बद्री प्रसाद वर्मा अनजान आदि श्रोताओं की राय
थांग:ये चाइना रेडियो इन्टरनेशनल है । श्रोताओं को श्याओ थांग का नमस्कार।
अनिल:श्रोताओं को अनिल का भी नमस्कार
थांग: दोस्तो, आपका पत्र मिला कार्यक्रम में स्वागत है। सी.आर.आई. हिन्दी परिवार की शुभकामनाएं है कि आप और आप के परिवारजन खुशहाल रहें और दीर्घायु रहें।
अनिल:आपका पत्र मिला कार्यक्रम में सी.आर.आई हिन्दी प्रसारण पर श्रोताओं की प्रतिक्रिया और चीन के बारे में सवालों के जवाब, तिलबर शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश के श्रोता आर. एन. सिंह की फ़रमाइस पर एक गीत प्रस्तुत किया जाएगा।
अच्छा दोस्तो, अब हमारे सामने है गोरखपुर उत्तर प्रदेश के बद्री प्रसाद वर्मा अनजान का पत्र। अनजान ने अपने इस पत्र में कहा कि आपको कई पत्र लिखे, मगर आपने हमारे किसी पत्र का जवाब नहीं दिया। हम आपके नाम से वाकिफ़ है और मैं सी.आर.आई के 40 साल पुराने श्रोताओं में एक हूँ। मगर आप लोगों ने नए श्रोताओं के आगे हमें भुला दिया, जिसका मुझे दुख है। इधर के आठ सालों मेरा नाम भुला दिया। आपने हमारे साथ कभी फ़ोन से इन्टरव्यू नहीं लिया। पता नहीं आपको हमारा नाम याद होगा या नहीं। हुमिन भाई, हमारे जैसे एक सक्रिय श्रोता को नज़रअंदाज करके गहरा आघात पहुंचाया है। हम दिल्ली से दूर गोरखपुर शहर में रहते हैं, इस कारण आप से मिले नहीं पाते हैं। आज आपसे बातें इस खत के द्वारा कर रहा हूं, उम्मीद है कि हमारे खत का जवाब जरूर देंगे। आपकी रिपोर्ट में सी.आर.आई. पर अकसर सुनता हूँ. बहुत बढ़िया लगती है। आप हमें पत्र व अपना फॉटो जरूर भेजेंगे।
थांग: बद्री प्रसाद वर्मा अनजान जी, आपका यह पत्र पढ़कर हमें दुख हुआ है कि आपने इस पत्र में जिस तरह सी.आर.आई. हिन्दी विभाग के हुमिन आदि पर जो शिकायत की है, उससे हम इतेफाक नहीं रखते। आप हिन्दी विभाग के बहुत पुराने नियमित श्रोता हैं और अकसर हमें लिखते भी हैं। इस बात को हम कभी नहीं भूलते। हमारे विभाग में कर्मचारियों की कई बार तब्दीली हुई है, पुराने लोग रिटायर गो गए हैं और नए लोग आ गए। इन सालों में फिर कई नए चेहरे व नई आवाजें आप लोगों के सामने आ गई है, फिर भी हम पुराने श्रोता मित्रों को कभी नहीं भूलते। पुराने श्रोता मित्रों में आप हैं, चुन्नीलाल कैवर्त है, दीपक कुमार दास है, सुरारी कृष्णराम किसान है, बलवीर सिंह है, हेम सागर नाएक है, सुनील केशरी है, उमेश कुमार है, कौशलेश्वर कुमार वर्मा है, पी.सी. गुप्ता है, काल्क प्रसाद कीर्ति प्रिय है, प्रदीप मिश्रा है, परस राम श्रीवास है, कृष्ण कुमार जयसवाल है, राम कृष्ण प्रसाद और भी कई। वे लम्बे अरसे से सी.आर.आई. हिन्दी प्रसारण सुनते आए हैं और पत्र लिखकर भेजते हैं। वर्तमान में भी वे आपकी ही तरह सी.आर.आई सुनते रहते हैं और समय-समय पर खत लिखकर भेजते हैं। हम आप और उन पुराने श्रोता मित्रों को कभी नहीं भूले, हमारे पुराने कर्मचारी रिटायर होकर चले गए, लेकिन जो नए आए हैं, वे भी पहले की ही तरह पुराने श्रोता मित्रों को पत्र व सामग्री भेजते रहते हैं और उन के पत्र कार्यक्रम में शामिल करते हैं। सी.आर.आई आयोजित ज्ञान प्रतियोगिता पुरस्कार जीतने के लिए मदद करते हैं और जब मौका मिला, तो उन्हें पेइचिंग बुलाते हैं। इधर के सालों में सी.आर.