थांग: यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोताओं को श्याओ थांग का नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आपका स्वागत है।
अनिल:श्रोताओं को अनिल का भी नमस्कार। दोस्तो, आज के इस कार्यक्रम में सबसे पहले आप सुनेंगे श्रोताओं के पत्रों का उल्लेख, इसके बाद आप से मिले और अंत में एक गीत।
थांग:दोस्तो, नया साल आ गया है। नए साल के मौके पर आपने क्या किया?हमें तीन दिन की छुट्टी मिली, इस दौरान हम बाहर घूमे और स्वादिष्ट पकवान का मज़ा लिया। इस साल आप स्वस्थ और खुशहाल रहें, यही हमारी शुभकामनाएं हैं। पिछले साल हमारे सभी श्रोताओं ने सी.आर.आई का समर्थन किया, हमारे द्वारा आयोजित चीन भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ, मैं सछ्वान जाना चाहता हूँ तथा शांगहाई विश्व मेला आदि प्रतियोगिताओं में भाग लिया। कई श्रोताओं ने पुरस्कार हासिल किया और एक श्रोता विशेष पुरस्कार विजेता के रूप में चीन की यात्रा पर आए। इस वर्ष दस जनवरी से हमारा सुन्दर च्यागंशी नामक ज्ञान प्रतियोगिता शुरू होगी, इस वर्ष चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ है, साल के मध्य में हमारे हिन्दी विभाग द्वारा तिब्बत के बारे में एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी, इसी वर्ष सीआरआई की स्थापना की 70वीं वर्षगांठ भी है, इस मौके पर भी एक प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इस तरह वर्ष 2011 में हम कम से कम तीन प्रतियोगिताएं आयोजित करेंगे, आशा है कि हमारे सभी श्रोता पहले की ही तरह सक्रिय रूप से इन प्रतियोगिताओं में भाग लेंगे और पुरस्कार भी जीतेंगे।
अनिल:अच्छा, अब पढ़ते हैं श्रोताओं द्वारा भेजे गए पत्रों का उल्लेख। नए वर्ष पर हमने विशेष कार्यक्रम पेश किया था। बिलासपुर छत्तीसगढ़ के ग्रीन पीस डी.एक्स क्लब के अध्यक्ष चुन्नीलाल कैवर्त ने हमें ईमेल भेज कर इसकी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह वर्ष 2010 की प्रमुख उपलब्धियोँ व वर्ष 2011 की संभावित योजनाओँ के बारे मेँ CRI से बहुत अच्छे और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम सुनने को मिले। विशेषकर चीन और भारत के बीच राजनयिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान से जुड़ी गतिविधियोँ का लेखा जोखा, महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक लगा। इन सबके बारे मेँ CRI,हिन्दी सेवा की कवरेज और योगदान उल्लेखनीय और प्रशंसनीय है। सचमुच मेँ CRI ,हिँदी सेवा दोनो देशोँ के बीच सांस्कृतिक दूत है। वर्ष 2010 बीत गया। लेकिन यह साल कई मायनोँ मेँ भारतीय और चीनी जनता के दिलोँ मेँ हमेँशा याद रहेगा। इस साल चीन भारत राजनयिक संबंध की स्थापना की 60 वीँ वर्षगांठ से जुड़ी गतिविधियाँ,सौ चीनी युवाओँ का भारत भ्रमण,शानदार शाङहाई विश्व मेला,सफल क्वाङचओ एशियाड और पैरा एशियाड के आयोजन को हम कभी नहीँ भूल पायेँगे। जहाँ तक CRI की भूमिका की बात है,तो इन सब महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय आयोजनोँ की जानकारी देने मेँ सभी तरह के मीडिया से आगे रहा। CRI ने चीनी जनता के बीच भारतीय नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन करके चीनी जनता का ध्यान भारतीय नृत्य शैलियोँ की ओर आकर्षित किया।इसके लिए CRI को बधाई एवं धन्यवाद देना चाहेँगे। CRI ने दुनियाँ भर के नेटीजनोँ के बीच चीन के सर्वाधिक सुंदर शहरोँ का चुनाव और मेरे सपनोँ का शहर-जैसी प्रतियोगिता भी CRI की वेबसाईट के विजिटरोँ के बीच काफी लोकप्रिय रही। हर साल की तरह नये साल के शुभारंभ मेँ चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिंग थाओ और CRI के महानिदेशक के संदेश सुने,विश्व शांति व विश्वबंधुत्व की भावना से परिपूर्ण लगे।
