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बाल दिवस के बारे में चर्चा
2010-06-09 14:34:52

अनिल:यह चाइना रेडियो इन्डरनेशनल है। श्रोताओं को अनिल का नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आपका स्वागत है।

थांग: श्रोताओं को श्याओ थांग का भी नमस्कार। हम यहां हाज़िर हैं आपका पत्र मिला कार्यक्रम में। आशा है कि आपको हमारे कार्यक्रम पसंद आ रहे होंगे उम्मीद करते हैं कि आप लगातार पत्र भेजते रहेंगे। दोस्तो, पहली जून को अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस है। यहां हम सभी बाल श्रोताओं को शुभकामनाएं देते हैं कि वे खुशहाल और स्वस्थ रूप से बढ़ें। इधर पहली जून को समूचे चीन के बच्चों ने पूरी खुशी के साथ अपना त्यौहार मनाया। थिएटर में बाल-फ़िल्में प्रदर्शित की गयी, टेलिविजन के कार्यक्रमों में बच्चों के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम प्रस्तुत किए गए। त्योहार के दौरान सभी पार्क बच्चों के लिए खुले रहे और रेस्तरांओं में बच्चों के लिए विशेष खाना भी परोसा गया।

अनिल:वाह। श्याओ थांग जी, आपकी बातें सुनकर मेरा भी मन एक छोटा बच्चा बनने के लिए कर रहा है, ताकि मैं बाल दिवस की खुशियां मना सकूं। अच्छा, दोस्तो, आज के इस कार्यक्रम के सबसे पहले हम अलग-अलग तौर पर एक चीनी और एक भारतीय बाल गीत सुनाएंगे। इसके बाद पढ़ेंगे श्रोताओं द्वारा भेझे गए पत्र, फिर सवाल जवाब और अंत में होगा आपसे मिले।

थांग:अच्छा, तो सबसे पहले आप सुनेंगे"हमारा आनंद दिवस"नामक चीनी गीत।

सामने उड़ रही हैं चड़िया,

कानों में गुनगुना रही है हवा।

वसंत की तरह के बगीचे में आ रहे हैं हम ,

घास मैदान पर खेल रहे हैं हम ।

लाल स्कार्फ़ और रंगबिरंगे वस्त्र पहने,

फूलों की तरह खिलते हैं हम ।

गाते नाचते बाल दिवस की खुशियां मना रहे हैं हम ।

प्यारे आंकल, प्यारी आंटी,

आईए , हम एक साथ इस की खुशियां मनाएं ।

हम सभी विश्व के सब से खुश बच्चे हैं ,

इस से और ज्यादा सुन्दर होता है संसार।

हम अपनी मातृभूमि को धन्यवाद देते हैं

कि उस ने हमें सुखमय जीवन दिया ।

चड़ियों की तरह आकाश में स्वतंत्रता से उड़ते

अपनी आशा की ओर बढ़ रहे हैं हम ।

नाचते गाते हमारे बाल दिवस की खुशियां मनाते हैं हम ।

अनिल:अच्छा दोस्तो, चीनी बाल गीत सुनने के बाद अब हम लेंगे एक भारतीय बाल गीत का मज़ा। आशा है कि फिल्म"मासूम"का"छोटा बच्चा जान के मुझ को ना समझाना रे"नामक यह गीत आपको पसंद आएगा। कामना है कि विश्व के सभी बालक खुशहाल जीवन बिताएंगे।

थांग:दोस्तो, हममें से हरेक व्यक्ति का अपना अपना बचपन होता है । बचपन की दुनिया हमारे लिए कितनी सुन्दर थी और हम बड़े होने की प्रतीक्षा में थे । और अब जब हमें कभी बचपन की याद आती है, तो हम अपने बच्चों के जीवन को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं, हमें आशा है कि सभी का बचपन सुख से बीत सकेगा और विश्व के सभी देशों के बच्चों का बचपन सुखमय होगा । हम वयस्कों को बच्चों के बढ़ने के लिए अच्छा वातावरण प्रदान करना चाहिए । इसके लिए विश्व में शांति और स्थिरता की जरूरत है । शांति और स्थिर विश्व में सभी बच्चे अच्छी तरह आगे बढ़ सकते हैं । अच्छा, चीनी और भारतीय बाल गीत का मज़ा लेने के बाद अब हम देखेंगे कुछ श्रोताओं के पत्र।

