सैयद अली सईद जी, पुरानी प्रथा के मुताबिक चीन में संख्या के दस अंकों में आठ और छै मंगलमय माना जाता है , क्योंकि चीनी भाषा में आठ का उच्चारण फा अर्थात समृद्धि के बराबर होता है तथा छै यानी ल्यो में सकुशल होने का मतलब गर्भित है । अंततः चीन में शादि और पर्व समारोह के लिए जो तिथि या समय चुना जाता है, लोग आठ या छै तारीख को पसंद करते हैं ।
किन्तु पेइचिंग ओलंपिक के उद्घाटन के लिए अगस्त आठ तारीख को चुनने का इस पुरानी प्रथा से कोई सरोकार नहीं है । अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के अनुसार ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का उद्घाटन आम तौर पर साल के जुलाई माह में होता है । 2001 में चीन को 2008 में 29 वें ओलंपिक का आयोजन करने का अधिकार दिया गया । वह भी जुलाई में शुरू होना चाहिए था । पर चीन में जुलाई और अगस्त में मौसम बहुत गर्म होता है और बारिश भी ज्यादा होती है , जो खिलाड़ियों के लिए अनुकूल नहीं है । चीनी पक्ष ने अगस्त के अंत या सितम्बर के शुरू में ओलंपिक शुरू करने का सुझाव पेश किया, चूंकि सितम्बर माह में चीन का मौसम सुहावना और शीतल होता है । परन्तु अमरीका और यूरोप में कुछ महत्वपूर्ण खेल प्रतियोगिताओं के अगस्त के अंत और सितम्बर में आयोजन को देखते हुए अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने पेइचिंग ओलंपिक के उद्घाटन के दिन स्थगित कर अगस्त के शुरू में मंजूर किया । इस प्रकार पेइचिंग ओलंपिक का शुरूआती दिवस आठ अगस्त को तय किया गया । चीन में अहम समारोह का आयोजन अकसर रात को किया जाता है, क्योंकि रात में लाइट व्यवस्था को लुभावना तथा रहस्यमय बनाया जा सकता है। अगस्त महीने में चीन में रात की वेला आठ बजे से शुरू होती है । इस तरह पेइचिंग ओलंपिक का उद्घाटन 2008 के आठवें महीने की आठ तारीख की रात को आठ बजे पर पड़ा । आठ से जुड़ने में संयोग जरूर है, पर इसे इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि चीनी लोग इस तिथि समय को ज्यादा पसंद भी करते हैं ।
मऊनाथ भांजन उत्तर प्रदेश के सलमान अहमद अंसारी , अदनान अहमद अंसारी और मुनौवर अली अंसारी आदि मित्रों ने पूछा है कि ओलंपिक खेल कब और कहां से शुरू हुआ, चीन में अब तक कितनी बार ओलंपिक खेल हुआ है .
