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दामों में वृद्धि की चुनौती
2011-03-16 12:38:47

यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, आज फिर आप की आवाज़ ऑन लाइन कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। श्रोताओ, 13 व 14 मार्च को चीन के राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा एवं जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन इन दोनों राष्ट्रीय संस्थाओं के वार्षिक अधिवेशन सफलतापूर्वक समाप्त हो गए। इन दोनों अधिवेशनों में चीन के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की दिशा तथा महत्वपूर्ण नीतियां व कदम निश्चित किये गये हैं। दामों में वृद्धि की चुनौती उन में से एक है। आइए इसी पर आधारित हमारा कार्यक्रम सुनिए।

वस्तुओं के दामों में तेज़ी से वृद्धि न सिर्फ़ आम जनता के दैनिक जीवन पर कुप्रभाव डालती है, बल्कि समाज की स्थिरता को भी हानि पहुंचाती है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी व चीन सरकार हमेशा इस मामले को आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण समस्या मानती हैं, और वस्तुओं के दामों की स्थिरता बनाने की निरंतर कोशिश कर रही है। चीन में लगातार पिछले सात वर्षों से अनाजों के उत्पादन में तेज वृद्धि हुई है जिससे अनाज का भंडारण प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। साथ ही चीन का शक्तिशाली आर्थिक आधार है, और विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार भी है। ये सभी वस्तुओं के दामों में हुई वृद्धि का मुकाबला करने की शर्त है।

वस्तुओं के दामों की वृद्धि केवल चीन में ही नहीं है बल्कि सारी दुनिया भी इस समस्या से जूझ रही है। गत नवंबर से इस जनवरी तक सिर्फ़ तीन महिनों में संसार में अनाजों का दाम 15 प्रतिशत तक बढ गया है। और मध्य पूर्व की अस्थिरता के प्रभाव से तेल का अंतर्राष्ट्रीय दाम हर पिपा 100 अमरीकी डॉलर से ज्यादा पहुंच गया था। कुछ नये आर्थिक समुदायों में सी.पी.आई. का सूचकांक 7 या 8 प्रतिशत, यहां तक कि 10 प्रतिशत से ज्यादा है।

चीन सरकार चार पक्षों में कदम उठाकर दामों की स्थिरता बनाएगी। पहला, मुद्रा की तरलता का नियंत्रण करना, यानि दामों की वृद्धि के मुद्रा तत्व को अच्छी तरह से प्रबंध करना।

दूसरा, उत्पादन के विकास को प्रोत्साहित करना, खास तौर पर कृषि उत्पादन। चीन सरकार ने हर प्रांत के प्रमुख अधिकारी से कृषि उत्पादन को महत्व देने का आग्रह किया है। कृषि उत्पादन का विकास, और फ़सल पाने की पूर्वशर्त पर वस्तुओं के दामों में स्थिरता बनाने में दृढ़ बुनियाद होता है। क्योंकि चीन में लोगों की संख्या बहुत बड़ी है, और खाद्य-पदार्थों का खर्च उन की आय का एक मुख्य हिस्सा है। इसलिये चीन सरकार इस समस्या पर बड़ा ध्यान देती है। हाल ही में उत्तर चीन में भीषण सुखा आया, और सुखे से ग्रस्त क्षेत्र मुख्य तौर पर गेहूं का उत्पादन क्षेत्र हैं। चीन सरकार ने इस मामले को लेकर राज्य परिषद के साथ दो बैठक आयोजित किये हैं, और कृषि उत्पादन को विकसित करने के लिये कई कदम उठाये हैं। चीन सरकार ने किसानों की सहायता देने के लिये 12 अरब 90 करोड़ य्वान की धनराशि भी लगायी है।

तीसरा, उत्पादों की आवागमन को सुगम करना। उत्पादों को सीधे बाजारों में भेजना जिससे बीच के लोगों को मुनाफा कमाने से रोका जाए। इस तरह वस्तुओं के दामों में वृद्धि को रोका जा सकता है।

चौथा, बाजार का उचित प्रबंधन । इस में आर्थिक व कानूनी उपाय दोनों चाहिए। और उन लोगों को, जो ऊंचे दाम का इन्तजार करने के लिये उपजों को इकट्ठा करके नहीं बेचने की कार्रवाई को सज़ा दिलाना। ताकि समूचा बाजार सुव्यवस्थित रुप से चल सके।

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