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हिन्दी प्रसारण पर विभिन्न श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं
2009-10-27 14:58:50
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के अनिल कुमार द्विवेदी ने अपने पत्र में कहा कि आप का कार्यक्रम सांस्कृतिक जीवन सुना, इस में शांगहाई में 9 साल पहले शुरू हुए अन्तरराष्ट्रीय कला दिवस का इस वर्ष आयोजन फिर शांगहाई में हुआ। अमेरिका और कनाडा आदि कई देशों से आए कलाकारों ने अपनी कला का जलवा बिखेरा।

दूसरे साप्ताहिक कार्यक्रम में चीन की अल्पसंख्यक जाति सुना । मेरे सभी पसंद कार्यक्रमों में इस का ज्यादा महत्व है। इस का कारण है कि हमें उस जाति की पृष्ठभूमि, परम्परा खास तरह के त्यौहार आदि जो दिलचस्प होते हैं, सुनने को मिलता है। अब आज ही युन्नान प्रांत के ल्यूशान शहर में बसी वा जाति का परिचय मिला। यह अल्पसंख्यक जाति मिट्टी, रंग और चूना एक दूसरे क शरीर पर लगाने मलने का उत्सव मनाती है। यह उत्सव हम भारतीय हिन्दू त्योहार होली की तरह ही समझ सकता है। यहां भारत में मौज मस्ती से रंगों का संबंध है। तो चीन में यह उत्सव मनोकामनापूर्ण होने की अभालाषा को जगाता है। कुछ भी हो, प्रत्येक जाति की अपनी विशेषता व पहचान होती है। वा जाति भी अपनी पहचान इस रंग उत्सव से बनाए हुए है। अन्यथा यह कार्यक्रम ही सी आर आई हिन्दी पर नहीं आता वा जाति के साथ। हां, इस की उत्पत्ति पर आप ने प्रकाश डाला है कि प्राचीन काल में चमड़े या अन्य किसी वस्तु से शरीर न ढक पाने पर ये लोग मिट्टी पोत लिया करते होंगे। भगवान जाने क्या कारण रहा होगा , बहुत से सवाल इतिहास में दफन हो जाते हैं।

यह है पूर्वी चम्पारण बिहार के राम बिलास प्रसाद का पत्र । श्री राम बिलास प्रसाद ने अपने पत्र में कहा कि आप का पत्र मिला कार्यक्रम प्रस्तुत करने वाले भाई बहन जी को हमारी तरफ से प्यार भरा नमस्कार और शुभकामनाएं। सी आर आई से प्रसारित सभी कार्यक्रमों को मैं बराबर सुनता हूं । मुझे बहुत पसंद आया है और शिक्षाप्रद और ज्ञानवर्धक भी लगता है।

आप से मेरी शिकायत है कि मैं आप के पास 60 पत्र भेज चुका हूं, लेकिन आप हमारे एक भी पत्र का जवाब नहीं भेजा, क्यों , क्या गांव में रहने वाले श्रोताओं के पत्रों का जवाब नहीं देते है, यदि यह बात सही है. तो आप हमारे साथ अन्याय कर रहे हैं। सभी श्रोता भाई-बहनों के साथ एक सम्मान न्याय करना चाहिए , अन्यथा नहीं।

राम बिलास प्रसाद जी, आप का पत्र पाकर हमें बड़ी खुशी हुई है, आप को हमारे सी आर आई हिन्दी कार्यक्रम पसंद आते हैं और ज्ञानवर्धक भी लगते है। हमें उम्मीद है कि सी आर आई हमारे कार्यक्रमों से आप को चीन के बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी और हमारे साथ दोस्ती बढ़ जाएगी। आप की शिकायत वास्तव में हमारे साथ अन्याय है, क्योंकि हम सभी श्रोताओं, जो शहर में रहते हो अथवा गांव में हो, को हमेशा बराबर सम्मान से महत्व देते हैं । असल में हमारे ज्यादातर भारतीय श्रोता गांव या कस्बे में रहते हैं, उन्हें हम हमेशा अपना भाई-बहन सरीख समझते हैं। आपके इतने अधिक पत्र हमारे पास नहीं पहुंचे थे, इसी कारण से आप को गलतफहमी हुई। आशा है कि आगे आप को गलतफहमी न होगी। यकीन कीजिएगा कि आप जैसे सभी श्रोतागण हमारे भाई-बहन ही हैं।

रोहतास बिहार के हासिम आजाद ने अपने पत्र में कहा कि आज का तिब्बत कार्यक्रम के अन्तर्गत तिब्बती कोष के बारे में जानकारी दी गयी, जो अत्यन्त ही महत्वपूर्ण लगी।

मानी पत्थर के संबंध में अच्छी बातें सुनने को मिली। मानी पत्थर सफेद होता है। इस पत्थर को चीनी लोग आदर व सम्मान के रूप में अपने घरों में रखते हैं। चीन में पुण्य पाने के लिए तिब्बती लोग बकरी को मठ में भेजकर लाल रंग की पट्टी उस के गले में डाल कर छोड़ते हैं, जिस से यह प्रमाणित होता है कि यह बकरी पुण्य पाने के लिए छोड़ा गया है। इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए बहन शाओ थांग को कोटि कोटि धन्यावाद ।

