पहली जुलाई 2011 छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग शुरू होने की पांचवीं वर्षगांठ है। हाल में हमारे संवाददाता ने पेइचिंग रेलवे स्टेशन से नम्बर टी-27 रेल गाड़ी से"स्वर्ग मार्ग"कहलाने वाले छिंगहाई तिब्बत रेल मार्ग से तिब्बत की यात्रा की। रास्ते पर संवाददाता को इस बात का अनुभव हुआ कि यह स्वास्थ्य गारंटी मार्ग भी है।
" पेइचिंग से ल्हासा की दूरी 3753 किमी. है, इसमें छिंगहाई के गेलमू से राजधानी ल्हासा तक की दूरी 1142 किमी. है, जिसमें 960 किमी. का रास्ता समुद्र सतह से चार हज़ार मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।"
यह आवाज़ पेइचिंग तिब्बत रेल सेवा टुकड़ी के प्रधान कोंग फ़ूलि की है। एक जुलाई 2006 को छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन चालू होने के बाद पेइचिंग से ल्हासा की पहली ट्रेन में वे कंडक्टर थे।
तिब्बत में प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करना लोगों के लिए एक चुनौती है। आप चाहे विमान से यात्रा करें या रेलगाड़ी से, ऊंचे पठारीय क्षेत्र में प्रवेश करते ही कम ऑक्सीजन के कारण लोगों को असहज महसूस होती है। पेइचिंग तिब्बत रेल सेवा के उप प्रधान वांग छांगयुआन ने इसकी चर्चा करते हुए कहा कि पर्यटकों को खुशी से तिब्बत की यात्रा करनी चाहिए। पांच साल पूर्व उन्होंने पेइचिंग तिब्बत ट्रेन सेवा टीम की स्थापना की और पहली टीम के नेता बने। इसके बाद वे"स्वर्ग मार्ग"कहलाने वाले इस रेल लाइन पर सौ से ज्यादा बार यात्रा कर चुके हैं।
पठारीय क्षेत्र पहुंचने से पहले ट्रेन के सेवक गाड़ी के हर डिब्बे में पर्यटकों को《स्वास्थ्य स्थिति आवेदन पत्र》देते हैं, ताकि प्रत्येक यात्री की स्थिति का पता चल सके। इस आवेदन पत्र और पर्यटकों के साथ बातचीत कर ट्रेन के सेवक कई महत्वपूर्ण यात्रियों पर ध्यान देते हैं, मसलन ज़ुकाम होने और मस्तिष्क व हृद्य रोग से पीड़ित व्यक्तियों का ज्यादा ख्याल रखा जाता है। वे यात्रियों की सीट, पहुंचने वाले स्टेशन, उनकी परेशानी आदि का पता लगाकर विशेष सेवा और रिकॉर्ड करते हैं।
छिंगहाई तिब्बत रेल कंपनी की शिनिंग यात्री सेवा विभाग के कर्मचारी वांग थाओ ने जानकारी देते हुए कहा:
"शिनिंग यात्री सेवा विभाग के अधीनस्थ ट्रेन टीम के सदस्य एक छोटी लाल रंग की दिल के आकार वाली चीज़े ट्रेन में रखते हैं, जहां यह चीज़ रखी जाती है, वहां एक महत्वपूर्ण यात्री होता है।"
आपात स्थिति से निपटने के लिए छिंगहाई तिब्बत रेल कंपनी ने रेल लाइन के दोनों ओर स्थित छिंगहाई व तिब्बत के अस्पतालों के साथ आपात चिकित्सीय सेवा अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही ट्रेन में सेवा करने वाले सेवकों को संबंधित चिकित्सीय तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि सरल स्थिति व सामान्य रोग के ईलाज में उनकी क्षमता बढ़ सके। इस तरह आकस्मिक गारंटी व्यवस्था की स्थापना और ट्रेन सेवकों के ज़िम्मेदार रवैये से रेल यात्री सुरक्षित व सुविधापूर्ण यात्रा कर सकते हैं।
वास्तव में पठार की प्रतिकूल परिस्थिति में हर व्यक्ति समान होता है। ट्रेन में कार्यरत सेवकों, बावर्चियों और चालकों को सौ से ज्यादा बार पठारीय क्षेत्र में आने जाने के बावजूद दूसरे यात्रियों की तरह प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। इस तरह रेल कंपनी कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान देती है। पेइचिंग तिब्बत रेल सेवा के उप प्रधान वांग छांगयुआन ने कहा:
"हमारी कंपनी के नेता पेइचिंग-ल्हासा रेल गाड़ी के सभी कर्मचारियों के स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देते हैं। पांच साल में ट्रेन सेवा दलों की संख्या दस से बढ़कर पंद्रह तक पहुंच गई है। अब हर तीन दल एक ही ट्रेन में सेवा करते हैं।"
इसके अलावा पठारीय क्षेत्र में होने वाले रोगों की रोकथाम के लिए पेइचिंग तिब्बत रेल कर्मियों की हर साल दो बार शारीरिक जांच की जाती है। वर्ष 2008 से ही पेइचिंग रेलवे ब्यूरो साल में अच्छी तरह आराम के लिए उन्हें छुट्टियां भी देता है।
पिछले पांच साल में छिंगहाई तिब्बत रेल में कार्यरत कर्मियों को लगातार आभार पत्र दिया जाता है। क्योंकि वे सच्ची भावना व मेहनत से काम करते हैं और स्वर्ग मार्ग जाने के रास्ते में यात्रियों को सच्चा प्यार देते हैं।