जनवादी कोरिया के केंद्रीय समाचार एजेंसी ने 5 तारीख को अपनी एक टिप्पणी में कहा कि जापानी मंत्री-परिषद में दूसरी अगस्त को पारित 2011 के वार्षिक रक्षा श्वेत पत्र में टोकडो द्वीप को जापान के मूल भूभाग के रूप में तय किया गया है।यह कोरियाई राष्ट्र के सम्मान और संप्रभुता का उद्दंदतापूर्ण अतिक्रमण वाली आपराधिक हरकत है।जनवादी कोरिया की सेना और जनता इस द्वीप पर जरबन कब्जा करने की जापान की कुचेष्टा को कतई सहन नहीं करेगी।
टिप्पणी में कहा गया है कि टोकडो कोरियाई राष्ट्र का पवित्र भूभाग है,जिसका अतिक्रमण हरगिज नहीं किया जा सकता।जापान इस द्वीप पर अपनी प्रभुसत्ता का दावा इसलिए करता रहा है,क्योंकि वह इस द्वीप से जुड़े सवाल का लोकमत के सहारे अंतर्राष्ट्रीयीकरण करना चाहता है.,ताकि कोई नया वाद-विवाद छिड़ सके और इससे बढकर जनवादी कारिया पर फिर से आक्रमण करने की स्थितियां तैयार हो सके।
टिप्पणी में कहा गया है कि टोकडो द्वीप ऐसी भूमि बिल्कुल नहीं है,जिसका मालिक निश्चित नहीं है और जिसे लेकर विवाद मौजूद है।अतीत में,वर्तमान काल में और भविष्य में भी इस द्वीप पर जापान की कथित संप्रभुता कतई नहीं थी,नहीं है और होगी ही नहीं।
टोकडो द्वीप,जो जापानी में टेकेशिमा कहलाता है,कोरियाई प्रायद्वीप के पूर्वी समुद्री क्षेत्र में खड़ा है,जिसका क्षेत्रफल कोई 0.18 वर्ग कि.मी है।जनवादी कोरिया,कोरिया गणराज्य और जापान तीनों देशों ने इस पर अपनी-अपनी प्रभुसत्ता का दावा किया है।इससमय वह जनवादी कोरिया के नियंत्रण में है।