अमेरिकी प्रतिनिधि सदन ने 1 अगस्त को मतदान कर ऋण सीमा बढ़ाने और वित्तीय घाटा कम करने के प्रस्ताव पर सहमति जताई, जिससे अमेरिका सरकार ऋण डिफ़ॉल्ट के खतरे से बच जाएगी।
इस प्रस्ताव के अनुसार अमेरिका ऋण सीमा को कम से कम 21 खरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाएगा और दस सालों में घाटे को लगभग 21 खरब अमेरिकी डॉलर कम करवाएगा। प्रस्ताव को दो चरणों में पूरा करना होगा। पहले चरण के तहत ऋण सीमा 9 खरब अमेरिकी डॉलर बढ़ेगा और दस वर्षों में 9 खरब 17 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च घटेगा। दूसरे चरण के तहत कांग्रेस एक विशेष समिति बनाएगी और इस साल के नवंबर के अंत के पहले ऋण की अधिकतम सीमा बढ़ने व घाटे को कम करने की राशि व विस्तृत विषय के बारे में सलाह देगी।
अमेरिकी विधायी प्रक्रिया के अनुसार इस प्रस्ताव पर सीनेट में मतदान के बाद राष्ट्रपति के समक्ष हस्ताक्षर के लिए पेश किया जाएगा। लेकिन अनुमान है कि डेमोक्रेटिक पार्टी नियंत्रित सीनेट इस प्रस्ताव को पारित करेगी।
उसी दिन रूस व जर्मनी ने अमेरिकी संसद के दोनों पार्टियों के ऋण सीमा बढाने पर हुई सहमति का स्वागत किया और अमेरिकी ऋण मामले पर चिंता भी जताई।
रूसी प्रधानमंत्री व्लादिमिर पुतिन ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के विश्व अर्थव्यवस्था व अमेरिकी डॉलर के एकाधिकार में परजीवी बनने की आलोचना की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अमेरिकी संसद की दोनों पार्टियों के ऋण सीमा बढाने पर हुई सहमति से मूल रूप से समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। अंतरराष्ट्रीय आरक्षित मुद्रा के एकाधिकार के रूप में अमेरिकी डॉलर को छुटाने के लिए विश्व में अन्य आरक्षित मुद्रा होनी चाहिए।
जर्मनी के वाणिज्य बैंक के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि हालांकि अमेरिकी संसद में सहमति कायम हो गई है, लेकिन ऋण सीमा बढ़ाने से ऋण समस्या को हल करना और मुश्किल हो गया है और खर्च घटाने से अमेरिका के कमजोर आर्थिक पुनरूत्थान के समाप्त होने का खतरा है।
(नीलम)