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पुराने काशी शहर में पुनर्निर्माण का काम स्पष्ट रूप से ज़्यादातेजी से आगे बढ़ा है
2011-08-09 15:23:46
शिनच्यांग की बात करें, तो लोग ज़रूर दक्षिण शिनच्यांग स्थित काशी का नाम लेंगे।यह दो हज़ार साल पुराना शहर अपनी विशेष वेवुर जातीय इतिहास व संस्कृति और वास्तुशिल्पीय समूह के कारण विश्वविख्यात है।पुरानी वास्तु में काशी का मनोहर जातीय पहलू देख सकते हैं।लेकिन ये भूकंप व आपदा राहत के लिये बड़ी चुनौतियां भी बने हैं।चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के काशी कमेटी के स्थायी सदस्य आईसाच्यांग ने कहा

यहां के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी इस शहर के केंद्र में रहते हैं।बिना किसी योजना व डिज़ाइन के बहुत से मकान बने हुए हैं।आबादी बढ़ने के साथ-साथ ज़मीन कम पड़ी,इसलिये लोगों ने पहले बने मकानों के ऊपर नये मकानों का निर्माण किया।

आईसाच्यांग काशी को काफ़ी जानते हैं।चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के काशी कमेटी के स्थायी सदस्य के रूप में उनका काम है सुरक्षित आवास में रहने के लिये लोगों की मदद करना।जन संख्या के तेज़ गति से बढ़ने तथा सैकड़ों सालों तक हवा, पानी, वर्षा के कारण क्षरित होने से काशी में अधिक से अधिक मकान असुरक्षित हो गये हैं।इसके अलावा लोगों की सुरक्षा के लिये भूकंप एक और समस्या नज़र आती है।गत सौ वर्षों में काशी में केवल 6.0 तीव्रता वाले भूकंप ही 40 से ज़्यादा बार आ चुके हैं।

पिछले कई सालों से पुराने काशी शहर का पुनर्निर्माण कार्य धीरे-धीरे चल रहा था।2008 में स्छ्वान प्रांत के वन छ्वैन में भूकंप आने के बाद पुराने काशी शहर में पुनर्निर्माण का काम स्पष्ट रूप से ज़्यादातेजी से आगे बढ़ा है।सभी 28 क्षेत्रों में रह रहे 65 हज़ार परिवारों के करीब 2 लाख 20 हज़ार निवासियों के मूल हितों से जुड़ी एक परियोजना इस पुराने शहर में शुरू हुई।

शहर के पुराने क्षेत्रों में पुनर्निर्माण को लेकर सबसे पहले स्थायी निवासियों को चिंता हुई।यावागे सड़क पर रहने वाले बुज़ुर्ग यासेन भी चिंतित दिखे भी ।उन्होंने कहा कि

न केवल मुझे बल्कि अन्य नागरिकों को भी ऐसा लग रहा था।अगर हमारे मकान ढहाये जाएं लेकिन मूल स्थान पर नये मकानों का निर्माण न हो,तो हम क्या करें?

काशी के पुराने क्षेत्रों में टूटे-फूटे पुराने मकानों के पुनर्निर्माण कार्यालय के उपनिदेशक आईसाच्यांग ने हमारे सी.आर.आई. के संवाददाता को बताया कि सर्वे करके उन्होंने और उन के सहयोगियों ने नागरिकों के ठोस विचार जान लिए।बाद में उन्होंने जांच-पड़ताल के परिणाम के मुताबिक एक पुनर्निर्माण परियोजना बनायी.जिससे स्थायी निवासियों की अलग-अलग मांगें एक हद तक पूरी हो सकती थीं।आईसाच्यांग ने हमें बताया

नागरिक अपनी मरज़ी से अपने मकानों का पुनर्निर्माण करना चाहते हैं।पहले वे आवेदन देते है।इसके आधार पर उनके लिये तीन योजनाएं हैं।जो दूसरे स्थान जाकर रहना चाहते हैं, वे जा सकते हैं।इसके साथ उन्हें नये मकान या पैसे के रूप में मुआवज़ा मिल सकता है।जो अपने घर से दूर नहीं जाना चाहते हैं,सरकार की मदद के तहत उनके मकान साथ-साथ या अलग-अलग तौर पर हटाए जाने के बाद साथ-साथ बनाये जाएंगे।तीसरी योजना है,जिसके अनुसार लोग खुद अपना मकान ढहा कर पुनर्निर्माण कर सकते हैं।

सालों तक पुराने मकानों में रहते हुए स्थानीय नागरिक पुराने कमरों के ढ़ांचे के आदी हो गये हैं।वे आशा करते हैं कि नये मकानों में परंपरागत ढ़ांचा फिर भी कायम होगा।इसके मद्देनज़र आईसाच्यांग ने परिचय दिया कि

