थांग: यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोताओं को श्याओ थांग का नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आपका स्वागत है।
विकास:श्रोताओं को विकास का भी नमस्कार। आज के इस कार्यक्रम में सबसे पहले आप सुनेंगे श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख, फिर सवाल जवाब, इसके बाद आप से मिले।
थांग:26 जनवरी को भारतीय गणतंत्र दिवस है, इस शुभअवसर पर हम सी.आर.आई की तरफ़ से आप सभी को शुभकामनाएं देते हैं। अच्छा अब मैं पढ़ूंगी हमारे श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्रों का उल्लेख।
अब मेरे पास आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के दिलशाद हुसैन का पत्र है। उन्होंने कहा कि महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपना मुकाम बनाया है। न सिर्फ़ राजनीति व नौकरियों में बल्कि खेल में भी अपने खास पहचान बनाई है। अकसर लोग समझते हैं कि महिलाओं का खेल जैसे जुझारू क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं होता है, मगर दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेल ने इस मिथक को तोड़ते यह साबित कर दिया कि महिलाएं खेल में रूचि ही नहीं रखती, बल्कि जीत का माद्दा भी रखती हैं। दिलशाद हुसैन भाई, आपने सही कहा। वर्तमान में महिला ज्यादा से ज्यादा पात्र निभाती हैं। अभी-अभी समाप्त क्वांगचो एशियाड और पैरा एशियाड खेल समारोहों में बहुत अधिक महिलाओं ने खेल मैदान में अपना स्वभिमान दिखाकर जीत दर्ज की और अपनी शक्ति भी दिखाई। आजकल महिला कमज़ोरी का द्योतक नहीं है। पुरूषों के साथ महिलाएं वैश्वविक विकास के लिए भी अपना योगदान करती हैं। अपने पत्र में दिलशाद हुसैन ने चीन भारत मैत्री के बारे में कुछ लिखा, जो इस प्रकार है:भारत और चीन की मधुर मैत्री, दो हज़ार वर्ष पुरानी मैत्री, ह्वेसांग, ईचिंग, फ़ाश्यान की मैत्री, चीनी बौद्ध विद्वान आकर बढ़ाए मैत्री, सांस्कृतिक आदान प्रदान से रचायी मैत्री, चौथी शताब्दी में कुमार जीव ने की मैत्री, बौद्ध ग्रंथों के चीनी भाषा अनुवाद की मैत्री, रविंद्रनाथ टैगोर की दो बार यात्रा की मैत्री, चीन की कला संस्कृति के अनुसंधान की मैत्री। यहां हम दिलशाद हुसैन को पत्र लिखने के लिए धन्यवाद देते हैं। आशा है कि चीन भारत मैत्री और आगे बढ़ेगी।
विकास:पूर्वी चम्पारण, बिहार के सिय्योन रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष राम बिलास प्रसाद ने अपने पत्र में कहा कि सी.आर.आई के कार्यक्रम पेश करने वाले भाई बहन जी को नमस्कार और नए साल की शुभ कामनाएं। अपने पत्र में प्रसाद ने एक कविता भेजी है, शीर्षक है नया साल।
आया है नव वर्ष करें हम इसका स्वागत
अपने अच्छे कर्मों से दुनिया में धूम मचाएंगे
जीवन में खुशियां लाएंगे
दीन दुखियों को गले लगाएंगे
आपस में भाईचारा फ़ैलाएंगे
कभी किसी को नहीं सताएंगे
अच्छे से बीते हमारा नया साल
ऐसी हो हमारी कामना
ना रहे कोई निकम्मा
इस साल सबकी पूरी हो मनोकामना
कविता लिखने के लिए आपका धन्यवाद
आशा है कि नए वर्ष में सभी लोग खुशहाल जीवन बिताएंगे ।
थांग:अच्छा दोस्तो, अब देखिए सिहोर गुजरात के मकवाणा विशाल कुमार धीरुभाई का पत्र। उन्होंने कहा कि आपके सभी कार्यक्रम में मुझे बहुत अनोखी और उपयोगी जानकारी मिलती है। मुझे आपके कार्यक्रम बहुत अच्छे लगते हैं। मैं आप सभी को हार्दिक अभिवादन देता हूँ। यहां आपका कार्यक्रम सुनता हूँ और भारत चीन मैत्री आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा करता हूँ। हम सब 15 से 17 लोग एक साथ मिलकर सीआरआई के सभी कार्यक्रम मन लगाकर, ध्यान से नियमित सुनते हैं। आपके कार्यक्रम बहुत ही ज्ञानवर्धक होते हैं। मेरा दिल बहुत खुश हो जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि मैं आप सभी के साथ चीन में बात कर रहा हूँ। आपके सभी कार्यक्रम में कुछ जानकारी मिलती है और श्रोता के प्रति प्रेम महसूस होता है। मैं बहुत खुश हो जाता हूँ। मकवाणा विशाल कुमार धीरुभाई को पत्र लिखने और नियमित रूप से हमारा कार्यक्रम सुनने के लिए धन्यवाद। हम आपके नए पत्रों के इन्तज़ार में हैं।
