अनिल:यह चाइना रेडियो इन्डरनेशनल है। श्रोताओं को अनिल का प्यार भरा नमस्कार। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में आपका स्वागत है।
थांग:श्रोताओं को श्याओ थांग का भी नमस्कार। दोस्तो, आज के इस कार्यक्रम में पहले आप सुनेंगे सी.आर.आई हिन्दी प्रसारण के बारे में श्रोताओं की राय, और फिर सवाल जवाब, इसके बाद आपसे मिले, और अंत में एक गीत पेश किया जाएगा।
थांग: अच्छा दोस्तो, अब हम कुछ श्रोताओं के पत्रों पर नज़र डालेंगे। पूर्वी दिल्ली मंडावली के अमीर अहमद ने सी.आर.आई. परिवार की सफलता की कामना करते हुए सभी कर्मियों को धन्यवाद दिया है। वे कहते हैं
कि आप लोग समय-समय पर हमें चीन के बारे में जो तमाम
जानकारियां देते हैं, उससे हम भारत में रहते हुए भी चीन से पूरी तरह
से जुड़े हुए हैं।
सी.आर.आई की वेबसाईट व प्रसारण के ज़रिए शांगगाई विश्व मेले को लेकर जो प्रतियोगिता आपने शुरू की है। वह वाकई काबिले तारीफ है, वैसे भी आप समय-समय पर ऐसी प्रतियोगिताएं चलाते रहते हैं, जिसमें श्रोता काफी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इसके लिए हम सभी आपके आभारी हैं।
इसके साथ ही मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि आपकी वेबसाईट में चीन संबंधी लेख काफी रोचक व ज्ञानवर्धक होती हैं। खासकर तिब्बत के बारे में जानकारियों से भी हम रूबरू होते रहते हैं। सच में तिब्बत बहुत बहुत ही सुंदर व रंगारंग संस्कृतियों वाला क्षेत्र है। चीन सरकार के नेतृत्व में वहां के लोगों का जीवन बेहतर हो रहा है। आज के तिब्बत में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है।
वैसे तो वेबसाईट काफी अच्छी है, लेकिन अगर इसमें आप अपने कर्मचारियों व श्रोताओं के फोटो भी लगाते तो और बेहतर रहता।
अमीर जी सी.आर.आई. के कार्यक्रम सुनने व वेबसाईट पर इतनी गहरी
नज़र रखने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। हमें उम्मीद है कि
आप आगे भी इसी तरह हमसे जुड़े रहेंगे।
अनिल:अच्छा, तो हम पढ़ते हैं ढ़ोली सकरा, बिहार के रोयल लिस्नर्स क्लब के श्रोता जसीम अहमद का पत्र । उन्होंने कहा कि मैं इस पत्र में काफ़ी अहम बातों से आप लोगों को अवगत कराना चाहता हूँ। इन सब बातों की जानकारी आप लोगों को होनी चाहिए। सी.आर.आई के मानीटर को इन सब बातों का ज्ञान होना चाहिए और आप लोगों को भी इन सब बातों से अवगत कराना चाहिए । मगर मैं सी.आर.आई का मानीटर नहीं हूँ, मगर बहुत उपयोगी ज्ञानकारी दे रहा हूँ।
कोई भी संचार माध्यम समाज परिवर्तन में अहम भूमिका अदा करता है, लोग अपनी रूचि समझ एवं आसानी से उपलब्ध संचार माध्यम का प्रयोग कर जानकारी प्राप्त करते हैं और उस आधार पर अपनी रणनीति स्वविकास समाज एवं देश के प्रति बनाकर सकल नागरिक की अवधारणा की पुष्टि करते हैं। संचार माध्यम की यदि पूर्व से लेकर अब तक की विवेचना की जाए, तो रेडियो संचार माध्यमों में सबसे प्रमुख नज़र आता है। विभिन्न प्रसारण केंद्रों से चौबिसों घंटे प्रसारित होने वाले इस माध्यम की ख्याति भी खूब है । यांत्रिक आधार पर किसी भी माध्यम के मुताबिक रेडियो की पहुंच देश में सर्वाधिक है। ज्यादा बिजली पर निर्भर न रहकर बैटरी से भी चलने और पोटेबल होने के कारण रेडियो को खेत खलिहानों में काम करते हुए साइकिल चलाते हुए या बैलगाड़ी हॉकते हुए भी सुना जा सकता है। इतना ही नहीं, रसोई घर में रोटियां बेलते हुए, फुर्सत के घड़ी में भी यह कारगर साबित है। ग्रामीण विकास में रेडियो के योगदान की परम्परा अल्लेखनीय है। रेडियो ने ग्रामीण जन जीवन के जन मानस में भी अपने परिवर्तन किए हैं, आज के 40-45 साल पहले के गांवों के बारे में सोचिए जब वातावरण पूरी तरह अशिक्षा एवं अंधविश्वास से भरा हुआ था। जो कुछ भी ग्रामीण परिवर्तन आज दिख रहा है, इस में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दुनिया के सबसे बड़े प्रसारण तंत्रों में से एक रेडियो निश्चत ही समस्त माध्यमों में सब के व्यापक शक्तिशाली एवं विश्वसनीय माध्यम बना हुआ है। इस प्रकार जब हम विकास में संचार माध्यमों की भूमिका पर विचार करते हैं, तो निर्विवाद रूप से रेडियो की भूमिका अव्यंत प्रभावशाली चंगे से उभकर सामने आती है।