भाइयो, आधुनिक ओलंपिक खेल 1896 के जून माह में यूनान के एथेन्स में शुरू हुआ था और आधुनिक ओलंपिक खेल के संस्थापक फ्रांस के महान व्यक्ति कुर्बेटिन थे । यूनान प्राचीन ओलंपिक खेलों का आयोजन स्थल था। इसलिए प्रथम आधुनिक ओलंपिक एथेन्य में किया गया। प्राचीन ओलंपिक कुल 292 बार हुए थे, जो 1170 साल तक जारी रहा था ।
चीन का आधुनिक ओलंपिक से संबंध 1908 से शुरू हुआ था । जब 1908 में आधुनिक ओलंपिक लंदन में हुआ , तब उत्तर चीन के थ्येनचिन शहर के छात्रों और एक पत्रिका ने यह तीन सवाल उठाए कि चीन कब अपना प्रथम खिलाड़ी ओलंपिक में भेजेगा, कब अपना प्रतिनिधि मंडल भेजेगा और कब अपनी भूमि पर ओलंपिक का आयोजन करेगा । तब से अब सौ साल गुजरे, चीनियों का यह सपना अखिरकार साकार हो गया कि 2008 में 29 वें ओलंपिक का चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजन हुआ है ।
आधुनिक ओलंपिक परिवार का सदस्य बनने के लिए चीनियों ने सौ साल तक कोशिश की हैं।
1931 में चीनी राष्ट्रीय खेल संघ अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी का औपचारिक सदस्य बना ।
1932 में चीन के प्रथम खिलाड़ी धावक ल्यू छांग छुन ने लॉस एजेंल्स ओलंपिक में भाग लिया ।
1952 में नए चीन के 40 खिलाड़ियों के प्रतिनिधि मंडल ने हैलसिंकी ओलंपिक में हिस्सा लिया ।
1956 के बाद अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी के कुछ लोगों द्वारा दो चीन रचने के कारण ओलंपिक के साथ नए चीन का संबंध टूटा।
1979 में अन्तरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी ने चीन की कानूनू सीट बहाल की । चीन फिर एक बार ओलंपिक परिवार का सदस्य बना ।
1984 में चीनी खेल प्रतिनिधि मंडल ने लॉस एजेंल्स ओलंपिक में भाग लिया और कुल 15 स्वर्ण पदक जीता । यह चीन द्वारा ओलंपिक में प्रथम बार स्वर्ण पदक हासिल हुआ है।
1988 में चीन ने सोल ओलंपिक में पांच स्वर्ण पदक जीता .
1992 में चीन ने बासेलोना ओलंपिक में 16 स्वर्ण पदक जीते ।
1996में एथलांट ओलंपिक में चीन ने 16 स्वर्ण पदक जीते ।
2000 में सिडनी ओलंपिक में चीन ने 28 स्वर्ण पदक पाए ।
2001 में चीन ने 2008 ओलंपिक की मेजबानी प्राप्त की ।
2004 में चीन ने एथेन्स ओलंपिक में 32 स्वर्ण पदक जीते और पदकों की कुल संख्या 63 तक पहुंची, इस तरह चीन विश्व के पहले तीन शक्तिशाली खेल देशों की पंक्ति में प्रवेश कर गया ।
2008 में 29 वां ओलंपिक पेइचिंग में हुआ, चीन ने 51 स्वर्ण पदक जीते और चीन के पदकों की कुल संख्या सौ तक पहुंची । चीन पेइचिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदकों के प्रथम स्थान पर आ गया । इस तरह चीन ने न केवल अपनी भूमि पर ओलंपिक का आयोजन करने का सपना पूरा कर लिया, साथ ही खेल क्षेत्र में अपने को एक बड़ा देश भी साबित कर दिया है ।
मऊनाथ भांजन उत्तर प्रदेश के फैज अहमद फैज और जीशान अहमद फैज आदि मित्रों ने पूछा कि पेइचिंग ओलंपिक 2008 में कितने तमाशाही भारत से चीन गए और विश्व की सब से बड़ी बुद्ध प्रतिमा किस देश में है ।
भाइयो, 2008 पेइचिंग ओलंपिक में भारत से कितने दर्शक चीन आये हैं , इस के बारे में हमारे पास आंकड़े नहीं है। लेकिन भारत से 56 खिलाड़ियों ने पेइचिंग ओलंपिक में भाग लिया है, जिन्हों ने एक स्वर्ण पदक और दो कांस्य पदक जीते हैं , जो भारत के ओलंपिक इतिहास में अभूतपूर्व है ।