अब प्रस्तुत है कि मऊ उत्तर प्रदेश के अब्दुल्लाह अंसारी का पत्र । श्री अब्दुल्लाह अंसारी ने अपने पत्र में कहा कि बहुत प्रसन्नता की बात है कि सी आर आई दिन प्रति दिन प्रगति के पथ पर अग्रसर है। एक समय था कि जब आप का प्रसारण केवल रेडियो के माध्यम से ही सुनते ते, अगर किसी वजह से नहीं सुन पाते , तो उस कार्यक्रम से हम से मुलाकात नहीं होती। किन्तु आज का दौर इंटरनेट का दौर है, जब चाहें और जहां चाहें आप से मिल लेते हैं औक केवल मिल ही नहीं लेते , बल्कि जो आर्टिकिल्स हमें बहुत पसंद आते हैं उसे अपनी फाइल में सुरक्षित भी कर लेते हैं। अब रेडियो पर कभी कभी इंटरनेट पर आप का कार्यक्रम मैं अधिक सुनता और पढ़ता हूं। आप की वेबसाइट की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। प्रति दिन कम से कम दो घंटे आप की साइट देखता हूं तभी तो क्लब की तत्कालिक मीटिंग बुला कर क्लब का नाम डिस्कावरी आफ एड्युकेशन क्लब के स्थान पर एड्युकेशन वेबसाइट अल्लिएनस कर दिया गया है । अतः आप से निवेदन है कि इसे अब इंटरनेट की क्लब स्वीकार करने का कष्ट करें।

इंटरनेट पर उपस्थित सभी विषय हमें बहुत अच्छे लगते हैं, चित्र एवं सभी पवाइंटस प्रशंसनीय है । बल्कि इम में से कई एक को तो हम ने प्रिंट भी कर लिया करते हैं। लेकिन क्या रेडियो के द्वारा प्रतियोगिता में भाग लेने वाले श्रोताओं को तो आप पुरस्कार में रेडियो देते है, तो इंटरनेट द्वारा प्रतियोगिता में विजयी होने वाले श्रोताओं को आप कम्प्यूटर देंगे?अगर आप रेडियो ही प्रदान करेंगे, तो मेरी समझ से यह अन्याय होगा । मेरी राय यह है कि कम्प्यूटर नहीं कम से कम एक ऐसा मोबाइल सेट अवश्य दे दें, जिस मं इंटरनेट की सुविधा हो।

अब्दुल्लाह अंसारी जी, सी आर आई वेबसाइट पसंद होने के लिए आप को धन्यावाद । हमें उम्मीद है कि आप को सी आर आई वेबसाइट से चीन और विश्व के बारे में और ज्यादा समाचार और ज्ञान हासिल होगा। इंटरनेट पर प्रतियोगिता में विजयी होने वाले लोगों को पुरस्कार देने के बारे में आप की राय हम सी आर आई के संबंधित विभाग को बता सकते हैं । सुझाव देने के लिए भी आप को धन्यावाद ।

कंगरा हिमाचल प्रदेश के पवन कुमार ने अपने पत्र में कहा कि आप से मिले कार्यक्रम में चंद्रिमा जी ने राधा जी की चीन यात्रा के बहुत अच्छे अनुभव सुनाए ,सुनकर बहुत बहुत अच्छा लगा। इस के लिए मैं राधा जी व आप का आभारी हूं। आज के कार्यक्रम में चीन भारत मैत्री के अन्तर्गत 100 भारतीय छात्रों के ग्रुप की चीन यात्रा पर कार्यक्रम सुना। उसमें से सिमोन सिंह जो पंजाब के हैं, उन के चीन में रहने, शाकाहारी होने पर न परेशानी, चीन की महान दीवार , गांव में जाकर लड़की व उस के फ्रेंड की बातें और दर्शनीय स्थलों की जानकारी उन्हों ने दी है। ग्रुप के लोग बच्चों के स्कूल में बच्चों से मिले और राधा जी ने बताया कि एक गांव में किसान परिवार से मिले । बच्चों से मिलने के दौरान खाना, आइसक्रीम और गिफ्ट आदि देने में कोई भेदभाव व खर्चे की परवाह बगैर राधा व सिमोन जी की यात्रा बहुत सुखद बनी । यह कार्यक्रम व राधा जी व सिमोन जी की आवाज में जो खुशी की झलक मिली, मैं बयान नहीं कर सकता कि चीन के लोग भारतीयों से इतना प्यार करते हैं। मैं तो चीन को नहीं देख पाता, इसलिए ऐसे विचार सुनकर बहुत खुशी मिलती है।

पवन कुमार जी, आप का पत्र पढ़ कर हमें बहुत खुशी हुई है। चीन और भारत के बीच सौ सौ युवाओं के एक दूसरे देश की यात्रा करने की व्यवस्था से दोनों देशों के युवाओं में आपसी समझ और आवाजाही बढ़ायी गयी है, जो एक बहुत अच्छा प्रशंसनीय काम है। हालांकि हम ऐसे ग्रुप में नहीं हैं, फिर भी ग्रुप के अनुभवों से हमें भी बहुत सी लाभदायक जानकारी मिल सकती है। हम इस प्रकार की आवाजाही गतिविधि का समर्थन करते हैं। हमें आशा है कि आप को भी उन के अनुभवों से अच्छी प्रेरणा मिलेगी और आप का जीवन भी और आनंदिद होगा ।

संदर्भ आलेख
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सूचनापट्ट
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• ऑनलाइन खेल :रेलगाड़ी से ल्हासा तक यात्रा
• दस सर्वश्रेष्ठ श्रोता क्लबों का चयन
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श्रोता क्लब
• विशेष पुरस्कार विजेता की चीन यात्रा (दूसरा भाग)
विस्तृत>>
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