हम निवासियों की इच्छा का पूरी तरह सम्मान करते हैं।पुनर्निर्माण का काम कमरों की परंपरागत शैली के संरक्षण के आधार पर किया जा रहा है।पहले हर परिवार अपने आवास के ढ़ाचे की तस्वीरें प्रस्तुत करते हैं और डिज़ाइनर इन तस्वीरों के अनुसार पुनर्निर्माण के ड्राफ्ट बनाते हैं।प्रति परिवार के लिये एक विशेष डिज़ाइन बनाया जाता है।

इन कदमों को देखते हुए बुजुर्ग यासन को संतोष हो गया ।अंत में वे अपने मकान का मूल स्थान पर पुनर्निर्माण किया जाने पर राज़ी हुए।नीति के मुताबिक मकानों के निर्माण तथा गैस व हिटिंग सिस्टम का खर्च स्थानीय सरकार के द्वारा चुकाया जाता है।और सजावट के लिये नागरिक खुद पैसा देते हैं।हालांकि मकानों के पुनर्निर्माण के लिये उन्होंने कुछ पैसे दिए हैं,नये आवास में रहने के लिये 70 वर्षीय बुज़ुर्ग यासन को फिर भी खुशी हो रही है।उन्होंने कहा कि

मेरे मकान में बड़ी तबदील हुई है।पहले का मकान मिट्टी व लकड़ी से बना था,ज़्यादा सुरक्षित नहीं था।एकमात्र कमरे में रोशनी भी अच्छी नहीं थी।पुनर्निर्माण के बाद मकान बड़ा हो गया है।कमरे में बाथरुम के साथ-साथ गैस व फर्श को गर्म करने की व्यवस्था भी की गयी।कमरे सर्दी के मौसम में भी गर्म रहते हैं।

यासन ने संवाददाता को बताया कि मकानों के पुर्निर्माण के बाद वे फिर भी अपने पुराने पडॉसी और दोस्तों के साथ रहते हैं।खुशी की बात यह है कि उस मस्जिद की भी पुनःसजावट की गयी है,जहां वे नमाज अदा करने जाते हैं।स्थानीय नागरिक अबूलिमी ने कहा कि

शहर के पुराने क्षेत्रों के पुनर्निर्माण के दौरान मस्जिद की सजावट भी की गयी है।अब मस्जिद की स्थिति बहुत अच्छी है।

टूटे-फूटे मकानों के पुनर्निर्माण कार्य में हासिल उपलब्धियों देखते हुए बहुत से लोगों ने अपना रुख बदलकर अपने मकानों का पुनर्निर्माण करवाने की अपील की,जिन्हें पहले ऐसा करने की इच्छा नहीं थी।टूटे-फूटे मकान गायब हो गए हैं,लेकिन काशी का पुराना इतिहास, रीतिरिवाज़ और अनोखी संस्कृति गायब नहीं होगी।ये सब विरासत के रूप में आगे चल रहे हैं।

न सिर्फ़ काशी बल्कि उस से सटी हुए ह थ्येन की आवास योजना से भी लाभ मिला है।यहां पर एक बड़े पैमाने पर टूटी-फूटी झोंपड़ियों की पुनर्निर्माण योजना चल रही है।इस योजना का नाम है राजधानी का उद्यान।इस योजना को पूरा करने के लिये खर्च पेइचिंग के द्वारा किया गया है।पेइचिंग शहर निर्माण ग्रुप में ह थ्येन योजना से जुड़े मैनेजर पैन चियोंग ने पूरी हो रही एक इमारत के बारे में उत्साह से कहा कि

यह कम्युनिटी पेइचिंग ऑलंपिक खेल के लिये निर्मित खिलाड़ी गांव की अवधारणा के आधार पर बनायी जा रही है।इस कम्युनिटी का समूचा आकार खिलाड़ी गांव के समान है।

पैन चियोंग के मुताबिक राजधानी का उद्यान का पहला चरण अप्रैल में समाप्त हुआ,योजना पूरी होने के समय से भी एक महीना जल्द। 276 परिवार इस गर्मी के मौसम में संभवतः नये मकानों में रहने जा सकेंगे।ह थ्येन का मौसम एकदम बदलता है।अचानक चल रही तेज़ हवा से पै चियोंग के कहानी कहने पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा।

भीतरी इलाके की तुलना में ह थ्येन की पर्यावर्ण व मौसम की परिस्थिति ज़्यादा खराब है।यहां रोज़-रोज़ रेतीले तूफान आते रहते हैं।