थांग:जसीम अहमद भाई ने अपने पत्र में आगे कहा कि नेशनल रीडरशिप सर्वे के निष्कर्ष के अनुसार पत्र पत्रिकाओं के पाठकों की संख्या 18 करोड़ है, टेलीवेज़न दर्शकों की संख्या 36 करोड़ 36 लाख और रेडियो के श्रोताओं की संख्या 68 करोड़ 6 लाख है। वही इंटरनेट माध्यम की पहुंच मात्र 60 लाख लोगों तक ही है । रेडियो प्रसारण की 90 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल तक पहुंच, देश की 99 प्रतिशत जनसंख्या तक रेडियो प्रसारण की पहुंच, किसी एक दिन रेडियो सुनने वालों की औसत 30 करोड़ से अधिक है। देश में 11 करोड़ से अधिक रेडियो परिवार है। देश में साढ़े बारह करोड़ से अधिक रेडियो सेट है, जिनमें लगभग 6 करोड़ एफ़.एम.सेट है। भाई जसीम अहमद ने अपने पत्र भारत के आकाशवाणी के बारे में भी कुछ कहा है। उन का कहना है कि भारत में रेडियो प्रसारण का पहला कार्यक्रम वर्ष 1923 में रेडियो क्लब ओफ़ मुम्बई द्वारा प्रसारित किया गया। इसके बाद वर्ष 1927 में प्रसारण सेवा का गठन मुम्बई और कोलकाता में प्रयोग के तौर पर किया गया । तत्पश्चात सरकार ने कंपनियों को अपने नियंत्रण में ले लिया और भारतीय प्रसारण सेवा के नाम से उस का परिचालन आरंभ कर दिया। वर्ष 1938 में इसे आकाशवाणी आल इन्डिया रेडियो नाम दिया गया । वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय आकाशवाणी के छह केंद्र और 18 ट्रांसमीटर थे । इन के प्रसारण की कवरेज क्षेत्र की दृष्टि में 2.5 प्रतिशत और जनसंख्या के लिहाज से 11 प्रतिशत थी। अब आकाशवाणी नेटवर्क में 208 केंद्र है, जिन की कवरेज 90 प्रतिशत क्षेत्र और समूची एक अरब से अधिक जनसंख्या तक है। देश में आकाशवाणी 24 भाषाओं और 146 बोलियों में प्रसारित होता है।
अनिल:यहां हम ज़सीम अहमद को धन्यवाद देते हैं कि आपने विस्तृत रूप से रेडियो की भूमिका बताई और भारत के रेडियो प्रसारण के बारे में जानकारी दी। आपने सच कहा कि रेडियो प्रसारण का वाकई काफी महत्व होता है और वह आम जनमानस के दिलों में राज करता है। आजकल हालांकि टेलीविज़न और इन्टरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है, इन दोनों प्रसारण माध्यमों के व्यापक विकास से रेडियो प्रसारण को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन फिर भी रेडियो प्रसारण विश्व के अधिक लोगों का पसंदीदा प्रसारण माध्यमों में से एक है। रेडियो प्रसारण सुविधापूर्ण ही नहीं, सस्ते होने के साथ उनकी गति भी तेज़ है। नए प्रकार के प्रसारण माध्यमों की चुनौतियों के मुकाबले के लिए हमें भी प्रगति के साथ आगे चलना चाहिए। आजकल सी.आर.आई ने भी रेडियो प्रसारण के अलावा, वेबसाइट भी शुरू की है। हमारे श्रोता रेडियो व इन्टरनेट के जरिए हमारे सारे कार्यक्रम सुन सकते हैं और देख सकते हैं। हम सामाजिक प्रगति का स्वागत करते हैं और साथ ही हमें कोशिश करनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा अच्छे कार्यक्रम बनाएं, ताकि श्रोताओं को सी.आर.आई के बीच संबंध और घनिष्ट हो सके।
अनिल:बहनो और भाइयो, अब समय आ गया श्रोताओं द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब । ढोली सकरा बिहार के दीपक कुमार दास और गीता थुब्बा ने पत्र भेज कर यह सवाल पूछा है कि चीन के प्रसिद्ध पॉप गायक व गायिका कौन-कौन हैं?