अनिल:फ़रीदपुर, बरेली, उत्तर प्रदेश के वर्ल्ड वाइड लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष शकील अहमद अंसारी ने हमें पत्र भेजकर कहा कि तिब्बती जाति विश्व की छत नामक तिब्बत छिंगहाई पठार पर रहती है। नए चीन की स्थापना से पहले इस क्षेत्र में रहने वाले तिब्बती लोगों की औसत आयु मात्र 36 वर्ष थी। पर यह बढ़कर 68 वर्ष हो गई है। तिब्बती लोगों के स्वस्थ स्तर में आया सुधार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में जारी चिकित्सा कार्यों के विकास का परिणाम है। वर्ष 1951 में तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति से पहले तिब्बत की जन संख्या 10 लाख थी तब इस क्षेत्र में केवल तीन तिब्बती चिकित्सालय थे, जो उच्च कुलीन लोगों की सेवा करते थे। गरीब तिब्बतियों के लिए कोई अस्पताल नहीं था, इस समय, तिब्बत में भयंकर महामारी थी। बीते 50 वर्षों से चीन सरकार ने 4 अरब युवान की पूंजी खर्च कर तिब्बत के सभी शहरों व गांवों में 1200 चिकित्सा संस्थान निर्मित करवाएं हैं, जिनमें 11000 चिकित्सक कार्य कर रहें हैं। चीन सरकार ने तिब्बती युवाओं के लिए चिकित्सा व स्वास्थ्य का प्रशिक्षण दिलाया है, तथा राजधानी ल्हासा में एक आधुनिक दवा कारखाना स्थापित किया गया है। बीते 40 सालों के प्रयासों के बाद अब तिब्बत में चिकित्सा व्यवस्था उत्तम मार्ग पर है और हैजाकोण आदि महामारियों का सफ़ाया हो चुका है, स्थानीय निवासियों का स्वास्थ्य बहुत उन्नत हो गया है।

थांग: शकील अहमद अंसारी भाई को धन्यवाद देते हैं कि आप तिब्बत के बारे में ध्यान देते रहते हैं और वहां के स्वास्थ्य चिकित्सा के बारे में जानकारी मिली। चीन सरकार और चीनी जनता के भारी समर्थन से इधर के वर्षों में तिब्बत का बड़ा विकास हुआ है। तिब्बतियों का जीवन स्तर भी उन्नत हो गया है। हमारे कार्यक्रम आज का तिब्बत कार्यक्रम में आप को तिब्बत के संदर्भ में खूब जानकारी मिल सकेगी। हमारे कार्यक्रम के समर्थन के लिए शकील अंसारी का एक बार फिर धन्यवादा।

अनिल:अच्छा, अब मैं पठानटोली, कोआथ, रोहतास, बिहार के जीशान रेडियो क्लब के अध्यक्ष अब्दुल मोहिब खां सूरी का पत्र पढ़ता हूं। उन्होंने अपने पत्र में सी.आर.आई प्रतियोगिता के बारे में शिकायत की है कि वे और उनके क्लब के सदस्य लगभग बीस साल से ज्यादा समय तक प्रतियोगिता एवं अन्य प्रोग्राम में शामिल होते आए हैं । लेकिन आज तक पहला पुरस्कार नहीं मिला। जबकि हम सवालों के सही-सही जवाब भेजते हैं। आखिरकार हमसे से क्या गलती हुई, इसके लिए क्षमा चाहते हैं। नहीं तो सीआरआई द्वारा फिर क्यों हमारे साथ यह सोतेला रवैया अपनाया जा रहा है?कहीं हमें पुराना श्रोता समझकर भुला तो नहीं दिया गया है।

