चंद्रिमाः यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने वाले सभी श्रोताओं को चंद्रिमा का प्यार भरा नमस्कार।
विकासः विकास का भी नमस्कार।
चंद्रिमाः विकास जी, सुना है कि 19 मार्च को भारत का एक बहुत महत्वपूर्ण त्योहार है। ठीक है न?
विकासः जी हां, वह होली का दिन है।
चंद्रिमाः मेरे ख्याल से भारतीय लोगों के लिये होली एक बहुत खुशी का दिन है। जब मैं भारत में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ती थे, तो मैंने होली की खुशी खूब महसूस किया, और रंग डालने का बड़ा मज़ा लिया। विकास जी, आप भी जएनयू के विद्यार्थी हैं न?क्या आप को विश्वविद्यालय में खेले होली की याद आती है?
विकासः चंद्रिमा जी विश्वविद्यालय की होली को तो मैं कभी भी नहीं भूल सकता हूँ। होली के दिन हॉस्टल में हम लोगों को स्पेशल खाना यानी पूड़ी, पूआ और बहुत सारी चीजें मिलती थी। उसके बाद सुबह-सुबह हरेक हॉस्टल से एक जुलुस निकलता था। सभी लोग रंगों में रंगे हुए गंगा हॉस्टल के मैदान में पहुँचते थे और उसके बाद पूरे विश्वविद्यालय के छात्र-छात्रा एक साथ होली खेलते थे। वहाँ गाना-बजाना डांस सारी तरह की मस्तियाँ होती थी। अगर कहें तो घर की कमी नहीं खलती थी।
चंद्रिमाः इस सुअवसर पर हमारे बहुत सारे श्रोताओं ने हमें ई-मेल भेजकर होली की बधाई दी। यहां हम उन लोगों को बहुत बहुत धन्यवाद देते हैं। और सभी श्रोताओं को भी होली की बधाई देते हैं।
विकासः अब हम उन पत्रों को पढ़ेंगे। पश्चिम बंगाल के ढाका कालोनी के ऑल इंडिया सी आर आई लिसनर्स एशोसिएशन के श्रोता बिधान चंद्र सान्याल ने हमें भेजे ई-मेल में लिखा है कि सी.आर.आई के हिन्दी विभाग के सभी कर्मचारियों, हिन्दी कार्यक्रम के सभी श्रोताओं तथा सी.आर.आई. वेबसाइट के सभी नेटीज़नों को होली की बधाई । रंगों की बरसात हो तुम्हारी आंगन में, रंगों की बहार हो तुम्हारे ख्वाबों में, भर दो इस रंग को तुम्हारी दुनिया में, ताकि कभी न हो कम यह रंग तुम्हारे दिल में, रंग उड़े पिचकारी, रंग से रंग जाए दुनिया सारी। होली के रंग आप के जीवन को रंग दें, यह शुभकामना है हमारी, हैप्पी होली।
चंद्रिमाः एक श्रोता ने हमें भेजे ई-मेल में होली दिवस की बधाई देने के साथ साथ होली के बारे में एक लेख व कई फ़ोटो भी भेजे। इसमें हमें होली से जुड़ी बहुत जानकारियां मिली। इस श्रोता का नाम है शिवेन्दु पॉल, जो मिताली लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष हैं। बहुत बहुत धन्यवाद आपका, शिवेन्दु जी।
विकासः अच्छा, तो होली के मुबारक के लिये आज के कार्यक्रम में हम विशेष तौर पर एक होली गीत चुनकर प्रस्तुत करेंगे।
चंद्रिमाः जी हां, गीत के बोल हैं रंग बरसे, जो फ़िल्म सिलसिले से लिया गया है। सुना है कि होली दिवस पर लोग ज़रूर इस गीत को गाते हैं। क्या यह सच है विकास जी?
