वर्तमान में यूरोप व अमेरिका का ऋण संकट और विश्व अर्थव्यवस्था की वसूली अस्थिरता के कारण विश्व अर्थव्यवस्था खतरे में फंस गयी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को बहुपक्षीय सहयोग मज़बूत कर इस संकट से निपटना चाहिये। ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रहे विश्व बैंक के महानिदेशक रॉबर्ट जोएल्लिक ने 14 अगस्त को सिडनी में इधर के दिनों में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार में अस्थिरता व विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में भाषण देते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों में अमेरिका की दीर्धकालिक संप्रभुत्ता संबंधी क्रेडिट रेटिंग में गिरावट दर्ज की गयी और यूरोप में ऋण संकट पैदा हुआ ,इसके कारण मुख्य देशों के आर्थिक नेतृत्व पर निवेशकों के विश्वास में काफ़ी गिरावट आयी। ऐसी माहौल में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को स्थिति और खराब होने से रोकने के लिये विशेष रूप से बहुपक्षीय सहयोग मज़बूत करने के साथ-साथ संरक्षणवादी नीतियों का विरोध करना चाहिये।
उन्होंने कहा कि अभी दुनिया विश्व वित्तीय व्यवस्था के पुनःनिर्माण के दौर से गुजर रही है। और आर्थिक केंद्र चीन ,भारत ,ब्राजील व दक्षिण पूर्वी एशिया जैसे विकासशील देशों व क्षेत्रों में स्थानांतरित हो रहा है। भविष्य में विकासशील अर्थव्यवस्थाएं विश्व के वित्तीय विनियमन व मौद्रिक प्रणाली में और महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी।
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में चीन सरकार वित्तीय विनियमन व घर खरीदते समय लोन लेने की सीमा तय करने संबंधी नीति लागू कर रही है,उसका लक्ष्य अर्थव्यवस्था की अत्यधिक गर्मी से निपटना है। इस कदम से मकानों की कीमतों में व्यापक बढ़ोतरी को नियंत्रण करने में सफलता मिल सकती है। उन्हें विश्वास है कि आने वाले समय में चीन सरकार प्रशासनिक हस्तक्षेप आदि कदमों में बदलाव करते हुए कीमत व बाज़ार पर भरोसे वाले निर्णय लेगी।
(रमेश)