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शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय की अध्यापिका से मुलाकात
2011-02-16 14:13:20

थांग:यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, श्याओ थांग का नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुनने के लिए आपका स्वागत है।

विकास:श्रोताओं को विकास का भी नमस्कार। आज के इस कार्यक्रम में सबसे पहले आप सुनिए श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख, इस के बाद सवाल जवाब, फिर आप से मिले और अंत में एक मधुर गीत।

थांग:अच्छा अब पढ़ते हैं कई श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख। अब मेरे पास है ढोली सकरा, बिहार के दीपक कुमार दास द्वारा सी.आर.आई के लिए लिखी गई एक कविता, जो इस प्रकार है:

दिन हो रात हो

सी.आर.आई. हमारे साथ हो

श्रोताओं की चाहत हो

सी.आर.आई.का साथ हमेशा हो

हम कहीं भी जाएं

रेडियो साथ ले जाएं

हमें ज्ञान की बात बताएं

विश्व प्रसारणों में सी.आर.आई

दो कदम आगे ले जाएं

सी.आर.आई की दोस्ती

दो कदम आगे बढ़ती जाएं

हमेशा साथ रहता है

सी.आर.आई के साथ

अच्छे ज्ञान को बताती है

जमाना हमें छोड़ जाए साथ

लेकिन सी.आर.आई रहती है साथ

सुख दुख में हमेसा जो साथ रहती है

सी.आर.आई कभी साथ नहीं छोड़ती है

हमारे पत्रों को रखती हैं हिसाब

सी.आर.आई हमारे साथ है

विकास:नारनौल हरियाणा के उमेश कुमार हमारे सी.आर.आई के बहुत सक्रिय श्रोता हैं । उनके द्वारा भेजे गए हरेक पत्र में जरूर चीनी शब्द में उनका नाम लिखा होता है। कभी कुछ चीनी वाक्य भी लिखते हैं। अब मेरे पास है भाई उमेश कुमार का पत्र, यह गत वर्ष के अक्तुबर का खत है, शायद इस समय यहां पढ़ना देर हो गया है, लेकिन हम यहां उमेश कुमार भाई को धन्यवाद देते हैं कि आप हमारा भारी समर्थन करते हैं और हमारे बीच की दोस्ती की मज़बूती के लिए अथक कोशिश करते हैं। अपने इस पत्र में उमेश भाई ने कहा कि आपका पत्र मिला कार्यक्रम सुना। आपने श्रोताओं के पत्र पढ़े खुशी हुई। लेकिन मेरा कोई पत्र शामिल नहीं किया गया। इससे दुख भी हुआ। हमारा काम है आपके कार्यक्रम सुनना और उस पर प्रतिक्रिया भेजना। रोज़मर्रा की चीनी भाषा में चीनी वाक्यों का अभ्यास किया। हम चीनी वाक्य सीखते तो हैं, लेकिन यह याद नहीं रह पाते। चीनी लिपि भी काफ़ी कठिन है। पता नहीं चीनी लोग इसे कैसे याद रख लेते हैं। श्रोता वाटिका में चीनी सीखें कालम से कुछेक वाक्य सीखे हैं। भाई वेइतुंग द्वारा शांगहाई विश्व मेले में आए भारतीय बंधुओं से भेंट वार्ता सुनी। भारत चीन के बीच व्यापार पर उनके विचार जाने। मेरे विचार में इस समय दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार काफ़ी प्रगति पर है और निरंतर इस में बढ़ोतरी हो रही है। आगे इसके और बढ़ने की काफ़ी संभावनाएं मौजूद हैं। न्यूशिंग स्पेशल कार्यक्रम में हेमा कृपलानी द्वारा शादीशुदा दंपत्तियों की समस्याओं पर चर्चा की गई। मेरे विचार में दाम्पत्य जीवन आपसी विश्वास पर टिका होता है।

