ली ख-छ्यांग के बधाई-संदेश में कहा गया है कि हांगकांग की समृद्धि और भीतरी इलाके के निर्माण को बड़ी संख्या में ऐसी प्रतिभाओं की जरूरत है,जो घरेलू स्थितियों से परिचित होने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय कानून-नियमों से वाकिफ हैं और आधुनिक ज्ञान व तकनीकों को भी अधिक जानते हैं।हांगकांग व भीतरी इलाके के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान होना लाजिमी है।अगले साल केंद्र सरकार ऐसा विशेष कोष कामय करेगा,जिसके जरिए प्रतिवर्ष हांगकांग विश्वविद्यालय के 1000 विद्यार्थी और अध्यापक अध्ययन,सर्वेक्षण और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए भीतरी इलाके आएंगे।केंद सरकार हांगकांग के अन्य उच्च शिक्षालयों को भी भीतरी इलाके के उच्च शिक्षालयों से सहयोग करने की प्रेरणा देगी।
18 तारीख के तीसरे पहर ली ख-छ्यांग हांगकांग की अपनी 3 दिवसीय यात्रा समाप्त कर पेइचिंग के लिए रवाना हो गए।हवाई अड्डे पर उन्होंने कहा कि इस बार की अपनी हांगकांग-यात्रा में उन्हें 3 अनुभव हुए हैं।एक,राष्ट्रीय सुधार व खुलेपन की प्रक्रिया में हांगकांग की भारी भूमिका हो रही है,भीतरी इलाके और हांगकांग के बीच सहयोग व्यापक तौर पर चल रहा है और उस की भारी गुंजाइश भी मौजूद है।दूसरा,हांगकांगवासी परिश्रमी,काम में संजीदा और व्यावसायिक हैं और हांगकांग का समाज खुला,बहुतत्वीय एवं जीवनी शक्ति से ओत-प्रोत है।तीसरा,उन्हें भरोसा है कि भविष्य में चाहे पर्यावरण में कौन सा परिवर्तन क्यों न आए,`एक देश दो व्यवस्थाएं`की नीति के तले हांगकांग में समृद्धि व स्थिरता अवश्य ही बनी रहेगी।