जहां तक विश्व में सब से बड़ी बुद्ध मूर्ति का सवाल है , वह चीन में स्थित है । विश्व की सब से बड़ी बुद्ध मूर्ति दक्षिण पश्चिम चीन के सछ्वान प्रांत में बहती मिनचांग नदी के तट पर खड़ा ल्येशान बुद्ध मूर्ति है , वह 71 मीटर ऊंची है । ल्येशान मूर्ति के बाद विश्व की दूसरी बड़ी बुद्ध मूर्ति अफगानिस्तान में निर्मित बामियांग बुद्ध प्रतिमा थी , लेकिन विश्व की इस प्राचीन महा बुद्ध मूर्ति तालिबान द्वारा बारूद से उड़ायी गयी , जो अब नहीं रही । बामियांग प्रतिमा 58 मीटर ऊंची थी , उस के साथ एक दूसरी मूर्ति 38 मीटर थी ।
चीन के सछ्वान में स्थित ल्येशान बुद्ध मूर्ति तीन नदियों के संगम स्थल पर ऊंची खड़ी चट्टान को तराश कर बनायी गयी है , समूची मूर्ति 71 मीटर ऊंची है , उस के सिर की ऊंचाई 14.7 मीटर और चौड़ाई 10 मीटर , कंधे की चौड़ाई 28 मीटर और एक कान की लम्बाई 7 मीटर है । उस के पांव इतने विशाल है, जिस पर सौ लोग बैठ सकते हैं । वह नदी के तट पर बैठी हुए नदी की तेज जल धारा को निहारती सी दिखाई देती है । एक पहाड़ को काट तराश कर एक मूर्ति बनायी गयी है , वह वाकई एक आश्चर्यजनक काम है । यह काम चीन के थांग राजवंश के खाईयुन काल में यानी सन् 713 से शुरू हुआ और 90 साल बाद सन् 803 में इस का निर्माण पूरा हो गया था ।
प्राचीन बुद्ध मूर्ति के अलावा चीन में कुछ स्थानों में अब ऊंची ऊंची बुद्ध मूर्तियां भी बनायी गयी हैं। लुशान काऊंटी के लिंगशान पर निर्मित बुद्ध प्रतिमा 108 मीटर ऊंची है , जिसे विश्व की सब से ऊंची बुद्ध मूर्ति मानी जा सकती है , लेकिन वह पत्थर की नहीं है और ऐतिहासिक महत्व की भी नहीं है ।
फुलिया पश्चिम बंगाल के धीरेन वसाक ने पूछा है कि चीन का सब से ऊंचा पहाड़ कौन सा है ।
धीरेन वसाक भाई , चीन का सब से ऊंचा पहाड़ हिमालय की चुमुलांगमा चोटी है । आप जानते होंगे कि विश्व का सब से ऊंचा पर्वत-माला हिमालय है , हिमालय की सब से ऊंची चोटी चुमुलांगमा चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश और नेपाल की सीमा पर खड़ी है , जो 8844.43 मीटर है , वह विश्व की सब से ऊंची पर्वत चोटी भी है । चुमुलांगमा तिब्बती भाषा है , जिस का अर्थ हिम पर्वत-देवी है । तिब्बतियों के दिल में चुमुलांगमा एक तीर्थ पर्वत है, वे उसे पवित्र समझते हुए सम्मानित करते है ।
वलीदपुर मऊ उत्तर प्रदेश के एस.ए. फारूकी ने चीन के बारे में यह सवाल पूछा है कि चीन की जन संख्या के कुल कितने प्रतिशत मांसाहारी है तथा कितने प्रतिशत शाकाहारी है .
इस समय, चीन की कुल जन संख्या एक अरब 30 करोड़ से ज्यादा है । चीन में लगभग सभी लोग मांसाहारी हैं । धार्मिक विश्वास के कारण शाकाहारी वाले बौद्ध भिक्षुओं को छोड़ कर चीनी लोग आम तौर पर मांस और अंडा खाते हैं । फिर भी स्वास्थ्य और आदत के कारण अब चीन में मांस से परहेज करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है । अभी इस के बारे में कोई आंकड़े नहीं है कि अखिरकार चीनियों में कितने प्रतिशत शाकाहारी है , पर यह जरूर है कि शाकाहारियों की संख्या बढ़ गयी है । सूत्रों के अनुसार अमरीका में शाकाहारियों की प्रतिशत अस्सी के बराबर है और यूरोप में आधी जन संख्या शाकाहारी है । पर चीन में इस की एक प्रतिशत भी नहीं बन सकती ।