत के बोल) वसंत पसंद करने वाले बहुत शुद्ध हैं। वे वायलेट फूल की तरह मेरे दोस्त हैं। गर्मी पसंद करने वाले बहुत ढृढ़ हैं। वे पत्थर को मारने वाली लहरों की तरह मेरे पिता जी हैं। शरद पसंद करने वाले बहुत भावपूर्ण है। वे कवि हेएने की तरह मेरे प्रेमी हैं। सर्दी पसंद करने वाले बहुत उदार हैं। वे बर्फ को पिघलाने वाली भूमि की तरह मेरी माता जी हैं।

विकासः अच्छा, मधुर गीत सुनने के बाद अब हमने कार्यक्रम के दूसरे भाग में प्रवेश किया। वह है आप की आवाज़ ऑन लाइन। कई दिनों पहले मैंने चिकित्सा व दवा क्षेत्र में भारत-चीन सहयोग सैमिनार में भाग लिया। इस में चीनी प्रतिनिधियों के अलावा बहुत भारतीय व्यापारी भी शामिल थे। सौभाग्य से मैंने उन प्रतिनिधियों में से एक से बातचीत करके चीन व भारत के बीच सहयोग पर विचार-विमर्श किया। वे बाल फर्मा लिमिटेड कंपनी की उप महानिदेशक अर्चना दुबे मित्रा हैं। अब लीजिये सुनिये हमारे बीच वह बातचीत।

चंद्रिमाः प्रिय श्रोता दोस्तो, आज का कार्यक्रम यहीं तक समाप्त होता है। आपको पसंद आया या नहीं, हमें जरूर लिखिये।

विकासः अब आपसे विदा लेने का वक्त आ गया है। विकास व चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार।

चंद्रिमाः नमस्कार।

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