दोस्तो , आज यानी पहली सितम्बर को नये स्कूली सत्र का प्रथम दिन है । पारिवारिक आर्थिक कठिनता से ग्रस्त छात्रों की भरती की गारंटी देने के लिये चीनी विभिन्न स्तरीय शिक्षा विभागों ने इन गरीब छात्रों की मदद करने पर जोर दिया है । साथ ही विभिन्न सामाजिक जगतों ने विविधतापूर्ण माध्यमों के जरिये इन छात्रों को सहायता देने में हाथ भी बटा दिया है , ताकि पारिवारिक आर्थिक कठिनता से ग्रस्त छात्र पढाई से वंचित न हो सके।
चीनी छिंगह्वा विश्वविद्यालय के आर्थिक प्रबंधन कालेज का नया विद्यार्थी थ्येन श्यांग हो नान प्रांत के फिंग तिंग शान के एक गांव से आया है , मां बाप की तबीयत कमजोर होने की वजह से उस के परिवार की हालत बहुत दूभर है , बड़ा भाई मजबूर होकर स्कूल जाने से वंचित हुआ और नौकरी करने बाहर गया । उस ने कहा कि विश्वविद्यालय में पढने और जीवन बिताने में हर वर्ष जो दस हजार से अधिक य्वान खर्च होता है , वह अपने सारे परिवार की सालाना आय के बराबर है । इतना ज्यादा खर्चा संभालने में वह बिलकुल असमर्थ है । सौभाग्य की बात यह है कि छिंगह्वा विश्वविद्यालय ने उसे पेचिंग आने के लिये पैसे दिये ही नहीं , बल्कि उसे छात्रवृति दिलाने में मदद भी दी है , जिस से वह सुचारु रुप से विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हो चुका है ।
छिंगह्वा विश्वविद्यालय आने से पहले प्रवेश कार्यालय के अध्यापक ने मुझे छात्रवृति व्यवस्था के बारे में बता दिया , साथ ही मुझ से कहा कि मैं ग्रीन चैनल से पढ़ाई फीस की भुगतान में कर्ज उठा सकता हूं । प्रवेश होते समय विश्वविद्यालय ने मुझे बिस्तर , मोबाइल फोन और शांपिंग कार्ड भी दे दिये । इस के अलावा छिंगह्वा विश्वविद्यालय ने मेरे लिये हर वर्ष में छात्रवृति के रुप में पांच हजार य्वान देने का प्रबंध कर दिया है , मुझे चार साल की पढ़ाई में कुल बीस हजार य्वान की मदद मिल सकती है ।
ग्रीन चैनल का अर्थ है कि इधर सालों में चीन के विभिन्न उच्च प्रतिष्ठानों द्वारा पारिवारिक आर्थिक कठिनता ग्रस्त छात्रों के लिये स्थापित सहायता प्रणाली है , इसी प्रणाली के जरिये आर्थिक कठिनता से ग्रस्त नये छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है , फिर इन छात्रों को विद्यार्थी ऋण और कार्य अध्ययन से पढाई की गारंटी दी जाती है ।
असल में इधर सालों में पारिवारिक आर्थिक कठिनता से ग्रस्त किसी भी छात्र को पढाई से वंचित होने न देने के लिये चीनी विभिन्न स्तरीय शिक्षा विभागों ने विविध कदम उठा दिये हैं , जिस से बुनियादी तौर पर पारिवारिक कठिनता से ग्रस्त छात्रों को प्राइमरी स्कूल से विश्वविद्यालय तक की पढाई पूरी करने की व्यवस्था कायम हो गयी है ।
चीनी शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय छात्र सहायता प्रबंधन केंद्र से पता चला है कि प्राइमरी स्कूलों व मिडिल स्कूलों में नौ वर्ष की अनिवार्य शिक्षा व्यवस्था लागू होती तो है , पर साथ ही पारिवारिक आर्थिक कठिनता से ग्रस्त सभी छात्रों को मुफ्त में पाठ्य पुस्तकें भी दी जाती हैं , इतना ही नहीं , हर प्राइमरी स्कूली छात्र को साल में 750 य्वान की भत्ता दी जाती है , जबकि मिडिल स्कूली छात्र को हजार य्वान । साधारण हाई स्कूली छात्र को साल में डेढ़ हजार य्वान की भत्ता भी दी जाती है । उच्च प्रतिष्ठानों में छात्रवृति और छात्र ऋण तथा कार्य अध्ययन आदि माध्यमों के जरिये छात्रों की मदद की जाती है । चीनी शिक्षा मंत्रालय के राष्ट्रीय छात्र सहायता प्रबंधन केंद्र के प्रधान चांग क्वांग मिंग ने इस की चर्चा में कहा इधर सालों में छात्रों को आर्थिक सहायता देने में तेजी लायी है । 2010 में समूचे देश के उच्च प्रतिष्ठानों , माध्यमिक व्यवसायिक स्कूलों व साधारण हाई स्कूलों ने पारिवारिक आर्थिक कठिनता ग्रस्त छात्रों के लिये कुल 84 अरब 65 करोड़ य्वान की सहायता धन राशि जुटायी है , जिस में तीस प्रतिशत का इजाफा हुआ है ।
छात्रों को सहायता देने के चलते कुछ स्कूलों ने और अधिक मानवीय तौर तरीकों की खोज भी निकाली है । चालू वर्ष में छिंगह्वा विश्वविद्यालय में कुल तीन हजार तीन सौ नये छात्र प्रविष्ट हुए हैं , जिन में चौथाई भाग के विद्यार्थी पारिवारिक आर्थिक कठिनता से ग्रस्त हैं । छिंगह्वा विश्वविद्यालय के छात्र विभाग के संबंधित जिम्मेदार व्यक्ति श्यांग ह्वी ने इस का परिचय देते हुए कहा कि इस साल विश्वविद्यालय ने माइक्रो ब्लाक खोलकर कठिनता ग्रस्त छात्रों को समय से पहले छात्र ऋण का आवेदन पेश करने में मदद दी है ।
इस के अलावा पारिवारिक आर्थिक कठिनता ग्रस्त बाल बच्चों का स्कूली प्रवेश एक सामाजिक चिन्तित समस्या भी है । पहली सितम्बर को नये सत्र के प्रथम दिन चीनी बाल कोष ने मेरा पहला बस्ता नामी कल्याणकारी गतिविधि चलायी , पूरे देश में करीब 17 हजार नये स्कूली छात्रों ने ये प्यार भरे बस्ते प्राप्त कर पढाई शुरु कर दी है । नये बस्ते में रबड़ , स्टेशनरी , पेंसिल और पेंसिल चाकू आदि सारी चीजें हैं , मैं हररोज उसे लेकर स्कूल जाता हू ।