थांग:यहां हम उमेश कुमार भाई को एक बार फिर धन्यवाद देते हैं कि आप बहुत सक्रिय रूप से हमारे कार्यक्रम में भाग लेते हैं और पत्र भेजने में भी सक्रिय रहे हैं। हमारे समर्थन के लिए आप को धन्यवाद। सच्ची बात यह है कि हर बार आप का पत्र मुझे प्रभावित करती है। आपके द्वारा लिखा गया चीनी शब्द और चीनी वाक्य बहुत अच्छा है। चीनी सीखने का जोश के प्रति हमें बहुत प्रसन्नता होती है। आपके नए पत्रों के इनतज़ार में। हमारे इस कार्यक्रम में कई श्रोताओं के पत्रों को देर से पढ़ने के लिए हम क्षमा मांगते हैं। क्योंकिं हमारे यहां बहुत ज्यादा श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्र हैं, एक-एक पत्र को पढ़ना और कार्यक्रम में शामिल करना कठिन काम है। लेकिन हम कोशिश करते हैं कि इस कार्यक्रम में ज्यादा से ज्यादा श्रातोओं के पत्रों, विचारों को पेश करें।

थांग:दोस्तो, कुछ दिन पहले चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ ने अमरीका की यात्रा की थी। आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के आसलाम आल्मी रेडियो लिस्नर्स क्लब के श्रोता भाई मोहम्मद असलाम ने ईमेल भेजकर चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिनथाओ की अमरीकी यात्रा के बारे में अपना विचार भी प्रकट किया। उनका कहना है:यह सच है अगर दोनों देश मिलकर कोई काम करेंगे, तो गहरा लाभ होगा। और उस लाभ से और देश भी लाभ उठा सकते हैं। मेरा विचार है कि चाइना और अमरीका मिलकर कोई ऐसा काम करें, जिस से पूरी दुनिया को आर्थिक लाभ पहुंचे। भारत का राजनयिक संबंध चीन के साथ बहुत ही पुराना है । अब यह संबंध अमरीका भी करना चाहता है। खुशी है कि उस की कामयाबी की कामना करता हूँ।

विकास:दोस्तो, गत वर्ष के मध्य में ऊंची तकिया मुबारकपुर, आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के पैगाम रेडियो लिस्नर्स क्लब ने महिला जागरुकता गोष्ठी का आयोजन किया , जिसमें महिलाओं को दी जाने वाली सहायता पर चर्चा की गई। गोष्ठी को संबोधित करते हुए पैगाम रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष के रूप में हमारे श्रोता भाई दिलशाद हुसैन ने कहा कि सबसे बड़ा धर्म गरीबों की सेवा करना है। महिला भी एक इन्सान है। उन्हें कभी हेय दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। महिलाओं को दी जाने वाली सहायता कभी बेकार नहीं जाती। उन्होंने कहा कि आज भले ही हम एक आधुनिक समाज में रह रहे हैं। विज्ञान और तकनीक को अपने जीवन के हर पक्ष में प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन फिर भी हर कदम पर हमारी कुछ रूढ़िवादी परम्पराएं हैं, जो हमारी बेड़ियां बनी हुई हैं। मैंने देखा है कि आज भी परिवार में बेटे को वंश चलाने वाला कुलदीपक माना जाता है। किंतु बेटियों को कहीं न कहीं हीनता से देखा जाता है। भले ही बाल विवाह और दहेज-प्रथा जैसी कुप्रथाओं को रोकने के लिए कानून बना दिए गए हैं। किन्तु आज भी हमारे समाज में ये कहीं न कहीं जीवित है। लोगों की मानसिकता आज भी संकीर्ण हैं। आज भी लोग अपनी झूठी शानो-शौकत तथा रूढ़िवादी परम्पराओं में बहकर इंसानियत को भूल जाते हैं। इन्हीं लोगों के कारण ही तो समाज में असंतोष और अराजकता को बढ़ावा मिलता है। अगर एक व्यक्ति और समाज के रूप में हमें आगे बढ़ना है, तो इन बेड़ियों को तोड़ कर ही हम प्रगति की सीढ़ियां चढ़ सकते हैं। जब प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन को हम हृदय से स्वीकार कर रहे हैं, तो उन बेड़ियों को जकड़न से मुक्त होने का प्रयास क्यों नहीं कर पा रहे हैं?हमारी सभ्यता और संस्कृति हमारी धरोहर हैं। वहीं भेद-भाव, जात-पात, बाव विवाह और दहेज प्रथा जैसी परम्पराएं हमारे देश के माथे पर कलंक है, इन्हें दूर करके ही हम अपने समाज और राष्ट्र के गौरव को बचा पाएंगे।