थांग:प्रिय श्रोता दोस्तो, आजकल चीनी पॉप म्युज़िक मंच पर कई गायक -गायिकाएं मशहूर हैं। उनमें से पोप गायक चो च्येलुन, यांग खुन, वांग लिहोंग सुननान,ह्वांग श्याओमिंग और हू यानपिन आदि, उधर प्रसिद्ध चीनी पोप गायिका चांग ल्यांगयिंग, चांग शोहान, कोको लिवन और ल्यू रोयिंग इत्यादि। ये गायक गायिकाएं अलग-अलग तौर पर चीन की मातृभूमि, थाईवान क्षेत्र और हांगकांग विशेष प्रशासनिक क्षेत्र से आते हैं, जो चीनी भाषा वाले पोप गीत क्षेत्र में मशहूर हैं। आज के कार्यक्रम में हम आप लोगों के लिए मशहूर चीनी गायक चो च्येलुन द्वारा गाया गया एक मधुर गीत पेश करेंगे।
अनिल:उंची टकिया, मुज़फ़रपुर, आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश के हाइदर रेडियो लिस्नर्स क्लब की बहन वसीम फातिमा ने पत्र भेज कर यह पूछा है कि चीन के पहले अंतरिक्ष यात्री का क्या नाम है?श्याओ थांग जी, मुझे पता है कि वर्ष 2003 के अक्तूबर में पहला चीनी मानव अंतरिक्षयान का सफलतापूर्ण प्रक्षेपण किया गया। इस में सवार अंतरिक्ष यात्री तो पहले चीनी अंतरिक्ष यात्री हैं, क्या मुझे सही जानकारी है?
थांग: बिलकुल ठीक है। पहले चीनी अंतरिक्ष यात्री का नाम है यांग ली वेइ। 15 अक्तुबर, वर्ष 2003 को चीनी लोगों के लिए गौरव का दिन था। इसी दिन पहले चीनी स्वनिर्मित समानव अंतरिक्षयान शंङचो नम्बर पांच का प्रक्षेपण शानशी प्रांत के च्योछ्वान उपग्रह प्रेक्षपण केंद्र में सफलतापूर्ण किया गया। यांग ली वेइ ने चीनियों का हज़ारों वर्षों का सपना साकार कर अंतरिक्ष की यात्रा की। इसके दो साल बाद यानी वर्ष 2005 के 12 अक्तुबर को चीनी स्वनिर्मित मानव अंतरिक्ष यान शङचो नम्बर छह का प्रक्षेपण किया, इसी दौरान फेइ च्वुनलुंग और न्ये हाइशङ दो अंतरिक्ष यात्रियों ने अंतरिक्ष का पांच दिवसीय यात्रा की। 25 सितम्बर, वर्ष 2008 को चीनी स्वनिर्मित मानव अंतरिक्षयान शङचो सात का प्रक्षेपण किया। इस बार चाइ चीकांग, ल्यू पोमिन और चिंग हाईफङ तीन अंतरिक्ष यात्री सवार थे। उन्होंने पहली बार अंतरिक्षयान के बाहर चलने को साकार किया । मानव अंतरिक्ष योजना की सफलता के बाद अब चीन ने चांद के अनुसंधान के लिए"छांग अह"परियोजना शुरू की है। विश्वास है कि भविष्य में चीनी लोग चांद का दौरा भी जरूर कर सकेंगे।
