चीन का त्रितीय तिब्बती संस्कृति-मंच हाल ही में आयोजित हुआ,जिससे पता चला है कि इधर के वर्षो में तिब्बत में संस्कृत ताड़-पत्रों के संरक्षण व अनुसंधान में बड़ी कामयाबियां प्राप्त हुई हैं।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के ताड़पत्र संरक्षण कार्यालय के प्रमुख त्सीवांगचुनमई ने जानकारी दी कि चीनी केंद्रीय सरकार अल्पसंख्यक जातियों की परंपरागत संस्कृतियों के संरक्षण व अनुसंधान को अत्यंत अहम मानती है।जून 2006 में तिब्बत में ताड़पत्रों के संरक्षण के लिए एक दल गठित किया गया।इसके बाद के 5 वर्षों में इस दल ने मोटे तौर पर आम जांच,पंजीकरण,संपादन,कोपी करने एवं नामसूची बनाने का काम पूरा कर लिया है।
सूत्रों के अनुसार अद्वितीय प्राकृतिक व सांस्कृतिक पर्यावरण होने के कारण तिब्बत में आज भी संस्कृत,तिब्बती व पाली भाषाओं में कोई हजार किस्मों के ताड़पत्र संरक्षित है,जो बौद्ध धर्म,दर्शनशास्त्र.नैतिकता-विद्या,चिकित्सा और खगोलशास्त्र से संबंधित हैं।तिब्बत में जो संस्कृत ताड़-पत्र पाए गए हैं,वे मुख्यतया 8वीं से 14वीं शताब्दी तक के हैं और उनमें अनेक अकूत दुर्लभ व मूल्यवान माने गए हैं।ये ताड़-पत्र प्राचीन काल में भारत और चीनी तिब्बत के बीच हुए सांस्कृतिक आदान-प्रदान के ऐतिहासिक साक्ष्य हैं और चीन व विदेशों में सामाजिक विज्ञान व तिब्बती संस्कृति के अनुसंधान-कार्य में बड़ा अकादमिक महत्व भी रखते हैं।
चीन का त्रितीय तिब्बती संस्कृति-मंच 20 अगस्त को शुरू हुआ।देश भर से तिब्बती संस्कृति से जुड़े कार्य में लगे विशेषज्ञ,विद्वान और कार्यकर्ता इस में उपस्थित थे।