दोस्तो , जनवादी कोरिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पहली अगस्त को प्योंयाओं में कहा कि जनवादी कोरिया बिना किसी शर्त के छै पक्षीय वार्ता में भाग लेगा । विश्लेषकों ने जनवादी कोरिया के इस सकारात्मक रुख की चर्चा में कहा कि कोरियाई प्रायद्वीप के जटिल व परिवर्तनशील मामलों और विभिन्न संबंधित पक्षों के भिन्न भिन्न हितों को ध्यान में रखकर प्रकाश में आये सिलसिलेवार सकारात्मक सिगनलों को सावधानता से देखना जरूरी है ।
जनवादी कोरिया की केंद्रीय समाचार एजेंसी ने पहली अगस्त को अपने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का हवाला देते हुए कहा कि जनवादी कोरिया के प्रथम उप विदेश मंत्री किम क्ये ग्वान ने हाल ही में अमरीका की यात्रा पर अमरीका के कोरियाई मामलात विशेष दूत बोस्वोर्थ के साथ ईमानदार व रचनात्मक वार्ता की , साथ ही अमरीका के साथ जनवादी कोरियाई संबंध को सुधारने और कोरियाई प्रायद्वीप की स्थिर परिस्थिति को सुनिश्चित बनाने तथा छै पक्षीय वार्ता की बहाली करने जैसे सवालों पर विचार विमर्श किया । प्रवक्ता ने कहा कि जनवादी कोरिया बिना किसी शर्त के छै पक्षीय वार्ता की बहाली और साथ साथ कार्यवाही करने के अपने सिद्धांत तले 19 सितम्बर साझा वक्तव्य को पूर्ण रुप से अमल में लाने के रुख पर कायम है । प्रवक्ता ने कहा कि जनवादी कोरिया और अमरीका दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय संबंधों के सुधार पर मतैक्य प्राप्त किया है , दोनों पक्षों का समान विचार है कि शांति वार्ता के जरिये कोरियाई प्रायद्वीप के न्यूक्लीयर मामले का समाधान दोनों पक्षों के हित से मेल खाता है और दोनों पक्ष वार्ता आगे बढाने पर सहमत भी हैं ।
कहा जा सकता है कि जनवादी कोरिया के विदेश मंत्रालय का उक्त रुख अमरीका और कोरिया गणराज्य के साथ जनवादी कोरियाई संबंधों में बदलाव आने का आसार है । 22 जुलाई को जनवादी कोरिया के विदेश मंत्रालय के उप विदेश मंत्री और छै पक्षीय वार्ता के प्रतिनिधि मंडल के नेता री योंग हो और कोरिया गणराज्य के प्रतिनिधि मंडल के नेता वी सोंग लाक ने इंडोनेशिया के बाली द्वीप में वार्ता की , दोनों पक्ष छै पक्षीय वार्ता की शीघ्र ही बहाली की समान कोशिश करने पर राजी हुए हैं । 23 जुलाई को कोरिया गणराज्य के विदेश व वाणिज्य मंत्री किम सोंग ह्वान और जनवादी कोरिया के विदेश मंत्री पाक यी चुन के साथ असार्वजनिक सम्पर्क किया । गत 28 और 29 जुलाई को किम क्ये ग्वान ने अमरीका में दो बार बोस्वोर्थ के साथ वार्तालाप किया ।
वर्तमान में छै पक्षीय वार्ता के विभिन्न पक्षों ने वास्तव में इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है कि कोरिया गणराज्य व जनवादी कोरिया और जनवादी कोरिया व अमरीका के बीच वार्तालाप तथा छै पक्षीय वार्ता वाले कदमों से छै पक्षीय वार्ता की प्रक्रिया को गति दी जाये । लोकमत का मानना है कि हालांकि कोरिया गणराज्य व जनवादी कोरिया और जनवादी कोरिया व अमरीका के बीच वार्तालाप कुछ हद तक साकार हो गया है , पर छै पक्षीय वार्ता की बहाली पर फिर भी ज्यादा आशाजनक नहीं है , क्योंकि यह जनवादी कोरिया , कोरिया गणराज्य और अमरीका के हितों के प्रस्थाबिंदुओं से संबंधित है ।
हालांकि जनवादी कोरिया ने अप्रैल 2009 में छै पक्षीय वार्ता से हटने की घोषणा की , लेकिन उस ने वार्ता की बहाली के गेट को कभी भी बंद नहीं किया और बारंबार छै पक्षीय वार्ता में वापसी की अभिलाषा व्यक्त की । जनवादी कोरिया के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पहली अगस्त को जिस साथ साथ कार्यवाही करने वाले सिद्धांत पर बल दिया , उसे यह समझा जा सकता है कि जनवादी कोरिया अमरीका के साथ सामान्य राजनयिक संबंध की स्थापना और कोरिया गणराज्य द्वारा दिये जाने वाली सहायता की बहाली पर आशाप्रद है । जहांतक कि अमरीका के साथ सामान्य राजनयिक संबंध की स्थापना का ताल्लुक है , यह लम्बे अर्से से जनवादी कोरिया का अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक तकाजा है और कोई भी राजनीतिक और फौजी कार्यवाही करने का उस का प्रमुख उद्देश्य भी है । जबकि वर्तमान अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा सरकार उसे खुशामद करने में असमर्थ है ।
हालांकि कोरिया गणराज्य सरकार ने जनवादी कोरिया के साथ संबंध पर लचीलापन दिखा दिया है , पर यह अर्थ नहीं है कि कोरिया गणराज्य सैद्धांतिक सवालों पर कुछ रियायत देगा । जनवादी कोरिया की हालिया सकारात्मक कार्यवाही के मद्देनजर कोरिया गणराज्य ने विभिन्न संबंधित पक्षों के साथ समन्वय बिठाने में तेज कर दिया । कोरिया गणराज्य की मीडिया के अनुसार कोरिया गणराज्य के विदेश व वाणिज्य मंत्री किम सोंग ह्वान 6 से 9 अगस्त तक रुस की यात्रा पर जाएंगे , कोरियाई प्रायद्वीप की परिस्थिति और छै पक्षीय वार्ता दोनों पक्षों के विचार विमर्श का केंद्र होगा । इस के अलावा कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति भवन के राजनयिक व सुरक्षा प्रथम सचिव चुन योंग वू 9 से 11 अगस्त तक अमरीका की यात्रा करेंगे , दोनों पक्ष जनवादी कोरिया के प्रति नीतियों और अमरीका के साथ गठबंधन जैसे मामलों पर रायों का आदान प्रदान कर देंगे ।
कहा जा सकता है कि छै पक्षीय वार्ता का ढांचा कोरियाई प्रायद्वीप सवाल का समाधान करने का उचित औचित्य ही नहीं , बल्कि ऐतिहासिक अनिवार्य विकल्प भी है ।