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पश्चिम बंगाल के रविशंकर बसु"हिन्दी सेवा चीन से रिश्ता"शीर्षक आलेख
2010-09-29 13:02:04

थांग: यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोताओं को श्याओ थांग का नमस्कार।

अनिल:श्रोताओं को अनिल का भी नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आपका स्वागत है। आज के इस कार्यक्रम में सबसे पहले आप सुनेंगे कई श्रोताओं की राय, फिर चीन व भारत के बीच कूटनीतिक संबंध स्थापना की 60वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में भारत की यात्रा करने वाले हमारे संवाददाता दल की एक रिपोर्ट, इस के बाद आप से मिले और अंत में होगा एक भारतीय गीत।

थांग: अच्छा अब हम पढ़ते हैं कई श्रोताओं के पत्र। सबसे पहले गोरखपुर उत्तर प्रदेश के मीनू रेडियो श्रोता क्लब के अध्यक्ष बद्री प्रसाद वर्मा अन्जान का पत्र। उन्होंने हमारे मनोरंजन का वक्त कार्यक्रम की चर्चा करते हुए कहा कि चंद्रिमा दीदी इसे बहुत ही दिलचस्प तरीके से पेश करती हैं। इस प्रोग्राम में हर तरह की मनोरंजन सामग्री हम सबको बहुत पसंद आती है। अन्जान भाई ने मनोरंजन का वक्त कार्यक्रम में श्रोताओं की भेजी कविताएं, चुटकुले, कहानी प्रसारित करने का सुझाव दिया है। हम इसे जरूर चंद्रिमा तक पहुचाएंगे।

अनिल:दोस्तो, पिछले दिनों पाकिस्तान में भीषण बाढ़ आई, जिससे जान माल का भारी नुकसान पहुंचा। नई दिल्ली के श्रोता रवि शंकर तिवारी ने हमें ईमेल भेजकर भीषण बाढ़ के बारे पर अपनी सहानुभूति जतायी। वे लिखते हैं कि पाकिस्तान में पिछले 63 वर्षो में आई सबसे भीषण बाढ़ से करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी के अनुसार पाकिस्तान में संकट की स्थिति 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी से भी अधिक गंभीर है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने पाकिस्तान के बाढ़ प्रभावित इलाक़ों का दौरा करने के बाद पाकिस्तान को तत्काल सहायता के लिए दुनिया के सभी देशों को मदद के लिए आगे आने की अपील की। इस बीच कई देशों ने मदद की पेशकश की है। भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के साथ फ़ोन पर बातचीत में इस त्रासदी पर संवेदना व्यक्त की और भारत की ओर से पीड़ितों के लिए 50 लाख डॉलर की राहत सामग्री की पेशकश की है।

थांग:दोस्तो, हमें पता है कि भारत में भी बारिश के कारण कई जगहों को बाढ़ का सामना करना पड़ता है। बाढ़ पीड़ित लोगों के प्रति हमने सहानुभूति व्यक्ति की और आशा है कि पीड़ितों का जीवन शीघ्र ही बहाल होगा। अच्छा अब आगे है आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के आलमी रेडियो लिस्नर्स क्लब के श्रोता मोहम्मद असलम का पत्र। उन्होंने चीन से रिश्ता शीर्षक पर एक लेख लिखा है, जिस का मुख्य विषय इस प्रकार है:हमारा रिश्ता चीन के साथ हमेशा से आ रहा है और हम इस रिश्ते को आगे के लिए जारी रखेंगे। हम दोनों पक्षों की कोशिशों के जरिए हमारा और चीन का रिश्ता कभी भी खराब नहीं होगा।

अनिल:वहीं पश्चिम बंगाल स्थित हूँगली जिले के श्रोता भाई रविशंकर बसु ने पत्र भेजकर"सी.आर.आई हिन्दी सेवा चीन से रिश्ता"शीर्षक एक लेख भेजा है, उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों से मैं सीआर.आई हिन्दी सेवा को सुन रहा हूं। जब यह दुनिया इंटरनेट के माध्यम से मनुष्य की मुद्दी में आ गयी है, तब भी मेरा गांव इंटरनेट की रोशनी से दूर है। रोज शाम को इंतजार में रहता हूं और सी.आर.आई हिन्दी सेवा रेडियो पर सुनने के बाद ही चैन आता है।

