चीन में सब से महत्वपूर्ण अख़बार जन दैनिक में 5 तारीख़ को प्रकाशित लेख के अनुसार हाल में ब्राज़ील, भारत, इंडोनेशिया, कोरिया, मेक्सिको , रूस और दक्षिण अफ्रीका आदि देशों की मुद्रा का मूल्य बहुत कम होने का रुझान सामने आया है। नऐ विकसित देशों को आवश्यक उपाय अपना कर अपनी मुद्रा का मूल्य स्थिर करना चाहिए।
लेख के अनुसार देशों की मुद्रा के मूल्य में आई कमी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति के संबंध में है। निवेशकों को इस बात की चिंता है कि अंत में अमेरिका और यूरोप ऋण संकट इन देशों की आर्थिक वृद्धि को प्रभावित करेगा। इसलिए वे नऐ बाज़ार से निकलने और सुरक्षित जगह की तलाश करने की संभावना देखना चाहते हैं।
लेख के अनुसार विकसित देशों ने अपने रोज़गार और आर्थिक वृद्धि के लिए मात्रात्मक ढीली नीति अपनायी और नए बाज़ार वाले देशों में निवेश बढ़ाया। हालांकि नऐ बाज़ार वाले देशों की आर्थिक वृद्धि के लिए धन का प्रवेश एक बहुत महत्वपूर्ण समाधान है। इसलिए नए बाज़ार वाले देशों को अच्छी और लंबे समय से चली आ रही निवेश की नीति अपनानी चाहिये और अवसरवादी निवेश से बचने के लिए कुछ करना चाहिए।
लेकिन वास्तव में नऐ बाज़ार वाले देशों के अवसरवादी निवेश से बचाय का समाधान अच्छा नहीं है। 7 माह में ब्राज़ील की मुद्रास्फीति दर इन छह सालों में सब से ऊंची दर पर पहुंची। आठ माह की 13 तारीख़ को भारतीय खाद्य की मुद्रास्फीति दर 9.8 प्रतिशत पहुंची। दक्षिण अफ्रीका, टर्की, रूस आदि देशों के उपभोक्ता वस्तुओं की मूल्य सूची 5 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक पहुंची। विकसित देशों ने बहुत अधिक धन को वित्तीय और अंतरराष्ट्रीय व्यापार के उपाय से नऐ बाज़ार वाले देशों में प्रवेश किया । इस का परिणाम ऊंची मुद्रास्फीति और धन के मूल्य की वृद्धि थे। इन में अल्पावधि धन बहुत महत्व था।
लेख के अनुसार नऐ बाज़ार देशों में केंद्री. बैकों को समाधान करना चाहिए और उपयोक्ता उपाय से स्थायी मुद्रा टूटने से बचना चाहिए।