तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाज़े प्रिफैक्चर के सीमांत क्षेत्र चांगमू कस्बे में 101 वर्षीय दादी मां त्सेरन छ्वुचङ रहती हैं। पिछले 45 वर्षों में वह हर रोज़ अपने घर के आंगन में राष्ट्रीय झंडा फ़हरा रही हैं। स्थानीय लोग उन्हें प्यार से राष्ट्रीय झंडे वाली दादी मां पुकारते हैं।
दादी मां के घर के आंगन में हरे भरे पेड़ों में रोज़ लाल रंग वाला राष्ट्रीय झंडा फहरता है, जिससे चांग मू कस्बे के पांगछुन गांव में एक विशेष व सुन्दर दृश्य नज़र आता है। दादी मां त्सेरन छ्युचङ पहले भूदास थी। मुक्ति के बाद वे गांव में एक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्या बन गईं। पिछले कई दशकों में उनके जीवन में भारी परिवर्तन आया है।
दादी मां की कहना है कि साठ साल पूर्व चीनी जन मुक्ति सेना पांच सितारे वाला झंडा उठाकर चांग मू में आई, उसने पहली बार राष्ट्रीय झंडा देखा था। तिब्बत में दस लाख भूदासों की मुक्ति के वक्त उसने दूसरी बार पांच सितारे वाला राष्ट्रीय झंडा देखा। उस समय पर उन्होंने सरकार द्वारा प्रदत्त भूमि प्रमाण पत्र प्राप्त किया, जिस पर पांच सितारे वाला झंडा डिज़ाइन किया गया था। दादी मां को पहली बार ज़मीन व पशु मिले।
तब से दादी मां त्सेरन छ्वुचङ व राष्ट्रीय झंडे के बीच गहरा संबंध कायम रहा है। हर दिन राष्ट्रीय झंडा फहराना उनकी रोज़ाना का काम होता है। दादी मां ने कहा:
"मैं सोचती हूँ कि राष्ट्रीय झंडे को जरूर फहराया जाना चाहिए। उसे फहरते हुए देखने में मुझे बहुत खुशी होती हैं। इसलिए मैं हर रोज़ झंडा फहराती हूं।
हर दिन झंडे को बाहर लाना, फहराना और इसे झुकाकर घर में वापस लाना दादी मां का रोज़ाना का काम है, ऐसा वह पिछले 45 साल कर रही हैं। करीब आधी शताब्दी में दादी मां का विकल्प कभी नहीं बदला, जिन्हें स्थानीय लोगों का सम्मान हासिल हुआ।
हाल में दादी मां ने अपना 101 वां जन्म दिन मनाया। हालांकि हर दिन खुद राष्ट्रीय झंडा नहीं फहरा सकती, वह हर दिन झंडा देखती हैं और धवज-स्तंभ को साफ़ करती हैं। चांगमू कस्बे के शीर्ष नेता बासांग वांगत्वे ने कहा:
"घर के आंगन में राष्ट्रीय झंडा फहराना आसान बात है। यह सब लोग कर सकते हैं। लेकिन वर्ष 1965 से आज तक 45 सालों में एक दिन की तरह राष्ट्रीय झंडा फहराना आसान बात नहीं है, इसके लिए दृढ़ मानसिक भावना होनी चाहिए।"