थांग: यह चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है। श्रोता दोस्तो, श्याओ थांग की नमस्ते। आप का पत्र मिला कार्यक्रम सुनने के लिए आप का हार्दिक स्वागत।
विकास:श्रोताओं को विकास का भी नमस्कार स्वीकार करें। हमारी आशा है कि आप सपरिवार खुशहाल रहें, स्वस्थ रहें। आज के इस कार्यक्रम में आप सुनिए कुछ श्रोताओं की राय, सवालों का जवाब, फिर आप से मिले और अंत में होगा एक गीत का मज़ा।
थांग:अब हम देखेंगे भागलपुर, बिहार के आज़ाद रेडियो लिस्नर्स क्लब के इज़राइल कस्तुरी का पत्र। उन्होंने कहा कि आप का पत्र मिला कार्यक्रम हम लोग का पसंदीदा कार्यक्रम है। इसे हम नियमित एवं बड़े ध्यान से तनमयता के साथ सुनते हैं। सी.आर.आई के पत्र लिखे श्रोताओं की नाम सुचि सुनकर मन की बेचैनी दूर हुई कि हम लोगों की ओर से भेजा जा रहा पत्र आप लोगों तक नियमित रूप से पहुंच रहा है। आप का पत्र मिला कार्यक्रम के प्रसारण से हम लोग पूर्ण संतुष्ट हैं। इन दिनों कार्यक्रम बहुत अच्छे हो रहे हैं। इस के लिए हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें।
इजराइल कस्तूरी भाई, आप का पत्र पाकर हमें बड़ी खुशी हुई है। आप के समर्थन के लिए हम आभारी हैं।
विकास:मऊ नाथ भंजन, उत्तर प्रदेश के फैज अहमद फैज ने पत्र भेजकर कहा कि आप को जानकर काफ़ी हर्ष होगा कि हम लोग सी.आर.आई के प्रसारित तमाम कार्यक्रमों को बड़ी चाव व लगन से सुनते हैं, और कार्यक्रम को और अच्छा बनाने के लिए अपने विचारों से अवगत कराते रहते हैं। वैसे आप के तमान कार्यक्रम पसंद आते हैं। चीन का भ्रमण, आप से मिले, खेल जगत, आप का पत्र मिला, आप की पसंद तथा सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता व चीनी भाषा सिखें। इसके अलावा आजकल दिल्ली तथा आसपास के शहरों में खेलों की खूब जानकारी दी जा रही है। आपका पत्र मिला में अधिक से अधिक श्रोताओं के नाम सुनवाया करें, क्योंकि एक सप्ताह इन्तज़ार के बाद हमारा नम्बर आता है। आप की पसंद में बार-बार डाक से कार्यक्रम कई माह तक सुनवाया जाता है। सी.आर.आई. में श्रोताओं की संख्या रोज़ाना बढ़ती जा रही हैं। अगर हो सकता है, तो रोज़ाना नया कार्यक्रम पेश किया जाए।
फैज अहमद फैज भाई, आप का सुझाव हम ज़रूर ध्यान देंगे।
आप का पत्र मिला कार्यक्रम में हम कोशिश करेंगे ज्यादा से ज्यादा
श्रोताओं के नाम सुनवाएं।
थांग: रोहतास बिहार के कहकशां रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष हाशिम
आजा़द ने पत्र भेजकर तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बारे में कुछ लिखा,
जो इस प्रकार है:तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के विकास पर एक रिपोर्ट
प्रसारित हुआ, जो हमें ज्ञान वर्धक लगा। पिछले 10 सालों में जो विकास
गति तिब्बत की रही है, वह चीन सरकार की कोशिश व इमानदारी का एक नमुना मिसाल है। बिजली, पानी, रोड निर्माण के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में तिब्बत का बहुत बड़ी विकास हुआ है। आज से दस साल पूर्व तिब्बती लोग अपने जीवन को असहाय और एक बोझ के रूप में देख रहे थे। वही आज अपने जीवन में सुख का अनुभव प्राप्त कर रहे हैं। अनपढ़ लोगों से लेकर शिक्षित लोगों तक जो सुविधा चीन सरकार द्वारा प्राप्त कराया गया है, आज सारी तिब्बत उसका अभार व्यक्त करने पर मज़बूर है। और चीन सरकार की "जय हो"नारा लगा रहे है।