पिछले साल से लेकर शिनच्यांग के निर्माण की सहायता के लिये पेइचिंग,थ्येन चिन और अन ह्वे आदि दर्जनों प्रांतों ने काम शुरू किया है।ह थ्येन का आर्थिक व सामिजिक विकास अधिक तेज़ गति से होने लगा है।इसलिये वहां निर्माण सामग्री की मांग बढ़ती जा रही है।पैन चियोंग के अनुसार राजधानी का उद्यान की परियोजना के दूसरे चरण में फर्शी क्षेत्रफल एक साख 30 हज़ार से ज़्यादा वर्ग मीटर होगा।और पांच हज़ार परिवार नये आवासों में रह सकेंगे।पर्याप्त सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने पर पैन चियोंग और उनके सहयोगी पूरा ध्यान देते हैं।

शिनच्यांग के निर्माण की मदद करने के लिये कई परियोजनाएं शुरू हुई हैं।इनमें आवास योजना,भूकंप विरोधी कार्य मज़बूत करने की योजना,टूटी-फूटी झोंपड़ियों की पुनर्निर्माण योजना आदि शामिल हैं।सभी योजनाओं के शुरू होने से निर्माण की सामग्री एक समस्या बन गयी है, खास कर ईंटों की आपूर्ति।जब ईंटें भट्ठी से निकलती हैं,वे एकदम बिक जाती हैं।

पूरी योजना में काफ़ी लंबा समय लगने के बावजूद पेइचिंग से आये निर्माता फिर भी जोश से भरे हैं।ह थ्यैन के निर्माण की मदद करने वाले पेइचिंग कमांड में निर्माण से जुड़े उपनिदेशक लू छ्वेन लेई ने राजधानी के उद्यान के पहले चरण का दौरा करने के लिये हमारे संवाददाता का निर्देशन किया।इन मकानों की दीवारें इन्सुलेशन,ध्वनि रोधन व पर्यावरण संरक्षण से संपन्न सामग्री से बनी है।इसलिये मकानों की गुणवत्ता बहुत अच्छी है।लू छ्वेन लेई ने कहा कि

नाम पर यह टूटी-फूटी झोंपड़ी की पुनर्निर्माण योजना है।वास्तव में इस योजना के तहत बने मकान तिज़ारती आवासी मकानों से भी अच्छे हैं।

हांलांकि विभिन्न योजनाएं सुचारू रूप से चल रही हैं,निर्माण में मदद के लिये पूरा काम समाप्त करने में और काफ़ी लंबा समय लगेगा।ह थ्यैन के निर्माण की मदद करने वाले पेइचिंग कमांड कार्यालय के निदेशक हू च्यो लोंग के मुताबिक शिनच्यांग के निर्माण की मदद के लिये पेइचिंग आगामी पांच साल में 7 अरब य्वान से अधिक राशि डालेगा।और शहरों व गांवों में नागरिकों के आवास की स्थिति सुधारने में तरजीह दी जाएगी।हू च्यो लोंग ने कहा कि

पूरी योजना तीन भागों में बंटी है, जिसमें घुमंतू व चरवाहों की बस्तियां बनाना,गांववासियों तथा शहरों के नागरिकों का आवास बनाना शामिल है।पेइचिंग के द्वारा दी गयी राशि का 40 प्रतिशत लोगों के आवासों की स्थिति सुधारने में खर्च होता है।

स्थानीय लोगों की आवास स्थिति सुधाने के अलावा लोगों की आय बढ़ाने के लिये भी मदद दी जा रही है।अब कुछ लोगों को इन योजनाओं से लाभ मिला है।विभिन्न पक्षों की सहायता से अबूला माहम का मकान मज़बूत किया गया है।उन्होंने ग्रामीण पर्यटन सेवा भी मुहैया कराना भी शुरू किया है।पिछले साल के चार महिनों से कम समय में उन्होंने ग्रामीण पर्यटन सेवा से 15 हज़ार य्वान कमाया।उन्होंने एक नयी कार भी खरीदी।अबूला माहम ने हमें बताया

यह कार नयी है।इसे लेने में करीब एक लाख य्वान लगा।पुरानी कार में 45 हज़ार य्वान लगा था।अबूला की ग्रामीण पर्यटन सेवा को देखते हुए अन्य गांववासियों ने भी अपने मकानों की पुनःसजावट कर पर्यटन से कमाई करने की तैयारी की है।संवाददाता ने अबूला से पूछा कि क्या वे इस बात से चिंतित हैं कि पड़ोसियों की ग्रामीण पर्यटन सेवा का उन के कारोबार पर प्रभाव पड़ेगा।इस 41 वर्षीय पुरूष ने शर्मा कर कहा

अगर सभी लोग धनी हो सकेंगे,तो मुझे अधिक खुशी होगी।

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