थांग: अब्दुल मोहिब खां सूरी भाई। आप हमारे पुराने श्रोता हैं, हम आप और आपके क्लब के सदस्यों को कतई नहीं भूले हैं। सी.आर.आई प्रतियोगिता के बारे में आपने जो शिकायत की है, इस पर हम जरूर गौर करेंगे। लेकिन सच कहें, तो एक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता आयोजित करने के बाद हमे भारत से हज़ारों जवाबी पत्र हासिल होते हैं। ज्यादातर श्रोता सवालों के सही जवाब देते हैं। लेकिन पत्र ज्यादा होने के कारण हम सभी श्रोताओं को पुरस्कार नहीं दे सकते। इस तरह कुछ ऐसे श्रोता चुनकर पुरस्कार देते हैं, जो स्पष्ट रूप से लिखते हैं, उत्तर सही है और सबसे जल्दी हमें पत्र भेजते हैं। इसके साथ ही प्रतियोगिता में भाग लेने वालों की संख्या ज्यादा होने के कारण हम आम तौर पर उन श्रोताओं को पुरस्कार देते हैं, जो कभी कभार हम पत्र भेजते हैं, अपने पत्र में हमारे कार्यक्रम के बारे में विस्तार से लिखते हैं और चीन भारत मैत्री के बारे में संलग्न है। ऐसा करने से शायद हम कई श्रोताओं को नहीं पता लगाया, क्योंकि ज्यादा पत्र होने पर भी हमारे विभाग में सिर्फ़ एक कर्मचारी संबंधिक कार्य करता है। आशा है कि आप समझ सकेंगे और वर्तमान वर्ष चीन और भारत के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ से जुड़ी ज्ञान प्रतियोगिता में आपको ही पहला पुरस्कार हासिल होगा।

अनिल:अच्छा दोस्तो, अब समय आ गया सवाल जवाब का। ऊंची तकिया मुबारकपुर, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के पैगाम रेडियो श्रोता संघ के दिलशाद हुसैन ने पत्र भेजकर पूछा है कि भारत में चीनी राजदूत का नाम क्या है?और भारत में चीन के प्रथम राजदूत कौन थे?

थांग: दोस्तो, वर्तमान में भारत स्थित चीनी राजदूत का नाम चांग यान है। उनका जन्म वर्ष 1950 में पूर्वी चीन के चच्यांग प्रांत में हुआ । वर्ष 1992 से 1995 तक वे संयुक्त राष्ट्र स्थित चीनी प्रतिनिधि मंडल के प्रथम सचिव और कांसुलर, वर्ष 1995 से 1996 तक चीनी विदेश मंत्रालय के अंतरराष्ट्रीय विभाग के कांसुलर, वर्ष 1996 से 1998 तक यून्नान प्रांत के सरकारी विदेशी मामला कार्यालय के प्रधान, वर्ष 1998 से वर्ष 2001 तक एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग संगठन यानि एपेक स्थित चीनी उच्च अधिकारी, वर्ष 2001 से 2005 तक संयुक्त राष्ट्र के विएना कार्याल्य स्थित चीनी स्थाई प्रतिनिधि और अंतरराष्ट्रीय परमाणू ऊर्जा संस्था के स्थाई प्रतनिधि, वर्ष 2005 से दिसम्बर वर्ष 2007 तक चीनी विदेश मंत्रालय के निरस्त्रीकरण विभाग के प्रधान रहे। दिसम्बर वर्ष 2007 से आज तक वे भारत स्थित चीनी राजदूत रहे हैं।

अनिल:दिलशाद हुसैन भाई ने भारत में पहले चीनी राजदूत के बारे में भी पूछा है। श्याओ थांग जी, क्या आप इसका जवाब देंगी?

थांग:जरूर। भारत स्थित पहले चीनी राजदूत का नाम है य्वान चोंगश्यान। उन का जन्म फरवरी 1904 में मध्य चीन के हूनान प्रांत की राजधानी छांग शा में हुआ। जीवन भर में वे चीनी मुक्ति सेना के जनरल रहे। वर्ष 1950 में वे भारत स्थित प्रथम चीनी राजदूत बने और वर्ष 1955 में नेपाल स्थित प्रथम चीनी राजदूत रहे। जनवरी वर्ष 1956 में वे चीनी उप विदेश मंत्री का पद संभाला था। और उन का देहांत फरवरी 1957 में हुआ। भारत में राजदूत बनने के दौरान य्वान चोंगश्यान ने चीन भारत संबंध के विकास के लिए भारी योगदान किया था, और पूर्व प्रधानमंत्री चो एनलाई का उच्च मूल्यांकन हासिल किया गया था।

थांग:दोस्तो, कुछ दिन पहले दूसरा चीन भारत मंच पेइचिंग में आयोजित हुआ था। मौके पर हमारी संवाददाता चंद्रिमा की मुलाकात जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के विद्वान B.S.बुधुरा से हुई। सुनिए यह बातचीत

अनिल:बहनों और भाइयों, आज का आपका पत्र मिला कार्यक्रम यही समाप्त होता है। अब अनिल और श्याओ थांग को आज्ञा दें, नमस्कार।

थांग: नमस्कार।

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