11 सितम्बर 2001 की आतंकी घटना के बाद अमेरिका समेत सारी दुनिया में काफी बदलाव आया, जिस में भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुम्बई भी शामिल है। 2008 के बाद भारत के इस बड़े शहर पर अनेक बार आतंकी हमले किए गए जिन से भारी जानी माली नुकसान लगा। हाल के दिनों नई दिल्ली स्थित सी आर आई ब्यूरो के पत्रकार ने मुंबई का दौरा किया और वहां की स्थिति के बारे में कवरेज किया।
मुम्बई शहर भारत का सब से बड़ा शहर है, जहां दो करोड़ लोग रहते हैं, मुम्बई के निवासी रोज इस शहर में भागदौड़ का जीवन बीते हैं और अपने अपने करियर का विकास करते हैं। हालांकि बड़ी आबादी होने के कारण शहर काफी तंगी लगता है, फिर भी यह इन दो करोड़ लोगों का घर है और वे अपने इस घर को बहुत ही प्यार करते हैं। किन्तु इन सालों में उन का यह घर उतना सुरक्षित नहीं हो रहा है, जितना पहले था। वर्ष 2008 के बाद यह शहर भी अनेक बार आतंकी हमलों के शिकार बना और स्थानी निवासियों के दिल पर असुरक्षा की काला साया छायी हो गयी।
11 सितम्बर घटना की दसवीं वर्षगांठ के पूर्व समय, सीआरआई पत्रकान ने मुंबई का दौरा किया और वहां आतंकी हमलों के निशाना स्थल यानी जावरी बाजार में कवरेज किया। जावरी बाजार मुम्बई का सब से बड़ा जवाहर बाजार है, वहां रोज भारी भीड़ लगती है, यही कारण है कि वह आतंकवादियों का पहला निशाना भी बना। वर्ष 1993 और 2003 में जावरी बाजार पर दो बार हमले किए गए, इस साल के 13 जुलाई को आतंकियों ने फिर एक बार इस बाजार में धमाका कर दिया। जावरी बाजार में पीढ़ियों से जौहरी का काम करने वाले 63 वर्षीय हफीड ने इन आतंकी हमलों की याद करते हुए बड़ी दुख के साथ कहाः
अखबारों में जो आतंकी घटनाओं की चर्चा की गयी है, उन्हें समय के गुजरते भूले जाएंगे। जो गई है सो गई, किन्तु फिर कोई न कोई नयी घटना आ जाएगी, इस तरह लोगों को पहले की घटना भूलना पड़ेगी।
बुजुर्ग जौहरी ने दुख के साथ कहा कि आतंकवाद ने इस शहर की अनेकों जानें ले ली थीं, लोगों को उसे नहीं भूलना चाहिए, नयी पीढ़ियों को सतर्क करने के लिए इन हृदयविदारक अनुभवों को समृति की गिरफ्त में रखना चाहिए।
दक्षणि मुम्बई में स्थित लियोपार्ड बार मुम्बई की एक रौनक जगह है, जहां देशी विदेशी लोग रोज आये करते हैं। लेकिन अब इस बार की दीवारों पर पड़े गोलियों के निशान लोगों को याद दिलाते है कि 26 नम्बर 2008 की रात आतंकियों ने हमले के लिए सब से पहले इस बार को चुना और बार में आये लोगों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी।
श्री शशंक चौधरी मुम्बई की एक कंपनी के कर्मचारी हैं और वे लियोपार्ड बार के नियमित ग्राहक हैं। आतंकी हमले की रात वे अपनी गर्लफ्रेंड के साथ यहां भी उपस्थित थे, वे दोनों जान से तो बचे थे, किन्तु उस वक्य की याद जिन्दगी भर नहीं भूल सकेगी। उन का कहना हैः
किसी शहर में रहने के दौरान आप को जरूर सुरक्षित लगता है, मुंबई में रहते हुए मुझे भी ऐसा महसूस होता था, मैं कभी भी नहीं सोच सकता था कि खतरा अपने पास मौजूद है। पर जब आतंकी हमला अचानक आ धमका, तो मैं अवाक् रह गया और विश्वास नहीं हुआ कि इस प्रकार की भयाहक घटना अपने सामने हुई है।
शशंक ने कहा कि घटना के बाद एक लम्बी अवधि में वे और उन की गर्लफ्रैंड घबराहट में रहते रहे थे। क्या जाने जब घबराहट कम होती जा रही थी कि अनायास 13 जुलाई 2011 को आतंकी हमले ने दोबारा मुंबई को हिला दिया।
लियोपार्ड बार के पीछे ताज होटल है, जहां 2008 में दुनिया को अचंभे में डालने वाली आतंकी घटना हुई। इस होटल में आज तक भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था कायम रहती है, यहां आने पर लोगों को ऐसा एहसास हुआ है कि आतंकवाद अब भी दूर नहीं गए हो।
31 साल के शेरखान सरदार 18 साल की उम्र से ही होटल के सामने चौक पर गाईड का काम करता आया है, वे गाईड के काम की कमाई से घर वालों को पालते हैं। लेकिन आतंकी हमले के बाद उन का यह काम मुश्किल पड़ा। उन्होंने बतायाः
अब काम कम होता जा रहा है, बहुत से लोग भारत आना नहीं चाहते, क्योंकि यहां हमले ही हमले है। यद्यपि अब लोगों की संख्या थोड़ी बढ़ी, तथापि वह पहले से बहुत कम है। वास्तव में भारत एक अच्छी जगह है, आशा है कि ज्यादा लोग मुंबई में घूमने आएंगे।
आतंकी हमलों ने मुंबई के हरेक निवासी के जीवन को प्रभावित किया, आतंकी हमलों ने उन्हें असुरक्षा का अनुभव दिया। फिर भी सभी मुंबई वासियों की यह समान अभिलाशा है कि आतंक इस महान शहर से हमेशा दूर जाएगा। श्री शशंक ने कहाः
मैं भारत के अनेक स्थान गया हूं , मुझे लगता है कि मुंबई सब से अच्छा है। कोई बाहर से आया है, मुंबई वासी उसे मदद देने को हर समय तैयार है। मुंबई का मोहन इसी में है। शशंक ने कहाः
मैं भारत को प्यार करता हूं, मुंबई को प्यार करता हूं। मुंबई मेरा हृदय है और भारत मेरी आंखें है।