विकास:मस्जिद रोड, कोआथ, बिहार के फ्रेंडशिप रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष सैयद अली सईद ने आप का पत्र मिला कार्यक्रम के लिए पत्र भेज कर कहा कि सात मार्च को आज का तिब्बत के अंतर्गत कीट विशेषज्ञ श्री वांग पाउ हाई के बारे में विस्तृत के साथ श्याओथांग दीदी ने बताया कि उन्होंने किस तरह से कार्य किया, तिब्बत के प्रत्यक जिलों में कार्य किया और हानिकारक व हीतकारिक कीट-पतंगों का पता लगाया। इससे खेती को बड़ा फ़ायदा हुआ। हानिकारक कीटों को नष्ट करने से कृषि का बड़ा फायदा हुआ। श्री वांग पाउ हाई ने तितली के 40 किस्मों का पता लगाया, जो सुनकर हैरत भी हुई और जानकारी भी मिला। हमलोगों ने सिर्फ़ तितली की चार पांच किस्में देखी थी। इतनी अच्छी रोचक जानकारी देने और श्री वांग पाउहाई के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए हार्दिक बधाई श्याओ थांग दीदी को।
थांग: सैयद अली सईद भाई को धन्यवाद। अच्छा कार्यक्रम बनाना, चीन की जानकारियों से श्रोताओं को अवगत कराना हमारा कर्तव्य है। हमारे प्रिय श्रोताओं के समर्थन के लिए हम आभारी हैं। अच्छा अब समय आ गया है सवालों के जवाब का। विकास जी, आज किन-किन श्रोताओं ने पत्र भेजकर क्या सवाल पूछा है?
विकास:कटिहार, बिहार के सुनित कुमार भगत, रीता देवी, चम्पा देवी और श्री लक्ष्मण प्र. भगत ने पूछा है कि चीन का ऐतिहासिक नगर कौन सा है?श्याओ थांग जी, मैं चीन में कई साल बित चुका हूँ। ऐतिहासिक नगरों के बारे में मुझे थोड़ी बहुत जानकारी है। तो यह सवाल ता जवाब मैं सुनित कुमार भगत भाई और साथियों को दूंगा।
थांग: अच्छा। भारत की तरह चीन का इतिहास बहुत पुराना है। इस तरह चीन में कई मशहूर ऐतिहासिक नगर होता है। चीन में आने के बाद अपने जरूर कुछ ऐतिहासिक शहरों का दौरा किया होगा। तो आप जरूर बताइए।
विकास:जी हां। दोस्तो, चीन का इतिहास कोई पांच हज़ार वर्ष पुराना है। प्रथम राजवंश ईसा पूर्व 21वीं शताब्दी का श्या राजवंश है। इस के बाद शांग राजवंश, चो राजवंश है। ईसा पूर्व 475 से ईसा पूर्व 221 तक चीन में कई छोटे बड़े राज्यों के बीच अंतरयुद्ध हुआ था। ईसा पूर्व 221 में छिन शीह्वांग ने दूसरे छोटे राज्यों को जीत कर चीन का एकीकरण किया। तभी से चीन औपचारिक तौर पर एक बड़े एकीकृत देश बन गया। छिन राजवंश की राजधानी आज शानशी प्रांत के श्येन यांग शहर में है, इस तरह श्येनयांग शहर एक पुराना ऐतिहासक नगर माना जाता है। छिंग राजवंश के बाद हान राजवंश ने राजधानी को छांग आन यानी आज के शानशी प्रांत की राजधानी शीआन तक स्थानांतरण किया। चीन के इतिहास में हान राजवंश के अलावा, श्वे राजवंश और थांग राजवंश की राजधानी तत्कालीन छांगआन यानी आज के शीआन शहर ही थी । शीआन एक बहुत प्रसिद्ध व प्राचीन ऐतिहास शहर भी है। ईस्वी 1206 य्वान राजवंश की स्थापना हुई, तब से लेकर वर्ष 1911 तक चीन पर य्वान, मिंग और छिंग राजवंशों ने शासन किया। इस दौरान इन राजवंशों की राजधानी पेइचिंग थी। पेइचिंग एक बहुत पुराना ऐतिहासक शहर भी है। श्याओ थांग जी, क्या इस प्रकार का जवाब सही है?