विकास:माल्थोने, सागर मध्य प्रदेश के धर्मेंद्र सिंह कहते हैं वर्ष 1994 से मैं सी.आर.आई का नियमित श्रोता हूँ। मैं कार्यक्रम पर अपनी प्रतिक्रियाएं भी अकसर भेजता रहता हूँ। मेरी कई वर्षों से इच्छा है कि मुझे चीन भ्रमण का अवसर मिले। लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो पाया है। मैं सी.आर.आई को एक हज़ार गिफ्ट आइटम भेजना चाहता हूँ। इसके लिए मुझे एक हज़ार जवाबी लिफ़ाफ़े चाहिए। हमें दिल्ली कार्यालय का पूरा पता छापकर भेजने की कृपया करें। मैं विश्व रिकोर्ड बनाना चाहता हूँ। जिसके लिए आपके सहयोग की जरूरत है। मुझे विविध रेडियो स्टेशन से लगातार पत्र प्राप्त हो रहे हैं। धर्मेंद्र सिंह, हमारे बहुत सक्रिय श्रोता हैं। मुझे याद है कि आपके द्वारा भेजे गए उपहार कई बार हमें मिले। बहुत धन्यवाद। आप विश्व रिकोर्ड बनाना चाहते हैं, हमें इस बात की खुशी है, लेकिन एक बार में एक हज़ार जवाबी लिफ़ाफ़े और एक हज़ार पत्र-पत्रिकाएं भेजना असंभव है। हम जवाबी पत्र भेजते समय आपको पहले से अधिक जवाबी लिफ़ाफ़ा व पत्र पत्रिकाएं भेजने की कोशिश करेंगे। आप उन्हें एकत्र कर बाद में अपना रिकॉर्ड बना सकते हैं। आशा है कि आपके रिकॉर्ड का सपना पूरा हो सकेगा।
विकास:अच्छा दोस्तो, अब समय आ गया है सवाल जवाब का। दिल्ली के गौरव मदान ने सवाल पूछा है कि चीन में कितने मशहूर स्थल हैं जो चीन के लिए जाने जाते हैं?श्याओ थांग जी, चीन में मुझे एक साल से ज्यादा समय बीत चुका है, मैंने लम्बी दीवार आदि कई पर्यटन स्थलों का भी दौरा किया था, लगता है कि चीन में मशहूर स्थल ज्यादा हैं, आप यहां कुछ और बताइए।
थांग:अच्छा। गौरव मदान और अन्य श्रोताओं को बताना चाहते हैं कि चीन में बहुत ज्यादा स्थल दखने योग्य हैं। चीन के 31 प्रांतों में अलग-अलग दृश्य हैं। यहां कम समय में बताना तो मुश्किल है। आप हमारा चीन का भ्रमण कार्यक्रम सुनने के बाद चीन के मशहूर पर्यटन स्थलों की जानकारी ले सकते हैं। क्या आपको याद है कि पिछले वर्ष सी.आर.आई ने वैबसाइट पर"चीनी पर्यटन शहर का वरियता-क्रम"गतिविधि आयोजित की, जिसमें एक सौ से ज्यादा प्रतिनिधित्व वाले मशहूर चीनी पर्यटन स्थलों को चुना और इन के संबंधित परिचयात्मक लेख भी प्रस्तुत किया गया। इनमें हांगचो, खाशी, शिआन, चिनान, हारपिन, लीच्यांग, सूचो, लोयांग, सानया और ह्वानशान आदि शहर शामिल हैं। अगर आपको रूचि है तो हिन्दी डॉट सी.आर.आई. डॉट सी.एन पर जाएं और वहां फ़ोटो भी है, वीडियो भी है, जिस से आप मशहूर चीनी स्थलों की सारी जानकारियां हासिल कर सकेंगे।
विकास:अच्छा दोस्तो, अब समय आ गया है आपसे मिले । संजय कुमार नई दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी जेएनयू में पिछले तीन सालों से चीनी भाषा सीख रहे हैं। चीनी भाषा के और अध्ययन के लिए वह मध्य चीन के हूपेइ प्रांत की राजधानी वूहान आए। भारत से रवाना होने से पहले दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता ने उनके साथ एक साक्षात्कार किया। सुनिए अपनी चीन यात्रा की प्रतीक्षा में संजय ने क्या कहा।
थांग:दोस्तो, क्या आप जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई के अंत से अगस्त के की शुरुआत में श्रोता अमीर अहमद ने सी.आर.आई के निमंत्रण पर चीन के शिनच्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश की यात्रा की। स्वदेश लौटने के बाद चीन यात्रा उनकी याद ताज़ा रही। कुछ समय पूर्व दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता हूमिन ने अमीर के साथ एक साक्षात्कार किया। सुनिए अपनी शिनच्यांग यात्रा के बारे में उनके अनुभव।
विकास:अच्छा दोस्तो, आज का यह कार्यक्रम यही समाप्त होता है। अब श्याओ थांग और विकास को आज्ञा दें, नमस्कार।
थांग: नमस्कार।