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छांतु नम्बर 75 अस्पताल तिब्बती बंधुओं को अपना परिजन मानता है
2011-09-05 17:38:31

तिब्बत के छांगतु प्रिफैक्चर में स्थित चीनी मुक्ति सेना का नम्बर 75 अस्पताल पूर्वी तिब्बत में एकमात्र सैन्य अस्पताल है, वहां का चिकित्सीय स्तर ऊंचा है और रोगियों को अच्छी सेवा दी जाती है। अस्पताल के चिकित्सक स्थानीय तिब्बती लोगों के साथ अपने परिजनों जैसा व्यवहार करते हैं। छांगतु प्रिफैक्चर के निवासियों व तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षुओं की नज़र में नम्बर 75 अस्पताल बहुत श्रेष्ठ है, उन्हें विश्वास है कि अगर बीमार हों, तो इस अस्पताल में जरूर इलाज किया जा सकता है।

छ्यांगबालिन मठ छांगतु प्रिफैक्चर में सबसे बड़े और सबसे ऊंचे धार्मिक स्थान वाले तिब्बती बौद्ध धर्म का मठ है। श्यागा इस मठ का एक भिक्षु है, हमारी संवाददाता की मुलाकात उससे हुई, जो नम्बर 75 अस्पताल में उपचार करा रहे मठ के दूसरे भिक्षुओं के साथ है। श्यागा ने कहा:

"हमने उसे परसों इस अस्पताल में भर्ती किया। सूत्र बहस करने के समय वह अचानक बेहोश हो गया और हम उसे जल्दी ही अस्पताल लाए। हमारे मठ के भिक्षु बीमार होते वक्त आम तौर पर इस अस्पताल में इलाज कराने आते हैं। यहां की सेवा बहुत अच्छी है।"

वर्ष 2008 से लेकर अब तक नम्बर 75 अस्पताल द्वारा मठों में जाकर चिकित्सीय सेवा नामक अभियान चलाया, जिसके तहत डॉक्टर अक्सर मठों में भिक्षुओं का मुफ्त इलाज करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने 836 भिक्षुओं के स्वास्थ्य दस्तावेज़ स्थापित किए और उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाता है।

तिब्बती बंधु लासांग जाशी के परिजन लाबा का इलाज इस अस्पताल में किया जा रहा है। दूसरे अस्पताल में एक महीने तक इलाज के बावजूद उसकी हालत अच्छी नहीं हुई। दोस्तों व रिस्तेदारों के कहने पर वह छांगतु नम्बर 75 अस्पताल आया। आश्चर्य की बात यह है कि यहां के चिकित्सकों की बेहतरीन सेवा से उसकी हालत जल्द ही बेहतर हो गई और कारगर उपचार किया गया। इसकी चर्चा में लासोंग जाशी ने कहा:

"दूसरे अस्पताल उसका इलाज नहीं कर पा रहे थे, हमें बहुत दुख होता था। बाद में हम यहां आ गए। और उसकी स्थिति धीरे-धीरे अच्छी हो रही है। हम इस अस्पताल के डॉक्टरों के आभारी हैं।"

छांगतु नम्बर 75 अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर वांग ने रोगी लाबा की स्थिति के बारे में बताया कि वह कैंसर से पीड़ित है। लेकिन ऑपरेशन किए जाने के बाद उसकी स्थिति सुधर रही है। डॉक्टर वांग ने कहा :

"पहले यह रोगी तीन महीनों में लगातार हेमाटुरिया (Hematuria) करता था। हमारे यहां आकर टाइप बी अल्ट्रासॉनिक व सीटी स्कैन के बाद हमें पता चला कि उसके मूत्राशय की बायीं ओर कैंसर है। हमने तुरंत उसका ऑपरेशन करने का फैसला किया। अब उसकी स्थिति अच्छी हो रही है और मूत्राशय की क्षमता बहाल हो रही है।"

रोगी लाबा को ऑपरेशन किए जाने के तीन दिन बाद अपनी स्थित बेहतर लगी। उसने कहा कि छांगतु प्रिफैक्चर के बाहर तमाम रोगी इस रोग से पीड़ित हैं। वे भी इलाज के लिए नम्बर 75 अस्पताल आते हैं और उन्हें विश्वास है कि यहां इलाज करके जरूर अच्छा हो जाएगा। तिब्बती बंधु लाबा ने कहा:

"इस अस्पताल के डॉक्टरों ने मेरा उपचार किया। मैं उनका आभारी हूँ। उनके बिना इस दुनिया में मैं विदा ले गया हूँ। वर्तमान में मेरी स्थिति सुधर गई है। हमारे वार्ड में दूसरे रोगी छांगतु प्रिफैक्चर के बाहर से आते हैं। मुझे विश्वास है कि उनका इलाज भी पूरा हो जाएगा ।"

अस्पताल में आने वाले तिब्बती रोगियों का पूर्ण इलाज करने के साथ-साथ नम्बर 75 अस्पताल के डॉक्टर कभी कभार सड़कों, मठों व गांवों, यहां तक कि दूरदराज पहाड़ी क्षेत्र में जाकर मुफ्त इलाज, मानसिक परामर्श, स्वास्थ्य मार्गदर्शन भी करते हैं। इसके साथ ही वे रोगियों को मुफ्त दवाइयां भी देते हैं। मुफ्त इलाज में किसी गंभीर स्थिति वाले रोगी का पता चलने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज किया जाता है। पारिवारिक आर्थिक स्थिति अच्छी न होने वाले रोगियों के लिए अस्पताल फ़ीस कम करता है या पूरी तरह निशुल्क इलाज करता है।

इधर के दो वर्षों में नम्बर 75 अस्पताल में कुल 30 हज़ार तिब्बती लोगों का मुफ्त इलाज किया गया और दस लाख युआन की मुफ्त दवाइयां दी गयीं, जिनसे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य में सुधार आया।

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