आई की ज्ञान प्रतियोगिताओं में विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों में अनेकों ईमानदार श्रोता मित्रों को चीन की मुफ्त यात्रा के लिए आमंत्रित किए गए हैं। चीन में हमारे हिन्दी विभाग के पुराने व नियमित श्रोता शामिल थे। यह बात हमारे श्रोताओं ने रेडियो प्रसारण से जरूर सुनने को मिली है। लेकिन हमारे श्रोताओं की संख्या अधिक है, नियमित व पुराने श्रोताओं की संख्या भी कम नहीं है। सभी को पेइचिंग में बुलाना असंभव है। हम पते की बात कहते हैं कि इस लिए जो श्रोता मित्र एक बार चीन की मुफ्त यात्रा के लिए आमंत्रित किया गया था, उन्हें दोबारा बुलाने की संभावना जरूर कम है। हम समझते हैं कि आप को हमारी इन बातों का मतलब अपनी समझ में आ सकता है। और अपने पत्र में इस पहलू में ज्यादा शिकायत नहीं करेंगे। वास्तव में आप जानते हैं कि हम आप को नहीं भूले, बल्कि आप को पेइचिंग बुलाना आसान नहीं है, क्योंकि श्रोताओं को ज्ञान प्रतियोगिता में विशेष पुरस्कार देने का अधिकार सी.आर.आई प्रतियोगिता नियामक कमेटी के हाथ में है। न कि किसी भाषा विभाग में। आशा है कि आप हमारी मज़बूरी समझेंगे और हमारे हिन्दी प्रसारण सुनते रहेंगे और सी.आर.आई हिन्दी कार्यक्रमों के बारे में अपनी राय व सुझाव देते रहेंगे। इसके लिए हम आपके आभारी हैं।
अनिल:अच्छा बहनों और भाइयो, अब सुनिए भोजपुर आरा बिहार के राघोराम का पत्र । भाई राघोराम ने अपने पत्र में लिखा है कि रात्रिकालीन प्रसारण यू.टी.सी. समयानुसार 16.00 से 16.57 तक 7395 किलोहर्ज़ पर साफ़, सुन्दर और बेहतर था। विश्व समाचार की प्रस्तुति के बाद पसंदीदा साप्ताहिक कार्यक्रम आपकी पसंद था, जिसे राकेश जी ने अपने स्वर में उद्घोषिका साथी के साथ प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम बेहद मनोरंजक व कर्णप्रिय है। इस कार्यक्रम में प्रस्तुत गानें बेहद अनमोल खजाने से निकाली गई प्रतीत होती थी। इस कार्यक्रम में प्रस्तुत गाने काफ़ी अच्छे लगे। इसके लिए आप सभी का धन्यवाद। इसके बाद राकेश जी और श्याओ थांग जी द्वारा प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम अपनी मातृभाषा में चीनी भाषा सीखिए, इस कार्यक्रम में पार्टी में देर हो जाने पर आप घर वापस लौटना चाहते हैं, तो आप मेज़बान से कहेंगे वाक्य के लिए चीनी भाषा सिखाया गया है, जो चीनी भाषा सीखने में काफ़ी मददगार है।
थांग:बहनो और भाइयो, अब हमारे सामने है रामपुराफुल पंजाब के बलवीर सिंह का पत्र । बलवीर ने अपने पत्र में कहा कि यह जानकर दुख हुआ कि उत्तरी चीन में हो रही भारी बर्फ़बारी के चलते हपै प्रांत के एक स्कूल की कैंटीन की छत् गिरने से आठ बच्चे मारे गए और 28 घायल हो गए। पता चला है कि पिछले 54 सालों में पहली बार इतनी भारी बर्फ़बारी हुई। प्रशासन ने प्रांत की राजधानी शिच्याच्वांग के सभी स्कूल तीन दिन तक बंद कर दिए थे। अधिकारियों के अनुसार यह घटना लौंग फांग प्राईमरी स्कूल में हुई। अब सुरक्षा की दृष्टि से सभी स्कूलों की इमारतों की जांच की जा रही है। पेइचिंग के आसपास व शानसी, ल्याओ निंग व ह पै के मुख्य मार्गों पर तीस हज़ार से अधिक वाहन बर्फ़ में फंस गए। इस बर्फ़बारी के मौसम में पेइचिंग के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दो सौ उड़ानें रद्द की गई थी, क्योंकि पेइचिंग में भी काफ़ी बर्फ पड़ी थी।