थांग: दोस्तो, अरुन आनंद भारतीय एशिया न्यूज़ एजेंसी के हिन्दी विभाग के प्रधान हैं, वे हमारे श्रोता भी हैं। उन्होंने सक्रिय रूप से हमारे "चीन भारत के बीच कूटनीतिक संबंध की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ"से संबंधित ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लिया और चीन भारत मैत्री की प्रशंसा करते हुए कहा कि विश्व के दो प्राचीन सभ्यता वाले देशों के रूप में चीन और भारत को पारस्परिक समझव सहयोग को आगे बढ़ाना चाहिए। सुनिए नई दिल्ली स्थित हमारे संवाददाता हूमिन के साथ हुए साक्षात्कार का मुख्य अंश।
अनिल:अच्छा दोस्तो, कार्यक्रम के अगले भाग में आप सुनेंगे एक गीत। आज के इस कार्यक्रम में हमने ढोली सकरा बिहार के दीपक कुमार दास और गीता थुब्बा द्वारा पूछे गए सवाल कि चीन के प्रसिद्ध पॉप गायक व गायिका कौन-कौन हैं का जवाब दिया। तो कार्यक्रम के अंत में आप सुनेंगे प्रसिद्ध चीनी पॉप गायक चो च्येलुन द्वारा गाया गया《हेयरस्ने》यानी《बर्फ़िले बाल》नामक एक गीत, इसमें एक प्रेम कहानी है। आशा है आपको पसंद आएगा। यह गीत मैं विशेष तौर पर चौक रोड कोआथ, रोहतास, बिहार के विश्व रेडियो श्रोता संघ के अध्यक्ष सुनिल केशरी, अन्य सदस्य डी.डी. साबिहा, संजय केशरी, प्रियंका केशरी, सीताराम केशरी, किशोर कुमार केशरी, अंजली केशरी, खुर्सुनी, दुर्ग, छत्तीसगढ़ के श्रोता भाई दुशां दास मनिकपुरी, कटिहार, बिहार के हरेन्दर प्रसाद साहा, गाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश के बज़्मी रेडियो लिस्नर्स क्लब के अध्यक्ष एहटेशामूल हक़ व अन्य सदस्य, रतलाम, मध्य प्रदेश के मालवा रेडियो श्रोता संघ के श्रोता भाई लक्ष्मण माल, विक्रम मालविय व अन्य सदस्य, एम.बी.जे. ओड़िसा के श्रोता भाई एस.के. अफ़जल हुसैन, चमपुरी, बिहार के रजीव रंजन, और जनकपुर रोड, सितमर्ही, बिहार के श्रोता भाई अबरार अहमत के लिए पेश कर रही हूँ। उनके द्वारा भेजे गए पत्र हमें मिल गए हैं। अच्छा , अब आप इस गीत का मज़ा लीजिए।
गीत के बोल कुछ इस प्रकार हैं:
चंद्रमा की रोशनी में तुम हो बहुत कमजो़र
हवा बर्फ़ में मैं शराब पी रहा हूं.
कई पीढ़ियों का प्यार है याद मुझे
तुम्हारे आंसू और तुम्हारी मुस्कुराहट
हमेशा याद रहेगा
मेरा प्यार
तुम्हारा बाल हैं बर्फ़ की तरह
विदा ले रही है मुझसे
चांदनी रात सताती है मुझे तुम्हारी याद
तुम्हारे बाल है बर्फ़ की तरह
तुम्हारे आंसू बह रहे हैं
वर्षा की तरह
इन्तज़ार कर रहा हूँ मैं
बूढ़े होने तक पूछता नहीं हूँ
जिन्दगी का प्यार
थांग:अच्छा बहनो और भाइयो, आपका पत्र मिला कार्यक्रम यही समाप्त होता है। इस गीत के साथ-साथ हम आपसे विदा ले रहे हैं । अब अनिल और श्याओ थांग को आज्ञा दें, नमस्कार।
अनिल:नमस्कार।