थांग: हमारे श्रोता भाई दिलशाद हुसैन ने बिलकुल ठीक कहा है। हम भेद- भाव आदि कुप्रथाओं को दूर कर और उज्ज्वल भविष्य रच सकते हैं। अच्छा दोस्तो, अब देखिए रामपुराफुल पंजाब के बलविर सिंह का पत्र। उन्होंने लिखा है कि भारत और चीन का आर्थिक विकास विश्व के दूसरे देशों से ज्यादा है। भविष्य में दोनों देशों के आर्थिक विकास में और वृद्धि होगी। भारत चीन ने बड़ी उपलब्धि प्राप्त करते हुए ग्यारह प्रतिशत से अधिक की प्रगति दर्ज़ की है। भारत और चीन का आर्थिक विकास वर्ष 2014 तक दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होगा। बीते दो सालों में आर्थिक मंदी के कारण विश्व स्तर पर आर्थिक दर में काफ़ी कमी हो हई थी, परंतु मौजूदा समय में वित्तीय बाज़ार में सुधार, ज्यादा मांग तथा बचत के कारण विश्व स्तर पर आर्थिक सुधार दर्ज़ किए गए हैं। वर्ष 2014 के अंत तक पूरे विश्व में छह प्रतिशत वित्तीय विकास जारी रहेगा। अपने इस पत्र के साथ बलविर सिंह ने और कई खत भी भेजा है, जिन में शांगहाई विश्व मेले, सौ भारतीय युवा प्रतिनिधि मंडल की चीन यात्रा, चीन भारत मैत्री आदि विषय शामिल हैं। हमारे कार्यक्रम के समर्थन के लिए आपका धन्यवाद। खेद की बात है कि यहां हम सिर्फ़ आपका एक पत्र पढ़ सकते हैं। लेकिन हम यहां आप के नए पत्रों के इनतज़ार में हैं।

विकास:अच्छा दोस्तों, अब समय आ गया है सवाल जवाब का। देखिए मुबारकपुर आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के वकार हैदर ने पत्र भेजकर सवाल पूछा है। अपने पत्र में वकार हैदर ने कहा कि आपका प्रसारण अत्यंत रूचि से सुनते हैं। सभी कार्यक्रम रोचक, ज्ञानवर्धक, शिक्षाप्रद, प्रेरणादायक, हृदय प्रसन्न एवं मनभावन लगता है। हमारा पत्र आपका पत्र मिला और आपकी पसंद कार्यक्रम में शामिल नहीं किए जाते। कृपया ध्यान दें। प्रति दिन शांगहाई विश्व मेले पर रिपोर्ट बड़ी रूचि से सुनते हैं, जानकारी से पूर्ण होती है। अपने इस छोटे पत्र में वकार हैदर ने सवाल पूछा है कि चीन में कितनी जाति के लोग पाए जाते हैं। श्याओ थांग जी, चीन एक बहुजातीय देश है। चीनी जाति के बारे में जरा परिचय दीजिए।