थांग: बहुत अच्छा है। आप के जवाब में चीन का इतिहास साफ़-साफ़ नज़र आता है। उक्त ऐतिहासक शहरों के अलावा, चीन में हनान प्रांत के लोयांग व खाइफंङ, च्यांगसू प्रांत के नानचिन और चच्यांग प्रांत के लिनआन आदि भी ऐतिहासिक शहर है। इतिहास में कई छोटे राज्यों की राजधानी इन शहरों में स्थापित हुई थी। अच्छा, सुनित कुमार भगत भाई और साथियो, इस प्रकार का जवाब आप को संतुष्ट है या नहीं?आशा है आप संतुष्ट होंगे।
विकास:अच्छा, अब हम देखेंगे अन्य एक श्रोता द्वारा पूछा गया सवाल। कोआथ रोहतास बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के सुनिल केशरी, डी.डी. साहिबा, संजय केशरी, प्रयंका केशरी और सीताराम केशरी ने पूछा है कि चीन में कौन सा बड़े त्योहार मानए जाते हैं?चीन में बौद्ध धर्म के कुल कितने दर्शनीय स्थल है?
थांग: दोस्तो, चीन में सब से बड़ा त्योहार वसंत त्योहार है। जो चीनी पंचांग के अनुसार नव वर्ष का प्रथम पंद्रह दिनों में मनाए जाते हैं। वसंतोत्सव चीनियों के लिए परिवार के सदस्य एक साथ मनाने के वक्त है। परिवार के सभी सदस्य चाहे नज़दीक रहता हो, या दूर, चाहे बाहर हो या दूसरे शहर, वे सब अपने माता पिता के पास वापस लौट कर परिवारजनों के साथ-साथ खुशियां मनाते हैं। चीन में वसंतोत्सव के अलावा, पहली मई श्रमिक दिवस, चीनी पंचांग के अनुसार पांच मई ड्रैगन बोट उत्सव, चीनी पंचांग के पंद्रह अगस्त मध्य शरत उत्सव और पहली अक्तुबर राष्ट्रीय दिवस ज्यादा धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान चीन के नागरिकों को बाहर घूमने के लिए कई दिनों की छुट्टियां मिलती है।
विकास:सुनिल केशरी और साथियों ने यह भी पूछा है कि चीन में बौद्ध धर्म के कुल कितने दर्शनीय स्थल है?वास्तव में बौद्ध धर्म ईस्वी एक शताब्दी में चीन में प्रवेश हुआ। इस में एक सुन्दर किंवदंती भी प्रचिलत है। कहा जाता है कि चीन के हान राजवंशी सम्राट मिंग डी ने कुछ भारतीय भिक्षुओं को चीन में निमंत्रित करने के लिए छाइ यिंग और छिंग चिंग समेत 18 व्यक्तियों को भारत भेजा था। ये भारतीय भिक्षु एक सफेद घोड़े पर बौद्ध ग्रंथ लाद कर चीन पहुंचे। इस घोड़े के सम्मान में सम्राट मिंग डी ने तत्कालीन चीनी राजधानी लो यांग में एक मंदिर की स्थापना करने का आदेश दिया। यह श्वेताश्व मठ आज भी चीन का प्रथम बौद्ध मठ माना जाता है।
थांग: हां, लोयांग में आज एक भारतीय शैली वाले बौद्ध धर्म के मंदिर की स्थापना की गई। मई में भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पटिल ने चीन यात्रा के दौरान इस मंदिर का दौरा भी किया था।