थांग:चुन्नीलाल कैवर्त भाई को हम यहां धन्यवाद देते हैं। आप सक्रिय श्रोता के रूप में पत्र लिखते हैं और ईमेल भेजते हैं। नए साल में आपका पत्र मिला का पहला पत्र पढ़ने से अपना आभार व्यक्त करते हैं। आशा है कि हमारे सभी श्रोता बहन और भाई और सक्रिय रूप से हमें पत्र भेजेंगे और हमारे साथ और घनिष्ठ संपर्क करेंगे। वर्ष 2011 चीन भारत आदान प्रदान वर्ष है। विश्वास है कि दोनों देशों की सरकारें इसे मनाने के लिए रंगबिरंगी गतिविधियां जरूर चलाएंगी। इसके कवरेज के लिए हम सी.आर.आई हिन्दी विभाग कोशिश करेंगे, ताकि श्रोता दोस्तों को चीन भारत मैत्री के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल हो सके। अच्छा,
अब मेरे पास है ओड़िसा के श्रोता अनानस कुमार( ANANAS KUMAR) का एक वैब मैसेज। अंग्रेज़ी में लिखे इस मैसेज ने उन्होंने कहा कि मैं आपके रेडियो का बहुत पुराना श्रोता हूँ और बचपन से प्रोग्राम सुनता हूँ। आजकल मैं इन्टरनेट के जरिए हिन्दी कार्यक्रम का मज़ा लेता हूँ, बहुत पसंद आया। बेशक, भारत और चीन एशिया में सबसे बड़े देश के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं। वर्तमान में दोनों देशों के आर्थिक विकास पर विश्व का ध्यान केंद्रित हुआ है। आदमी का स्वाभाव होता है कि वह अपने पड़ोसी के साथ अपनी उन्नती की तुलना करता है। यही वजह है कि हम भी अपनी तुलना अपने पङोसी देश चीन के साथ करते हैं चाहे वह खेल का क्षेत्र हो या मिलिटरी शक्ति, आधारभूत संरचना हो या सैटेलाईट का विकास हरेक क्षेत्र में हम अपने पङोसी देश की मिसाल देते हैं। अगर हमारा पङोसी देश बहुत कम समय में तरक्की करता है तो वह वास्तव में तारीफ के काबिल है और बहाँ के लोग भी प्रशंसा के पात्र हैं। हमें भी "सब चलता है" जैसी मानसिकता को छोङकर सही दिशा में दृढ निश्चय के साथ प्रयत्न करना चाहिए। अगर हमें भी अपने पङोसी देश से आगे निकलना है तो निश्चय ही ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य को निभाते चलना होगा।
अनिल:औरेया उत्तर प्रदेश के श्रोता देशपाल सिंह ने पत्र भेजकर कहा कि सी.आर.आई के हिन्दी कार्यक्रम सुनते हुए वर्षों हो गए हैं और तभी से श्रोता वाटिका का नियमित पाठक रहा, मगर श्रोता वाटिका के लिए कई बार पत्र लिखकर फोटो भेजे लेकिन उन्हें शामिल नहीं किया गया । उम्मीद है कि आप श्रोता वाटिका में हमें भी शामिल करेंगे। फिलहाल चर्चा आज का तिब्बत की करते है। पिछले दिनों में जो उसमें तिब्बती कहानी सुनाई, मुझे वह पसंद आई, आशा है कि भविष्य में इस तरह की लोक कथाएं सुनने को मिलती रहेंगी। देशपाल सिंह भाई, आप को ध्न्यवाद देते हैं कि आप हमारा हिन्दी कार्यक्रम सुनते हैं और हमारा समर्तन करते हैं। आशा है कि आप ज्यादा से ज्यादा पत्र लिखकर हमें अपनी राय व सुझाव बताएंगे।
थांग:यहां मैं रोहतास बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष सुनील केशरी का पत्र पढ़ूंगी। उन्होंने चीन भारत संबंध के बारे में लिखा है कि वास्तव में इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत चीन के संबंध इतने गहरे कैसे हुए, जबकि चीन हमारा पड़ोसी देश है। उसकी सभ्यता हमारी सभ्यता से मेल खाती है। चीन का इतिहास दो हज़ार वर्ष पुराना है। वह पुरानी सामंती व्यवस्था से निकल कर नए युग में प्रवेश कर गया है।। हू चिन थाओ के नेतृत्व में वह वाकई काबिले तारीफ़ प्रगति कर रहा है। चीन की केंद्रीय सरकार ने चीन का भारी विकास किया, चाहे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश हो या शिन्च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश हो, या सछ्वान प्रांत हो, वह तेज़ी से विकास हुआ है। चाहे वह रेल सड़क, बिजली, चिकित्सा हो या पर्यावरण, खाद्य पदार्थ, पशु पक्षी आदि। चीन हमारा पड़ोसी होने के साथ साथ मित्र भी है। हम एक दूसरे के दिलों में बसते हैं और बसते रहेंगे। सुनील केशरी भाई, आपने सही कहा कि चीन और भारत के बीच गहरी दोस्ती है। इधर के वर्षों में द्विपक्षीय संबंध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। आशा है कि भविष्य में हमारी परंपरागत मित्रता और मज़बूत होगी।
थांग:श्रोता दोस्तो, वर्ष 2010 बीत गया और 2011 आ गया है। नव वर्ष के आगमन पर हमारे कई श्रोताओं ने फोन के जरिए अपना नव वर्ष संदेश भेजे हैं। सुनिए श्रोताओं की आवाज़