इधर के सालों में विज्ञान-तकनीकी कूटनीति का चीनी कूटनीति में स्थान बढ़ गया है। वर्ष 2010 तक चीन और 152 देशों व क्षेत्रों के बीच विज्ञान-तकनीकी सहयोग-संबंध बन चुके हैं और 200 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान-तकनीकी सहयोग की संस्थाओं में चीन की भागीदारी है।
28 तारीख को पेइचिंग में चीनी विज्ञान-तकनीक संबंधी वैदेशिक मामलों पर आयोजित एक कार्य-सभा में कहा गया है कि इधर के पांच सालों में चीनी विज्ञान-तकनीकी कूटनीति ने एक महत्पूर्ण विकास दौर में प्रवेश किया, मौसम-परिवर्तन,ऊर्ज़ा-संरक्षण, अनाज- सुरक्षा आदि कूटनीतिक क्षेत्रों के महत्वपूर्ण विषय बन गए हैं। विज्ञान-तकनीकी कूटनीति ने द्विपक्षीय व बहुपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है।
अपनी समग्र शक्ति और विज्ञान-तकनीकी शक्ति के जैसे-जैसे लगातार बढती गई है,चीन के पास प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान और संबंधित परियोजनाओं में भाग लेने की शक्ति हो गई है।हजार सदस्यों के अंतर्राष्ट्रीय जीन दल की योजना और अंतर्राष्ट्रीय समुद्री दोहन व सर्वेक्षण-योजना में भाग लेने के जरिए चीन ने अमरीका,रूस यूरोप और जापान आदि प्रमुख बड़े विज्ञान-तकनीकी देशों के साथ सहयोग किये हैं और अंतर्राष्ट्रीय मानक बनाने और विश्व सवालों का समाधान करने के लिए अपना योगदान दिया।(होवेइ)