विकासः आपने बिल्कुल ठीक कहा। यह गीत भारतीय लोगों में बहुत लोकप्रिय है। अब हम एक साथ सुनें, यह मधुर गीत।
चंद्रिमाः अच्छा, मधुर गीत सुनने के बाद अब हम पत्र पढ़ने को जारी रखते हैं। रामपुराफुल पंजाब के श्रोता श्रीपाल गर्ग ने हमें भेजे पत्र में कहा कि जैसे मैंने कई बार लिखा है कि मैं तिब्बत को बहुत प्यार करता हूं। आजकल मैंने सी.आर.आई. के हिन्दी वेबसाइट पर तिब्बती माल एक्सचेंज फ़ेयर के बारे में एक रिपोर्ट पढ़ी, जो बहुत अच्छी लगी। मुझे इस मेले के प्रबंध तरीके बहुत पसंद हैं, और इसे तिब्बती लोगों का हार्दिक स्वागत भी मिला। मुझे यह कहना है कि अब तिब्बत में सचमुच बड़ा विकास हुआ है, और चीन सरकार के नेतृत्व में तिब्बत सुव्यवस्थित रूप से आगे बढ़ रहा है।
विकासः उन्होंने यह भी लिखा है कि तिब्बती नये साल से जुड़ी रिपोर्ट सुनकर बहुत अच्छा लगा। यह रिपोर्ट बहुत श्रेष्ठ व ज्ञानवर्द्धक है। इतनी अच्छी रिपोर्ट देने के लिये सी.आर.आई. के हिन्दी विभाग को बहुत-बहुत धन्यवाद। और आशा है हिन्दी विभाग तिब्बत से जुड़ी ज्यादा से ज्यादा जानकारियां हमें दे सकेंगे। खास तौर पर तिब्बती युवाओं के विचार पर। हम यह जानना चाहते हैं कि आज की दुनिया और उच्च तकनीकी दुनिया तिब्बती युवाओं पर कौन सा प्रभाव डालते हैं।
चंद्रिमाः अच्छा, श्रीपाल जी, आप के हमारे कार्यक्रम पर ध्यान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद। हम ज़रूर आप की राय आज का तिब्बत कार्यक्रम की उदघोषिका को बताएंगे। क्योंकि आप तिब्बत को इतना पसंद करते हैं, इसलिये आज हम विशेष तौर पर एक तिब्बती गीत चुनकर आप के लिये पेश करेंगे। गीत के बोल हैं सपनों में तिब्बत वापस लौटा। इस गीत में गायक रोन चू अर च्या ने ऐसा गाया है कि मेरे सपनों में आयी वह जगह, जहां सूत्र झंडे फैल रहे हैं। सूर्य की रोशनी में बर्फ़ीले पहाड़ व घास के मैदान जमक रहे हैं। मेरे सपनों में आयी वह जगह, जिस का नाम है पवित्र तिब्बत। प्रार्थना पहिया में आई शुभकामनाएं बारी- बारी से मेरे कानों में गुंज रही हैं। मेरे सपनों में आयी वह जगह, जहां लोग हर मौसम में गीत गाते हैं, और साहस व दृढ़ता के साथ जीवन बिताते हैं। तिब्बत, मेरी जन्मस्थान। तिब्बत, हर रात को मेरे सपनों में आयी वह जगह।
विकासः अच्छा, अब हम मधुर गीत के साथ कार्यक्रम में वापस लौटें। नावगाँव, जिला सड़क, परिवहन मलिक ग्रुप बांग्लादेश से आए हमारे श्रोता मो नुरूल इस्लाम के पत्र में यह लिखा गया है कि मुझे मालूम है कि सी.आर.आई. के हिन्दी विभाग के सभी उदघोषक व उदघोषिका श्रोताओं के लिये ज्यादा सूचनात्मक, मज़ेदार व शैक्षिक कार्यक्रम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। आशा है अधिक से अधिक श्रोता हिन्दी विभाग के कार्यक्रम सुनकर सी.आर.आई. के नियमित श्रोता बन सकेंगे। और श्रोताओं के बीच भी संपर्क रखकर कार्यक्रम का आदान-प्रदान किया जा सकेगा। मुझे चीनी भाषा, संस्कृति, गीत-संगीत, जीवन शैली आदि का बड़ा शौक है।