निकास:आप ने सही कहा। लो यांग चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आवाजाही व मैत्री का प्रतीकात्मक शहर ही है। लोयांग के अलावा, शीन आन भी एक मशहूर बौद्ध धर्म के दर्शनीय शहर है । चीन के थांग राजवंश के समय आचार्य ह्वेनत्सांग बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए पैदल भारत गए और 657 भारतीय बौद्ध ग्रंथों के साथ चीन वापस लौटे। उन्होंने चीन की मशहूर पुस्तक"पश्चिम की तीर्थ यात्रा"लिखी। चीन और भारत के बीच सांस्कृतिक आवाजाही की यह एक आदर्श मिसाल थी। पश्चिमी चीन के शान शी प्रांत की राजधानी शीआन स्थित महा ची एन मठ में ह्येनत्सांग द्वारा भारत से लाए गए बौद्ध ग्रंथ आज तक सुरक्षित हैं। शी आन के महा ची एन मठ में खड़ा वन्य हंस पगोडा चीन और भारत के सांस्कृतिक आदान-प्रदान का ऐतिहासिक सबूत माना जाता है।
थांग: लोयांग, शीआन के अलावा, सछ्वान प्रांत के अर्मई पर्वत, आनह्वेइ प्रांत के च्यूह्वा पर्वत, चच्यांग प्रांत के फूथो पर्वत आदि बौद्ध धर्म के दर्शनीय स्थल भी है। इन के अलावा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में तिब्बती बौद्ध धर्म प्रचलित है, यहां अनेक स्थल बौद्ध धर्म के पवित्र स्थल है।
विकास:अच्छा दोस्तो, आज के इस कार्यक्रम के अगले भाग में आप सुनिए आप से मिले। पेइचिंग में आयोजित दूसरा चीन भारत मंच के दौरान हमारी संवाददाता श्याओ यांग ने मंच में उपस्थित भारतीय विद्यार्थी प्रतिनिधि के साथ एक साक्षात्कार किया। अब सुनिए यह बातचीत।
थांग: दोस्तो, वर्ष 1921 की जुलाई में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई, वह चीनी जनता का नेतृत्व कर सम्राटवादी शक्तियों और जापानी आक्रमण तत्वों का विरोध कर संघर्ष लड़ाई के बाद नए चीन की स्थापना की। इस तरह पहली जुलाई को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का जान्म दिवस मनाया जाता है। आज के इस कार्यक्रम में मैं आप लोगों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का गुणगान करने वाले एक गीत पेश करना चाहती हूँ । आशा है आप को पसंद आएगा। गीत का नाम है"मां ने मुझे एक गीत पढ़ाया है"। सुनिए यह गीत
विकास:गीत के बोल कुछ इस प्रकार है:
मां ने मुझे एक गीत पढ़ाया है
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीना नया चीन नहीं होता
यह गीत मां के दिल से निकल आता है
इस के साथ मां मातृभूमि की हर जगह जाती हैं ।
मैं यह गीत भी गाती हूँ ,
जो मां ने मुझे पढ़ाया है
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीना नया चीन नहीं होता
यह गीत मेरे दिल से उड़कर
नये जीवन के निर्माण में मुझे प्रेणा देता है ।
अपनी बेटी को भी मै यह गीत पढ़ाती हूँ
गीत उस के नन्हे दिल में प्रवेश करता है
पीढ़ी दर पीढ़ी गाया जा रहता है यह गीत
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीना नया चीन नहीं होता
थांग: अच्छा दोस्तो, इस गीत के सात आज का आप का पत्र मिला कार्यक्रम यही समाप्त होता है। अब विकास और श्याओ थांग को आज्ञा दें, नमस्कार।
विकास:नमस्कार।