बात 1985 की है, बाहर हल्की बारिश हो रही थी। रेडियो की नोव घुमाते-घुमाते रेडियो पेइचिंग सुनाई दिया। मैं आज भी नहीं भूल पाया हूं उस विशेष पल को। सीआरआई ने मेरे जीवन में एक नयी उमंग जगा दी। तब से आज तक हर शाम सी.आर.आई हिन्दी सेवा सुनते आ रहा हूँ। समय बीतने के साथ ही सी.आर.आई के प्रति मेरा प्यार गहरा होते जा रहा है। मेरे पास सी.आर.आई हिन्दी सेवा ही सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम हैं। आप लोगों के बेहतरीन कार्यक्रम वाकई बहुत अच्छे होते हैं और इन्हें सुनकर मेरा मन भी चीन आने को करता है। लेकिन आर्थिक समस्या के कारण यह इच्छा मन ही में रहती है। चीन का भ्रमण, आज का तिब्बत, जीवन और समाज, चीन की अल्पसंख्यक जाति, चीन भारत मैत्रीपुल के निर्माता आदि, कार्यक्रमों से चीन के इतिहास व संस्कृति के बारे में जानकारी मिली।

थांग: भाई रविशंकर बसु ने अपने इस आलेख में यह भी कहा कि आप लोगों के आज का तिब्बत कार्यक्रम मुझे सबसे अच्छा लगता है। इस कार्यक्रम से मुझे जानकारी मिली तिब्बत की सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों को एवं वहां रहने वाले लोगों की आचार विचार। कार्यक्रम के द्वारा मुझे जानकारी मिली की 2010 शांगहाई विश्व मेले का आयोजन हो रहा है। मैं शहर में जाकर सी.आर.आई हिन्दी वेबसाइट से"भारतीय मंडप", "शांगहाई की यात्रा" और शांगहाई विश्व मेले में चीनी भवन का परिचय आदि लेख से बहुत कुछ जानकारी मिली। यह रिपोर्ट पढ़कर मुझे पता लगा कि शांगहाई विश्व मेले का मुख्य विषय"बहतर शहर, बहतर जीवन"देने के कारण। मैं इस मेले की सफलता कामना करता हूँ। अंत में मैं बोलना चाहता हूँ कि सी.आर.आई तुम रह रहे हो मेरे दर्द के बीच में, प्यार की दीप जलाके। मेरा मन आज सिर्फ़ यही बोलना चाहता है:"चाहा है तुझ को, चाहूंगा हर दम। मर के भी दिल से ये प्यार ना होगा कम"।

अनिल:रविशंकर जी ने काफी गहराई में जाकर पत्र लिखा है। 25 सालों में उनका सी.आर.आई हिन्दी सेवा के साथ गहरे संबंध रहे हैं। मुझे विश्वास है कि यह संबंध आगे भी जारी रहेगा और हमारे बीच की दोस्ती और प्रगाढ़ होगी।

थांग: अनिल जी, मुझे पता है कि रविशंकर ने अपने पत्र में जो वाक्य लिखा है"चाहा है तुझ को, चाहूंगा हर दम", वह भारतीय फिल्म"मन"के एक गीत का बोल है, ठीक है न?

अनिल:हां। (गाते हुए)"चाहा है तुझ को, चाहूंगा हर दम। मर के भी दिलसे ये प्यार ना होगा कम"।

थांग: अच्छा, अब मैं रविशंकर भाई और अन्य श्रोताओं के लिए यह गीत पेश करूंगी, आशा है आप को पसंद आया होगा।

अनिल:मस्जिद रोड, कोआथ बिहार के फ़्रेन्डशिप रेडियो लिस्नर्स क्लब के सैयद अली सईद हमारे पुराने श्रोता हैं, वे पिछले 26 सालों में लगातार सी.आर.आई के कार्यक्रम सुनते आ रहे हैं। विशेषकर उन्हें आपका पत्र मिला कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है। इस बार उन्होंने पत्र भेजकर यह सवाल पूछा है कि क्या चीन में हिन्दू मन्दिर भी है?तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कोई मस्जिद है या नहीं?

