दोस्तो , चीनी वाणिज्य मंत्रालय और विश्व वैंक की सहाध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय विकास व सहयोग की दक्षता के निर्माण के बारे में संगोष्टी 29 अगस्त को पेइचिंग में आयोजित हुई , मौजूदा संगोष्टी का उद्देश्य दक्षता के निर्माण में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अनुभवों का उपभोग करना और नयी परिस्थिति में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मजबूत बनाने के नये आयाम व नये तौर तरीके पर विचार विमर्श करना है । चीनी वाणिज्य मंत्रालय के उप मंत्री काउ हू छंग ने संगोष्टी में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि विकास की चुनौति के समान मुकाबले के लिये सहयोग के जरिये विकासशील देशों के आत्म विकास की दक्षता को लगातार उन्नत किया जाये ।
चीनी उप वाणिज्य मंत्री काउ हू छंग ने संगोष्टी में कहा कि पिछले अनेक सालों में दक्षता के निर्माण में विकासशील देश विकसित देशों से बहुत पिछड़े हुए हैं , यह दक्षिण व उत्तर विकास के बीच अंतर बढ़ने का प्रमुख कारण ही है , दक्षता के निर्माण में विकासशील देशों की मदद अंतर्राष्ट्रीय विकास व सहयोग का महत्वपूर्ण विषय बन गयी है ।
विकासशील देशों के विकास के बिना , खासकर अति अविकसित देशों के विकास के बिना सारी पृथ्वी में संतुलित व सतत विकास साकार नहीं किया जा सकता । अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को सहयोग सुदृढ़ बनाकर विकासशील देशों की आत्म विकास की क्षमता को लगातार उन्नत करना और समान रुप से विकास की चुनौति का मुकाबला करना चाहिये ।
वर्तमान दुनिया में विकास का वातावरण अत्यंत गम्भीर है , अनाज संकट , जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संसाधनों की सुरक्षा आदि पृथ्वीव्यापी समस्याओं से विकासशील देशों के लिये नयी चुनौति पैदा हुई है । अनेक सालों में चीन आत्म विकास के साथ साथ दूसरे विकासशील देशों के साथ अपने विकास के अनुभवों का उपभोग करने में क्रियाशील रहा है । गत वर्ष हुए संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य के उच्च स्तरीय सम्मेलन में चीन सरकार ने यह वचन दिया है कि आगामी पांच सालों में विकासशील देशों को 80 हजार प्रशिक्षण व संगोष्टी मौके उपलब्ध कराये जायेंगे , साथ ही कृषि , स्वास्थ्य व चिकित्सा , विज्ञान व शिक्षा , स्वच्छ ऊर्जा , जलवायु परिवर्तन के मुकाबले और संकटों की रोकथाम जैसे क्षेत्रों में दूसरे विकासशील देशों के साथ सहयोग मजबूत बनाया जायेगा । इसी बात की चर्चा में काऊ हू छंग ने कहा कि चीन सरकार पहले की ही तरह अंतर्राष्ट्रीय सहयोग करना जारी रखेगा ।
चीन को उम्मीद है कि उपरोक्त प्रयासों के जरिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ विकास की क्षमता व स्तर को लगातार उन्नत करने में व्यापक विकासशील देशों की मदद की जायेगी और संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास लक्ष्य को समय पर साकार बनाने के लिये प्रयास किया जायेगा । उप चीनी वाणिज्य मंत्री फू ची इंग ने सम्मेलन में कहा कि दक्षता के निर्माण में विकासशील देशों की मदद अंतर्राष्ट्रीय विकास व सहयोग का महत्वपूर्ण विषय बन गयी है । इधर सालों में तकनीकी प्रशिक्षण और ज्ञान के उपभोग समेत दक्षता का निर्माण दक्षिण दक्षिण सहयोग का नया विषय बन गया है ।
चीन अब एक बड़ा कृषि प्रधान देश भी है , इसलिये चीन ने कृषि तकनीकों के उपभोग में कुछ काम किये हैं । मसलन हम ने अफ्रीका में चीन अफ्रीका सहयोग मंच के ढांचे तले दसेक कृषि आदर्श केंद्र स्थापित किये हैं , मकसद है कि अफ्रीकी देशों के मित्रों के साथ कृषि विकास में दक्षता का निर्माण स्तर उन्नत किया जाये और चीन के विकास के अनुभवों का उपभोग किया जाये ।
विश्व बैंक के उप गवर्नर संजय प्राधान ने संगोष्टी में कहा कि चीन के विकास का सफल अनुभव अत्यंत विशेष है , जिस से दूसरे विकासशील देशों ,यहां तक कि समूचे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अत्यंत अहम अनुभव उपलब्ध कराया जा सकता है ।
चीन और अन्य कुछ नवोदित आर्थिक समुदाय उत्तरोत्तर महत्वपूर्ण केंद्रिय भूमिका निभा रहे हैं , वे दूसरे देशों को अपने विकास के अनुभवों का उपभोग करने देते हैं , जबकि इसी प्रकार का सम्पर्क और सहयोग विश्व बैंक का विकासशील देशों के साथ सहयोग बढाने का अहम चिन्तित बिन्दु भी है , साथ ही वह हमारे समान हितों से मेल खाता है ।
एशिया , अफ्रीका और यूरोप के 21 देशों तथा विश्व बैंक , संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम , दक्षिण दक्षिण सहयोग आदि अंतर्राष्ट्रीय व क्षेत्रीय संगठनों से आये सौ से ज्यादा प्रतिनिधि संगोष्टी में शरीक हुए । प्रतिनिधियों ने दक्षता के निर्माण व ज्ञान के उपभोग में विभिन्न देशों के सफल अनुभवों व तौर तरीकों , चुनौतियों व मौकों पर सकारात्मक रुप से विचार विमर्श किया ।