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चीन को दावस मंच के माध्यम से विश्व अर्थव्यवस्था पर अपना प्रभाव डालना चाहिए
2011-09-13 16:38:06

पिछले साल, दावस मंच के वार्षिक सम्मेलन में अधिकांश उपस्थितों ने भावी विश्व आर्थिक स्थिति पर कुछ न कुछ उम्मीद प्रकट की। किन्तु असल में उस के बाद आर्थिक स्थिति में कोई खास प्रगति नहीं हुई और हालात अधिकांश लोगों की उम्मीद के विपरित और अधिक बिगड़ गयी। इस तरह बहुत से लोगों का अनुमान है कि विश्व भर में आर्थिक विकास दूसरी बार मंदी में पड़ने की संभावना है।


अति विस्तारवादी वित्तीय व मौद्रिक नीति लागू होने के परिणामस्वरूप अमेरिका सरकार अपने वित्तीय बाजार की तबाही को रोकने में सफल तो जरूर हुआ, पर लोगों की उम्मीद की भांति उस की अर्थव्यवस्था पुनःजीवित नहीं हो पायी। वर्ष 2011 में भी अमेरिका की अर्थव्यवस्था में वृद्धि की गति घटती चली जा रही है और बेरोजगार की दर ऊंचाई पर बनी रही है। इसके अलावा अमेरिका में सार्वजनिक वित्तीय स्थिति भी तेजी से बिगड़ती जा रही है। सार्वजनिक कर्ज संकट अमेरिका के माथे के ऊपर अटकाए तलवार सा लगता है जो अभी गिरेगा अभी गिरेगा। अमेरिका सरकार के सामने ऐसे दो विकल्प हैं, जो दोनों कांटे के रहेंगे। एक है विस्तारवादी वित्तीय व मौद्रिक नीति लागू करने से आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करना जारी रखा जाए, लेकिन इस का नतीजा होगा कि वित्तीय स्थिति और बिगड़ जाएगी। दूसरा है कि वित्तीय कार्य पर नियंत्रण कर रखा जाए, तो नतीजे के रूप में उस की आर्थिक वृद्धि पर अंकुश लगेगी और रोजगार के अवसर बढ़ाने का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो सकेगा।

उधर यूरोप में आर्थिक स्थिति और अधिक खराब है, वहां वित्तीय संकट लगातार हुआ करता है। ग्रीस में सार्वजनिक कर्ज की अदायगी नहीं हो पाने की स्थिति पक्की है और अन्य यूरोपीय देशों में वित्तीस संकट हर वक्त मुंह बाए खड़ा हो जाएगा। लोगों में विश्व अर्थव्यवस्था दूसरी बार मंदी में पड़ने की चर्चा जोरों पर चल रही है। ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के स्तंभ लेखक मार्टिन वॉल्फ का जवाब तो इस प्रकार हैः नहीं, क्योंकि हम पहली मंदी से भी निजात नहीं हुए है।

विश्व आर्थिक संकट आने के बाद चीन की अर्थव्यवस्था बराबर दावस मंच में उपस्थित लोगों का ध्यान केन्द्र बनी रहती है। वर्ष 2009 में चीन द्वारा लागू 40 खरब य्वान की वित्तीय प्रोत्साहन योजना मंच में प्रशंसा का पात्र बनी। लोगों की उम्मीद है कि चीन की अर्थव्यवस्था विश्व अर्थव्यवस्था को बचा देगी। वर्ष 2010 में चीन के थ्येनचिन शहर में आयोजित दावस मंच में चीन चर्चा का केन्द्र बना। लेकिन इस के कुछ महीने बाद विश्व में ऐसी चर्चा भी सुनने को मिली है कि चीन की मुद्रस्फिती नियंत्रण की सीमा से बाहर आयी है। लेकिन चीन की वास्तविक आर्थिक स्थिति ने इन सट्टेबाजियों की आशा पर पानी फेरा है। इस साल के अगस्त महीने में आर्थिक आंकड़े चीन के अधिकांश अर्थशास्त्रियों के पूर्वानुमान पर निकले यानी चीन में मुद्रास्फीति पर लगाम लग गया है, आर्थिक वृद्धि दर थोड़ी नीचे आयी, किन्तु ऊंची वृद्धि दर बनी रही । विश्वास किया जा सकता है कि भविष्य की एक अवधि में चीन की अर्थव्यवस्था सामान्य गति पर आगे बढ़ती जाएगी।

फिर भी जैसे चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ ने कहा था कि चीन की अर्थव्यवस्था असंतुलित है और निरंतर विकास के लिए बाधाएं अभी बहुत बड़ी हैं। चीन का आर्थिक विकास अब भी निर्यात पर निर्भर रहता है, विश्व अर्थतंत्र में आयी मंदी का चीन के आर्थिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ा है। चीन में पूंजी के निवेश से प्राप्त होने वाला मुनाफा कम है, ऊर्जा की खपत अधिक है, पर्यावरण की हालत गंभीर है, गरीबी व अमीरी में खाई विशाल है। इन तथ्यों से जाहिर है कि यदि आर्थिक ढांचे में फेरबदल की गति तेज नहीं की जाए और विभिन्न प्रकार के सुधार नहीं किए जाए, तो चीनी अर्थतंत्र का अनवरत विकास असंभव होगा। इस के अलावा यह भी संभव है कि अमेरिका जानबुझ कर मुद्रस्फीति की स्थिति बनाने व अमेरिकी डालर को अवमूल्यन करने के तरीके से अपने कर्ज संकट को मिटाने की कोशिश करेगा। अगर अमेरिका ने ऐसा किया, तो चीन का भारी विदेशी मुद्रा संचय खतरनाक स्थिति में आएगा, इसलिए चीन को इस से सतर्क रहना चाहिए।

चीन के ताल्यन में आयोजित दावस मंच से चीन सरकार और चीनी कारोबारों को विश्व आर्थिक स्थिति के बारे में अधिक जानकारी पाने का मौका मिला है। विश्व की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते चीन अब विश्व आर्थिक विकास में सिर्फ तमाशा देखने वाला नहीं रहेगा, चीन को विश्व आर्थिक मंच का लाभ उठाकर विश्व अर्थव्यवस्था पर अपना प्रभाव डालने की कोशिश करनी चाहिए।

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