थांग:जी हां। दोस्तो, चीन एक जाती बहुल देश ही नही, विश्व में जन संख्या की दृष्टि से सब से बड़ा देश भी है । अब चीन की जन संख्या एक अरब 30 करोड़ है और कुल 56 जातियां हैं । चीन की जातियों में हान जाति, मंगोल जाति, ह्वी जाति, तिब्बती जाति, उइगुर जाति, म्याओ जाति, यी जाति, ज्वांग जाति, बुयी जाति, कोरियाई जाति, मान जाति, तोंग जाति, याओ जाति, पाई जाति, थुचा जाति, हानि जाति, कज़ाख जाति, ताई जाति, ली जाति और सुली जाति आदि शामिल हैं । इन के अलावा, चीन में कई ऐसी आबादी है, जिन की जाती की शिनाख्त अभी नहीं हो पायी है ।

चीन में हान जाति की जन संख्या देश की कुल जन संख्या का लगभग 92 प्रतिशत है , और अन्य अल्पसंख्यक जातियों की कुल जन संख्या देश का 8 प्रतिशत है । हान जाति की तुलना में अन्य 55 जातियों की जन संख्या कम होने के कारण उन्हें अल्पसंख्यक जाति कही जाती है । अल्पसंख्यक जातियां मुख्य तौर पर उत्तर पश्चिमी, दक्षिण पश्चिमी, तथा उत्तर पूर्व चीन में रहती हैं।

चीनी राष्ट्र के विकास के कालंतर में चीन की आबादी की एक ऐसी स्थिति बन गई है , जिस में मौटे तौर पर विभिन्न जातियों के लोग बहु संख्यक हान जाति के साथ रहते हैं और हान जाति प्रमुख होती है , लेकिन सापेक्षा की तौर पर कुछ स्थानों में अल्पसंख्यक जाति बहुल आबादी भी बन जाती है । 55 अल्पसंख्यक जातियों में ह्वी जाति और मान जाति हान जाति की भाषा का प्रयोग करने के अलावा अन्य अल्पसंख्यक जातियां अपनी अपनी भाषा व बोली बोलते हैं । लम्बे अरसे में चीन की 56 जातियां 96 लाख वर्गकिलोमीटर की भूमि में मेलमिलाप के साथ रहती हैं, और साथ साथ चीन के पुराने इतिहास और रंगबिरंगी संस्कृति का सृजन करती हैं ।

विकास:श्याओ थांग जी, आपने चीनी जातियों के बारे बहुत विस्तृत जानकारी दी थी। चीन एक विशाल देश है और 56 जातियां एक साथ रहती हैं। चीन की भांति भारत भी न केवल एक विशाल देश है बहुल जाती और बहुल धर्म वाला देश है।

अच्छा, श्याओ थांग जी, अब समय आ गया है आप से मिला का। आज हम किन-किन मित्रों से मिलेंगे।

थांग:विकास जी, आपको याद है कि गत जनवरी के अंत में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितीन गडकरी ने भाजपा के प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर चीन की सदभावना यात्रा की थी। मौके पर आपने नितीन जी के साथ एक विशेष साक्षात्कार किया।

विकास:जी हां, बिलकुल। भाजपा के अध्यक्ष नितीन जी के साथ साक्षात्कार करने के बाद मेरी मुलाकात प्रतिनिधि मंडल के एक सदस्य से भी हुई। अब सुनिए उन्होंने अपनी चीन यात्रा के बारे में क्या कहा।

थांग:श्रोता दोस्तो, हाल में नई दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता हूमिन ने शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय के चीनी भाषा कोलेज की अध्यापिका हेम कुसुम के साथ एक साक्षात्कार किया। सुनिए इस बातचीत का मुख्य अंश

विकास:अच्छा दोस्तो, आज का यह कार्यक्रम यहीं समाप्त होता है। अब श्याओ थांग और विकास को आज्ञा दें, नमस्कार।

थांग:नमस्कार।

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