फिलहाल सी आर आई आनलाइन पर सछ्वान के बारे में लखन प्रतियोगिता चल रही है। सीआरआई हिन्दी सेवा के कुछ श्रोताओं ने भी उत्साह के साथ प्रतियोगिता में भाग लेते हुए सछ्वान के बारे में अपना आलेख और फोटो व चित्र भेजे।
तो अब प्रस्तुत है कटनी मध्य प्रदेश के अनिल ताम्रकार का आलेख। नाम है सुन्दर सछ्वान।
सछ्वान प्रान्त दक्षिण चीन पर स्थित है | इस प्रान्त में खड़े अ-र्मेई पर्वत और ल-शान पर्वतों को इस प्रान्त की मुकुट की संज्ञा दी गई है | सछ्वान प्रान्त का अपना एक इतिहास है, यहाँ प्रकृति ने धरती को अपनी बेशुमार सुन्दरता से सजाया है | शांत वातावरण बाग़-बगीचे स्वर्ग का नज़ारा पेश करते हैं | यहाँ की सुरम्य दृश्यवली मनमोहक प्राकृतिक छठा देखते ही बनती है | तभी तो किसी शायर ने कहा भी है की "जन्नत कही है तो वो सछ्वान प्रान्त में है " |
सछ्वान प्रान्त को पांडा की जन्मभूमि के नाम से भी जाना जाता है | इस प्रान्त के अर्मेई और ल शान पर्वतों का इतिहास बौद्ध धर्म से जुड़ा हुआ है | बोद्ध धर्म के लिए यह स्थान पवित्र धरा है | अर्मेई पर्वत बौद्ध धर्म के स्थलों में से एक है | अर्मेई पर्वत सछ्वान प्रान्त के मध्य दक्षिण तथा सछ्वान बेसिन व छिंगहाई तिब्बत पत्थर के संगम भाग में स्थित है | इस पर्वत की ऊंचाई समुद्र तल से अधिक होने के कारण विभिन्न ऋतुओं में यहाँ का नज़ारा अलग-अलग होता है | बौद्ध धर्म का विशेष वातावरण और खूबसूरती और खूबसूरत वनस्पतियों का सुंदर चित्रण जो कि यहाँ पर सदियों से अपना पताका लहरा रही है | प्रति दिन पूजा करने वाल अनुयायीओं के आत्मिक शांति का एहसास होता है | इस पर्वत पर बौद्ध धर्म पर आधारित बुद्ध जी की विभिन्न मुद्राओं वाली अनेक मूर्तियाँ विराजमान हैं, जो अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं |
अर्मेई पर्वत की चोटी पर सूर्य एवं बादल का समागम देखते ही बनता है | सूर्य की रूपहली किरणें जब अर्मेई पर्वत को अपने आगोश में ल लती हैं तो अर्मेई पर्वत की चोटी पर सफ़ेद-सफ़ेद बादल के टुकड़े देखकर ऐसा लगता है मानो वह एक समुद्र हो | तब अहसास होता है कि कुदरत भी कितनी रहस्यमय होती है |
सछ्वान प्रान्त में अर्मेई पर्वत से करीब 30 किलोमीटर दूर पश्चिम में ल शान पर्वत है | इस पर्वत की विश्व में एक अलग पहचान है | यहाँ विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति विराजमान है | इस मूर्ति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह ल शान पर्वत की सीढ़ी खड़ी चट्टान पर खुदी गई है | जिसकी लम्बाई लगभग 70 मीटर से ज्यादा है | मूर्ति का सिर पर्वत की चोटी पर और पैर पर्वत की तलहटी में बहती नदी के तट पर है | इस पर्वत को देखकर लगता है की पूरा ल शान पर्वत एक बुद्ध मूर्ति है |
ल शान पर्वत की तलहटी में बहती नदी की कल-कल आवाज़ यहाँ के वातावरण में रोमांच भर देती है | इस नदी में नीला आकाश, सूर्य की रूपहली किरणों का जादू ,चांदनी रात की मद्धम रौशनी प्रकृति का सुन्दर चित्रण इस नदी में देखने को मिलता है |
छिंग-छंग पहाड़ - छिंग-छंग पहाड़ सछ्वान पहाड़ की एक अनमोल धरोहर छिंग-छंग पहाड़ है | इस पहाड़ पर सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते समय दुनिया की सबसे शांत जगह होने का अहसास होगा | पहाड़ पर प्राचीन पेड़ों की हरियाली छाई रहती है | यह रमणीक स्थान रुपहल संसार से कम नहीं है | और तो यहाँ पर कल-कल बहते झरने हर पर्यटक को आकर्षित करते हैं | झरने के किनारे पंहुचकर शहरी वातावरण से दूर प्राकृतिक नजारों को देखकर मन में उत्साह की तरंगें उठने लगती हैं , क्योंकि जब झरनों की बूँदें हवाओं से उड़कर पेड़ों की पत्तियों पर पड़ती हैं और सूर्य की किरणों के प्रकाश में मोतियों की तरह चमकती हैं तो ऐसा लगता है मानो हल्के कोहरे ने कोमल दुपट्टों की तरह पहाड़ को अपने में लपेट कर उसे किसी पवित्र सुन्दरी के रूप में बदल दिया है |
सछ्वान प्रान्त का प्राक्रतिक वातावरण सांस्कृतिक धरोहरें पर्यटकों को अपने आगोश में लने में तत्पर रहती है | यहाँ के रमणीक स्थल सुनहरे व रूपहल संसार से कम नहीं है | इसी प्रान्त में छिंग-छंग पहाड़ व तु-च्यांग बांध रूमानी जीवन को भरपूर जी लेने की इच्छा रखने वालों के लिए छिंग-छंग पहाड़ से अच्छी कोई जगह नहीं है | यहाँ के सौंदर्य की कल्पना में खोकर एहसास होता है कि वे पर्यटक जो रमणीक स्थलों की ख़ोज में अन्य जगहों की और भागते है, वे शायद छिंग-छंग पहाड़ में बिखरे सौंदर्य से अनजान हैं |