भागलपुर बिहार के इजराइल कस्तुरी ने अपने पत्र में कहा कि चाइना रेडियो इंटरनेशनल को हम लोग धन्यावाद देते हैं कि आप लोग इतना अच्छा और संतुलित कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं कि चीन के जीवन शैली के साथ साथ उन के जिन्दा दिली का भी परिचय हो जाता है।
कार्यक्रम के अन्तर्गत जो एक गरीब छात्र के बारे में बताया गया कि उन्हों ने अध्ययन के बाद सब्जी उगाना आरंभ किया , साथ ही उन्हों ने अच्छा मुनाफा भी कमाया।
जहां तक हमारे क्लब सदस्यों की बात है , तो हम लोग इस छात्र के जीवन शैली से बहुत खुश हैं और उन्हें धन्यावाद ज्ञापित करते हैं।
तिब्बत की संस्कृति निःसंदेह सोचनीय और विचारणीय संस्कृति है। कितना अच्छा अंदाज है कि किसी को जीवन प्रदान करने का। यह जानकर बहुत अच्छा लगा कि तिब्बती बंधु बकरा की हत्या देने से बचने के लिए वे धार्मिक अनुष्ठान कर उस के गले में लाल कपड़ा बांधकर छोड़ देते हैं। इस से वह समाप्त होने से बच जाता है।
हमारे देश में भी बलि के बकरा को कान काटकर छोड़ देने से वह मृत्यु से बच जाता है। लेकिन हमारे यहां तो अंगभंग हो ही जाता है। लिहाजा तिब्बती बंधुओं का ही तौर तरीका जीवनदायी है।
रोहतास बिहार के हासिम आजाद ने पत्र लिखकर कहा कि आप के खेल जगत कार्यक्रम के अन्तर्गत एक आलेख सुना, जो चीनी नागरिकों के शारीरिक सुरक्षाके लिए व्यायाम की योजना के संबंध में था।
चीन सरकार ने अपनी धनराशि खर्च करके चीन में व्यायाम सार्वजनिक किया और बहुत से लोगों को अपनी योजना के अन्तर्गत व्यायाम की सुविधा प्राप्त करायी , जिससे हजारों हजार लाभ उठाकर अपने जीवन को स्वस्थ बनाया ।
चीन सरकार की इस उल्लेखनीय योजना के तहत हजारों चीनी लोगों का जीवन सुखमय बनाने के लिए चीन सरकार तथा सी आर आई को हार्दिक बधाई।
सुलतानपुर उत्तर प्रदेश के अनिल कुमार द्विवेदी ने अपने पत्र में कहा कि साप्ताहिक कार्यक्रम चीन में निर्माण व सुधार सुनने को मिला। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के विकास की गाथा तथा भावी विकास परियोजना पर प्रकाश डाला गया जो निश्चित रूपसे हम लोगों के लिए अच्छी जानकारी थी। सपना कभी पूरा होता है जब हम सपना देखते हैं। विकास का देखा गया सपना अवश्य पूरा होगा. यहां संसाधन देखकर देखा गया सपना तो पूरा होना ही है।
साप्ताहिक कार्यक्रम चीन का भ्रमण ---चाओह्वी दीदी की जुबानी सुना। दीदी सुनईंग के बाद मुझे सी आर आई हिन्दी में आवाज सब से अच्छी लगती है, वह चाओ ह्वा की है । अब ये भी रिटायर हो चुकी है। हां तो आज का चीन का भ्रमण में दीदी ने हमें पेइचिंग शहर के होहाई क्षेत्र में घुमाया। शाही प्रासाद और थेन आनमन चौक के नजदीक ही स्थिति है। इस शांत इलाके में प्राचीन विशेषताएं देखने को मिलती हैं। नीला कमल बार, होहाई झील व चहारदीवार दिखती है यहां । गली में घूमने पर इतिहास की झलक मिलती है। लोग रिक्सा से यहां घूमने का पूरा आनंद लेते हैं। स्वाद का आनंद लेने का तरीका भी जानाः पहले खट्टा उस के बाद मीठा फिर कड़ुवा का स्वाद पसंद किया जाता है । गपशप मारने व शराब पीने की बढिया जगह है । सभी दुकानों से चिल्लाने की आवाजें आती हैं। पेइचिंग शहर में शाही महल के साथ होहाई न घूमने पर यात्रा अधुरी मानी जा सकती है।
मऊ उत्तर प्रदेश के एस.ए. फारूकी ने पत्र लिखकर कहा कि आजकल सी आर आई हिन्दी के कार्यक्रम अच्छे प्रसारित हो रहे हैं। मेरी कुछ शिकायतें तथा सुझाव है , वह यह हैः
पत्र मिला कार्यक्रम के अन्तर्गत एक ऐसा कार्यक्रम शुरू करें जो फोन पर आधारित हो। केवल एक ही श्रोता को रोजाना बातचीत न सुनवाए बल्कि अलग अलग श्रोताओं की अलग अलग प्रतिक्रिया लें।
उन पत्रों को भी शामिल करें तथा श्रोताओं से मांगे जिस में कार्यक्रम संबंधी आलोचना तथा सुझाव हो, जिस से कार्यक्रम को और भी बेहतर बनाया जा सके। क्योंकि आजकल तमाम श्रोता इस पर चर्चा कर रहे हैं।
फारूकी को धन्यावाद देते हैं कि आप ने अच्छा सुझाव दिया है। हम जरूर इस पर ध्यान देंगे। आप के नए पत्र और सुझाव के इंतजार में ।
बिलासपुर छत्तीसगढ़ के हेमलाल प्रजापति ने अपने पत्र में कहा कि मैं सी आर आई का नया श्रोता हूं और यह मेरा दूसरा पत्र है। सी आर आई में सांस्कृतिक जीवन के तहत चीनी किसानों को फायदे मिलने पर एक रिपोर्ट सुना, जो बहुत ही उत्तम प्रस्तुति था एवं सार्थक प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत धन्यावाद। सी आर आई के कार्यक्रम मुझे बड़े ही दिलचस्प लगते हैं। चीन की संस्कृति चीन की संक्षिप्त इतिहास, चीन का भ्रमण एवं चीनी बोलना सीखे, सभी कार्यक्रम रोचक और ज्ञानवर्धक होते हैं। इन सभी कार्यक्रमों की प्रस्तुति के लिए आप लोगों को बधाई देने के लिए मेरे पास कोई लब्ज नहीं है। कृपया मुझे क्षमा करे। सी आर आई की स्थापना किस सन में हुआ था और सी आर आई हमारी सेवा में कब से प्रस्तुत कर रहे हैं। मैं सी आर आई के कार्यक्रमों को समय की बड़ी पाबंदी के साथ सुन रहा हूं।
हम आप का सी आर आई के नए श्रोता के रूप में हार्दिक स्वागत करते हैं और उम्मीद करते हैं कि आप आगे नियमित रूप से हमारा हिन्दी प्रसारण सुनते रहेंगे और अपनी राय लिखकर बताएंगे। सी आर आई की प्रसारण सेवा 3 दिसम्बर 1941 में शुरू हुई थी, उस समय केवल जापानी भाषा में रेडियो प्रसारण था । अब सी आर आई विकसित होकर 53 भाषाओं में देश विदेश को कार्यक्रम प्रसारित करता है। सी आर आई की हिन्दी सेवा 15 मार्च 1959 को शुरू हुई, इस साल हम ने धूमधाम के साथ अपनी स्थापना की 50वीं वर्षगांठ मनायी थी।