थांग:दोस्तो, विश्व के चार प्राचीन सभ्य देशों में से चीन और भारत मित्र और पड़ोसी हैं और उनकी संस्कृति विविध है। इन दो प्राचीन देशों के बीच सांस्कृतिक आवाजाही का इतिहास बहुत लंबा है। हालांकि चीन में हिन्दू मंदिर तो नहीं है, लेकिन बौद्ध मंदिरों की संख्या ज्यादा है। कहा जाता है कि चीन के हान राजवंशी सम्राट मिंग डी ने कुछ भारतीय भिक्षुओं को चीन में निमंत्रित करने के लिए छाइ यिंग और छिंग चिंग समेत 18 व्यक्तियों को भारत भेजा था। ये भारतीय भिक्षु एक सफेद घोड़े पर बौद्ध ग्रंथ लाद कर चीन पहुंचे। इस घोड़े के सम्मान में सम्राट मिंग डी ने तत्कालीन चीनी राजधानी लो यांग में एक मंदिर की स्थापना करने का आदेश दिया। यह श्वेताश्व मठ आज भी चीन का प्रथम बौद्ध मठ माना जाता है। गत 29 मई को श्वताश्व मठ में एक भारतीय शैली वाला भवन का निर्माण पूरा हुआ, चीन की मैत्रीपूर्ण यात्रा आई भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पटिल ने इस भवन के खुलेपन की रस्म में भाग लिया और विशेष तौर पर"भारतीय शैली बौद्धिक भवन, भारत से आया उपहार, भारत चीन मैत्री का प्रतीक"वाला शिलालेख लीखा। साथ ही उन्होंने उपहार के रूप में इस भवन के लिए एक जेड बौद्ध मूर्ति भेंट दी।

श्वेताश्व मठ के अलावा, पश्चिमी चीन के शानशी प्रांत की राजधानी शीआन में महा चीएन नामक बौद्ध मंदिर भी बसा हुआ है। चीन के थांग राजवंश के समय आचार्य ह्वेनत्सांग बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए पैदल भारत गए और 657 भारतीय बौद्ध ग्रंथों के साथ चीन वापस लौटे। उन्होंने चीन की मशहूर पुस्तक"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"लिखी। चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आवाजाही की यह एक आदर्श मिसाल थी। महा चीएन मठ में ह्येनत्सांग द्वारा भारत से लाए गए बौद्ध ग्रंथ आज तक सुरक्षित हैं। शी आन के महा ची एन मठ में खड़ा वन्य हंस पगोडा चीन और भारत के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का ऐतिहासिक सबूत माना जाता है।

अनिल:श्याओ थांग जी, मुझे पता है कि चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती बौद्ध धर्म लोकप्रिय है। क्या तिब्बत में भारतीय शैली वाले मंदिर हैं।

थांग:नहीं। लोयांग शहर के श्वेताश्व मठ में भारतीय शैली वाला भवन चीन में एकमात्र भारतीय शैली का निर्माण है। हालांकि तिब्बती बोद्ध धर्म का स्रोत भारत से आया, लेकिन तिब्बत में बौद्ध मंदिरों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं। अब सैयद अली सईद भाई के दूसरे सवाल का जवाब आ गया, उन्होंने पूछा है कि क्या तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कोई मस्जिद है या नहीं? हालांकि ज्यादातर तिब्बती लोग तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, लेकिन इस भूमि में इस्लामिक पवित्र भवन यानी मस्जिद भी देखा जा सकता है।वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कुल चार मस्जिद है, जो अलग-अलग तौर पर तिब्बत की राजधानी ल्हासा, शिकाजे शहर और छांगतु प्रिफैक्चर की छांगतु कांउटी में स्थित है। वर्तमान में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में कुल चार हज़ार से ज्यादा मुस्लिम हैं।

अनिल:दोस्तो, कुछ समय पूर्व सी.आर.आई के एक संवाददाता दल ने भारत की यात्रा की और उन्होंने मंबई स्थित एलिफ़ेंट द्वीप का दौरा किया। सुनिए इस संदर्भ में एक रिपोर्ट हेमा की आवाज़ में......

थांग:दोस्तो, कुछ समय पूर्व नई दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता हूमिन ने श्रोता भाई त्यागी से मुलाकात हुई। तीन साल पूर्व त्यागी भाई ने सुन्दर क्वांगशी ज्ञान प्रतियोगिता के विशेष पुरस्कार विजेता के रूप में चीन की यात्रा की थी। चीन के साथ उनके घनिष्ठ संबंध और गहरा प्यार है। सुनिए उन्होंने क्या कहा

अनिल:अच्छा दोस्तो, आज का कार्यक्रम यही समाप्त होता है। अब श्याओ थांग और अनिल को आज्ञा दें।

थांग: अगले हफ्ते फिर मिलेंगे, नमस्कार।

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