दोस्तो , चीन स्थित नये अमरीकी राजदूत लो च्या ह्वी ने पहली अगस्त को वाशिंगटन में विधिवत रुप से पदग्रहण की शपथ ली । वे ऐसे प्रथम मौजूदा अमरीकी मंत्रिमंडल स्तरीय उच्च अधिकारी हैं , जो चीन स्थित राजदूत का पद संभाले हुए हैं और अमरीका ने राजदूत के रुप में प्रथम बार चीनी मूल वाले अमरीकी को चीन में भेज दिया है । अमरीकी मिनिस्टर वांग श्याओ मांग को जोड़कर चीन स्थित अमरीकी दूतावास में सचे मायने में चीनी मूल वाली टीम मुख्य भूमिका निभाती है । तो चीन अमरीका संबंध के लिये इस का क्या अर्थ है ।
सर्वप्रथम लो च्या ह्वी को चीन स्थित राजदूत की नियुक्ति से इस बात की अभिव्यक्ति हुई है कि ओबामा सरकार चीन के साथ अपने संबंध को भारी महत्व देती है । इस से पहले जोन हुंगस्मान ने प्रिफेक्चर के गवर्नर की हैसियत से चीन स्थित राजदूत का पद संभाला , फिर चीन स्थित पूर्व राजदूत की हैसियत से राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया , जिस से जाहिर है कि अमरीका सरकार ने चीन स्थित राजदूत के उम्मीदवार की हैसियत , स्थान , प्रभाव और प्रसिद्धि को बड़ा महत्व दिया है । इसलिये जोन हुंगस्मान की जगह लेने वाला उम्मीदवार निश्चय ही उन से कम नहीं हो सकता । जबकि लो च्या ह्वी अपने स्थान , अनुभव और प्रसिद्धि की दृष्टि से स्वभावतः जोन हुंगस्मान से बढ़कर हैं । इस तरह की नियुक्ति से साबित कर दिखाया गया है कि ओबामा ने अमरीका चीन संबंध को जो अमरीका का सब से महत्वपूर्ण द्विपक्षीय संबंध कह डाला है , वह योंही बात नहीं है , उन्होंने सचमुच ही अमरीका चीन संबंध के अत्यधिक महत्व को महसूस कर दिया है ।
दूसरी तरफ जैसा कि बहुत ज्यादा टिप्पणियों में कहा गया है कि वाणिज्य मंत्री की हैसियत से लो च्या ह्वी को चीन स्थित अमरीकी राजदूत की नियुक्त से स्पष्टतः जाहिर है कि अमरीका चीन के साथ आर्थिक व्यापार को ज्यादा महत्व देता है । क्योंकि आर्थिक झंझट , कर्ज संकट और ऊंची बेरोजगारी दर में फंसे अमरीका के लिये अर्थतंत्र को उबारना अत्यावश्यक है । जबकि अमरीका की वर्तमान हालत की दृष्टि से देखा जाये , तो मूल रुप से आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये यह जरुरी है कि आर्थिक ढांचे को सुनियोजित किया जाये और बाहरी निर्यात को बढ़ावा दिया जाय़े । पर आज की दुनिया में बहुत से यूरोपीय देश भी कर्ज संकट में पड़े हुए हैं , जापान भूगम्प के बाद पुनर्निर्माण में लगा हुआ है , रुस , ब्राजिल और भारत जैसे नवोदित आर्थिक समुदाय भी निर्यात या भरपूर संसाधनों पर निर्भर रहते हैं । सिर्फ चीन में विशाल उपभोक्ता बाजार ही नहीं , बल्कि वह आर्थिक ढांचे को सुधारने में क्रियाशील है , अतः वह अमरीका का अपरिहार्य निर्यातित लक्ष्य देश ही है । और तो और चीन का भारी विदेशी मुद्रा भंडार अमरीकी वित्तीय व्यवस्था का समर्थन करता है , इसलिये चीन स्वाभावित रूप से अमरीका का अहम आर्थिक साझेदार बन गया है । इसे ध्यान में रख कर लो च्या ह्वी का महत्वपूर्ण मिशन इसी प्रकार वाले आर्थिक साझेदार की निहित शक्ति को अमरीकी आर्थिक पुनरुत्थान को बढावा देने का इंजन बनाना ही है ।
अंत में चीनी जगत के गर्व और प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ की हैसियत से लो च्या ह्वी की विशेष परवान पृष्ठभूमि और करिश्मा निस्संदेह चीन में फिर एक चर्चित विषय बन जायेगा , जिस से चीन व अमरीका दोनों देशों की जनता के बीच मनोगत फासला कम होगा । इधर सालों में अमरीका सार्वजनिक राजनय को विशेष महत्व देता आया है , चीन स्थित अमरीकी राजदूत की हैसियत से लो च्या ह्वी चीन के साथ सार्वजनिक राजनय में खास भूमिका निभाएंगे । वेशक सार्वजनिक राजनय के पीछे नीतिगत मूल्य का राजनय तो लो च्या ह्वी की होशियारी व शैली को परख रहा है । यदि वे अपने करिश्मा से दोनों देशों की जनता के बीच मैत्री को गहराई में ले जाने में सफल होंगे , तो लो च्या ह्वी एक आसाधारण राजनयिक अधिकारी बन जाएंगे । यदि वे चीन के प्रति अमरीका के नीतिगत मूल्य की राजनयिक भूमिका बढाएं , तो अवश्य ही चीनी जनता की आशा पर पानी फिर जाएगा , जिस से अपने आप को कठिन स्थिति में फंस पड़ेगा । यह नव नियुक्त राजदूत अपनी बुद्धिमत्ता को किस तरह प्रदर्शित करेगा , लोगों के लिये देखना बाकी है ।