चंद्रिमाः मो. नुरूल इस्लाम साहब, आप के हमारे काम की प्रशंसा के लिए बहुत- बहुत धन्यवाद। श्रोताओं की सहायता तो हमारे आगे बढ़ने की शक्ति है। आपने कहा कि चीन के बारे में आप की बड़ी रुचि है। तो हमारे कार्यक्रम सुनने से उन सभी को मिल सकता है। जैसे रोजमर्रा की चीनी भाषा कार्यक्रम में आप चीनी भाषा सीख सकते हैं, चीन की झलक कार्यक्रम में आप चीन के बारे में बहुत जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। और गीत की कहानी व टॉप फ़ाइव के कार्यक्रमों में आप चीनी गीतों का खूब मज़ा ले सकते हैं।
विकासः जी हां, यहां मैं सभी नये श्रोताओं को यह कहना चाहता हूं कि अगर आप पहली बार हमारे कार्यक्रम सुनते हैं, और चीन के बारे में रुचि है। तो हमारे रेडियो की मीटरबैंड को लॉक कीजिये और नियमित रुप से हमारे कार्यक्रम सुनिये। साथ ही आप हमारे वेबसाइट पर भी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं, और हमारे कार्यक्रम सुन सकते हैं। हमारे वेबसाइट का पता हैः https://hindi.cri.cn ।
चंद्रिमाः अगर हमारे कार्यक्रम पर आप का कोई सुझाव हो, तो हमें पत्र भी भेज सकते हैं। हमारा पेइचिंग का पता हैः हिन्दी विभाग , चाइना रेडियो इंटरनेशनल , पी .ओ. बॉक्स 4216 , सी .आर .आई.—7, पेइचिंग, चीन , पिन कोड 100040 । हमारा नई दिल्ली का पता हैः सी .आर .आई ब्यूरो, फस्ट फ्लॉर, A—6/4 , वसंत विहार , नई दिल्ली।
विकासः अच्छा, अब हम आज का अंतिम पत्र पढ़ेंगे, जो फतेहपुर-शेखावाटी के श्रोता प्रमोद माहेश्वरी द्वारा लिखा गया है। पत्र में उन्होंने कहा कि 14 मार्च को चीन का भ्रमण कार्यक्रम में थाएवान प्रान्त का भ्रमण करवाया गया, जिससे जानने को मिला कि चीनी अपनी प्राचीन धरोहरों को संजो कर रखने के प्रति कितने गंभीर हैं। विकास की अंधी दौड़ में वे नहीं भागना चाहते। 12वें पंचवर्षीय योजना को मिली स्वीकृति और चीन में राजनीतिक व आर्थिक सुधारों पर राष्ट्रध्याक्ष हू चिन थाओ का बेबाक नजरिया और दूरगामी दृष्टी की मैं प्रशंसा करता हूँ।
चंद्रिमाः प्रमोद माहेश्वरी जी, आप की बातें सुनकर हमें बहुत खुशी हुई। मार्च के आरंभ में चीन में एन.पी.सी. व सी.पी.पी.सी.सी. आयोजित हुए। इन दोनों सम्मेलनों में चीन सरकार ने 12वें पंचवर्षीय योजना को निश्चित करके जारी किया। बहुत खुशी की बात है कि आप इस पंचवर्षीय योजना पर ध्यान देते हैं। अगर इस योजना से जुड़ी रिपोर्ट सुनकर आप और कुछ बातें कहना चाहते हैं, तो हमें पत्र लिखना न भूलें। हम इसे सुनने की प्रतीक्षा में हैं।
विकासः अच्छा, श्रोता दोस्तो, इसी पत्र के साथ आज के कार्यक्रम का पहला भाग समाप्त होता है। पर रेडियो का स्विच ऑफ मत किजिए क्योंकि कार्यक्रम का दूसरा भाग और आकर्षक है। अब लीजिये सुनिये आप की आवाज़ ऑन लाइन।
चंद्रिमाः श्रोता दोस्तो, अब हमारा आप का पत्र मिला कार्यक्रम समाप्त होता है। इसे सुनने के लिये आप लोगों का धन्यवाद।
विकासः और अगले हफ्ते हम यहां फिर मिलेंगे ठीक इसी वक्त पर। अब विकास व चंद्रिमा को आज्ञा दें, नमस्कार।
चंद्रिमाः नमस्कार।