जापान द्वारा 2 अगस्त को जारी इस वर्ष के रक्षा श्वेत पत्र में चीन को एक धमकी माने जाने पर चीनी विशेषज्ञों का कहना है कि जापान का ऐसा रुख व कदम ठीक नहीं है, ऐसा करना उसकी स्वयं की रक्षा की गारंटी के लिए उचित नहीं है।
चीनी सामाजिक विज्ञान अकादमी के जापान विभाग के शोधकर्त्ता वू ह्लेजोंग ने विश्लेषण करते हुए कहा कि जापान का ऐसा करने का कारण है कि चीन का विकास इतनी तेजी से हो रहा है कि जापान इसे स्वीकार नहीं कर पा रहा है, खासकर चीन की सामान्य रक्षा गतिविधियों के प्रति। ज़ीरो गेम के विचार से जापान का रुख उचित नहीं है, और चीन की राष्ट्रीय एवं सैन्य शक्ति बढ़ने से जापान रुख ज़्यादा अनुचित लग रहा है।
वू ह्लेजोंग ने कहा कि जापान अपनी रक्षा नीति और सेना की तैनाती की मांग के कारण चीन की सैन्य शक्ति व गतिविधियों को धमकी मानता है। साथ ही ज्यादा रक्षा बजट भी मांग सकेगा।
इस रक्षा श्वेत पत्र में यह भी कहा गया कि डोक्डो द्वीप की संप्रभुता जापान की है। इसलिए कोरिया गणराज्य के विदेश व व्यापार, रक्षा मंत्रालय ने 2 अगस्त को इसका कड़ा विरोध किया।
(दिनेश)