अनिल:बलवीर सिंह जी यह जानकर काफी अच्छा लगा कि आप चीन के बारे में इतनी गहराई से नज़र रखते हैं। हमें भी बर्फबारी से हुए जान-माल के नुकसान का बहुत दुख है। दरअसल इस साल सर्दियों में अमेरिका, यूरोप और चीन के कुछ स्थानों में भारी बर्फ़बारी के साथ-साथ बर्फीले तूफ़ान भी आए। जिससे जन-जीवन व यातायात आदि पर बुरा असर पड़ा। प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित लोगों के प्रति सहानुभूति जताना हमारी संवेदनशीलता को दर्शाता है। एक बार फिर आपको धन्यवाद देते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आगे भी चीन से जुड़ी घटनाओं के बारे में पत्र भेजते रहेंगे।
थांग:अच्छा दोस्तो, अब समय आ गया---श्रोताओं के साथ सीधे संपर्क।
बिलासपुर, छत्तीसगढ़ के ग्रीन पीस डी एक्स क्लब के अध्यक्ष चुन्नीलाल कैवर्त हमारे पुराने श्रोता हैं। आपका पत्र मिला कार्यक्रम में बदलाव के बारे में पता लगने पर उन्होंने हमें फोन किया और इससे सहमति जताई। सुनिए उनकी आवाज़
थांग:तिलबर शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश के श्रोता आर. एन. सिंह ने हमें फॉन दिया। अब सुनिए आर.एन. सिंह का विचार।
अनिल:अच्छा दोस्तो, आर.एन. सिंह ने आपका पत्र मिला कार्यक्रम के अंदरगत अपने आप, अपने दोस्तों तथा सभी श्रोताओं के लिए एक गीत की फ़रमाइश की है। फिल्म"मदर इन्डिया"का एक गीत, नाम है"दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा"।"मदर इन्डिया"वर्ष 1957 की फिल्म है, पुरानी होने के बावजूद यह एक बहुत अच्छी फिल्म है और गीत भी बहुत मधुर लगता है। तो लीजिए सुनिए लता-मुकेश की आवाज़ में यह गीत। आशा है कि आर.एन. सिंह और उस के परिजन खुशहाल रहें और स्वस्थ रहें।
थांग:दोस्तो, आपका पत्र मिला कार्यक्रम के जरिए आप गीत की फ़रमाइस भी कर सकते हैं। हमारा आपकी पसंद कार्यक्रम के अलावा, इस कार्यक्रम में हम आपके अनुरोध पर मधुर गीत पेश करने की कोशिश करेंगे। इसके जरिए हमारे बीच की दूरी कम होगी। लेकिन समय कम होने के कारण इस कार्यक्रम में एक सप्ताह में सिर्फ़ एक गीत पेश करना पड़ता है। आप हमारे कार्यक्रम के जरिए अपने रिश्तेदारों, दोस्तों व परिजनों को गीत सुनवा दे सकतें है। साथ ही गीत पेश करने के पूर्व आप सूचक बातें कह सकते हैं और शुभकामनाएं भी दे सकते हैं। यह तो आपका पत्र मिला कार्यक्रम में एक सुधार है। आशा है आपको पसंद आया होगा और पहले की ही तरह इस का समर्थन करते रहेंगे।
अनिल:तो दोस्तो, अब समय आ गया सवाल जवाब का। ढोली सकरा, बिहार के श्रोता दीपक कुमार दास, उज्ल दास, चंदन दास, जयकुमार दास और हेम चंद्र गुरू ने पत्र भेजकर कई सवाल पूछे हैं। इनमें से हम दो के जवाब देंगे। आगे मौका मिलेगा, तो बाकी सवालों का भी उत्तर देंगे। ये दो सवाल हैं कि चीन का वैदेशिक मुद्रा भंडार कितना है?और चीन में बौद्ध धर्म के अलावा कौन-कौन धर्म और धार्मिक समुदाय के लोग हैं?अच्छा अब श्याओ थांग आपको इन सवालों का जवाब देंगी।
थांग: अच्छा। दोस्तो, चीनी वैदेशिक मुद्रा प्रबंधन ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों
के अनुसार वर्ष 2009 के दिसम्बर तक चीन का वैदेशिक मुद्रा भंडार 23 खरब 99 अरब 15 करोड़ बीस लाख अमरीकी डालर है। वर्ष 2009 के दिसम्बर तक चीन ने बड़ी तादाद में अमरीका में अपना राष्ट्रीय बांड को 34 अरब बीस करोड़ अमरीकी डालर कम कर दिया, इस तरह चीन के बीस 7 खरब 55 अरब 40 करोड़ अमरीकी डालर वाला बांड है और चीन अमरीकी बांड प्राप्त दूसरा बड़ा देश बन गया है। इस की चर्चा में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता छिन कांग ने गत फरवरी की 25 तारीख को पेइचिंग में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चीनी विदेशी मुद्रा भंडार के प्रबंधन व प्रचलन बाज़ार की स्थिति व अपनी मांग के अनुसार तय किया जाता है।
अनिल:दीपक कुमार दास और साथियों का दूसरा सवाल है चीन में बौद्ध धर्म के अलावा कौन-कौन धर्म और धार्मिक समुदाय के लोग रहते हैं?श्रोताओ, चीन कई धर्मों वाला देश है। चीन में मुख्य तौर पर बौद्ध धर्म, ताओ धर्म, इस्लामी धर्म, कौथोलिक धर्म और ईसाई रहते हैं। चीनी नागरिक स्वतंत्र रूप से अपनी इच्छानुसार धर्म पर विश्वास करते हैं। अपूर्ण आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में चीन में विभिन्न धर्मिक अनुयायियों की संख्या दस करोड़ से अधिक है, 85 हज़ार धार्मिक गतिविधि सथल हैं, धर्म से संबंधित कर्मचारियों की संख्या तीन लाख है और धार्मिक समुदायों की संख्या तीन हज़ार से ज्यादा है। इसके साथ ही चीनी धार्मिक समुदायों ने धार्मिक कर्मचारी प्रशिक्षण के लिए 74 केंद्र स्थापित कर चुके हैं। चीन में बौद्ध धर्म का इतिहास कोई दो हज़ार वर्ष पुराना है, जो हान राजवंश में भारत से चीन आया है। वर्तमान में चीन में 13 हज़ार बौद्ध धार्मिक मठ हैं, भिक्षुओं और भिक्षुनियों की संख्या दो लाख है, जिनमें तिब्बती लामा बौद्ध धर्म के करीब एक लाख 20 हज़ार भिक्षु व भिक्षुनियां हैं, 1700 जीवित बुद्ध और तीन हज़ार तिब्बती बौद्ध धर्म के मठ हैं। इसके अलावा पाली भाषा वाले बौद्ध धर्म के भिक्षुओं व भिक्षुनियों व आचार्यों की संख्या करीब दस हज़ार है, और मठों की संख्या 1600 है।
थांग:ताओ धर्म चीन में पैदा हुआ, जिसका इतिहास 1700 वर्ष पुराना है। अब चीन में कुल 1500 ताओ धार्मिक मंदिर हैं, इसके धार्मिक कर्मचारी 25 हज़ार है। इस्लामी धर्म ईस्वी सात शताब्दी में चीन में प्रवेश हुआ। इस धर्म का चीन में मुख्य तौर पर ह्वेई जाति और वेवुर जाति समेत दस जातियों के लोग विश्वास करते हैं । इन अल्पसंख्यक जातियों की संख्या एक करोड़ 80 लाख है। वर्तमान में चीन में कुल 30 हज़ार मस्जिद हैं, ईमामों की संख्या चालीस हज़ार से अधिक है । ईस्वी सात शताब्दी में कैथोलिक धर्म कई बार चीन में प्रवेश हुआ। वर्ष 1840 में अफ़ीम युद्ध के बाद यह धर्म बड़े पैमाने तौर पर चीन में प्रवेश किया गया। वर्तमान में चीन में कैथोलिक धर्म के अनुयायियों की संख्या चालीस लाख है, इस से संबंधित कर्मचारियों की संख्या चार हज़ार है और चर्चों व केंद्रों की संख्या 4600 है। इसाई धर्म 19 शताब्दी के शुरू में चीन में आया, और अफ़ीम युद्ध के बाद बड़े पैमाने तौर पर प्रवेश हो गया । वर्तमान में चीन में लगभग एक करोड़ ईसाई अनुयायी हैं और संबंधित कर्मचारियों की संख्या 18 हज़ार है। चर्चों की संख्या 12 हज़ार से अधिक और संबंधित गतिविधि केंद्रों की संख्या 25 हज़ार से ज्यादा है। चीन में लोगों के धार्मिक विश्वास बिलकुल स्वतंत्र है, जिसकी कानूनी रक्षा की जाती है ।
अनिल:अच्छा दोस्तो, आजका कार्यक्रम यही समाप्त होता है। अब श्याओ थांग और अनिल को आज्ञा दें, नमस्कार।
थांग:नमस्कार।