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हान कर्मचारियों की आंखों में तिब्बत की छ्युश्वेइ कांउटी का कायापलट
2011-07-27 11:24:04

इस वर्ष 23 मई को तिब्बत में शांतिपूर्ण मुक्ति की 60वीं वर्षगांठ थी। पिछले साठ सालों में तिब्बत का तेज़ विकास होने से स्थिति में व्यापक परिवर्तन आया। हाल में हमारे संवाददाता ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा स्थित छ्युश्वेइ कांउटी का दौरा किया और वहां कार्यरत चीनी हान जातीय कर्मचारियों से मुलाकात की। देखिए एक रिपोर्ट, शीर्षक है"चीनी हान जातीय कर्मचारियों की आंखों में तिब्बत की छ्युश्वेइ कांउटी का परिवर्तन"।

छ्वुश्वेइ कांउटी तिब्बत में एकमात्र कांउटी है, जो राष्ट्र स्तरीय कृषि सुधार परीक्षण केंद्र है। हमारे संवाददाता की मुलाकात कांउटी के शीर्ष नेता चो क्वांगची से हुई, जो इस काउंटी में लगातार पांच सालों तक काम कर रहे हैं। इस चीनी हान जातीय नेता कर्मचारी की आंखों में स्थानीय तिब्बतियों के रिहायशी मकान, आय स्तर तथा खानपान ढांचे आदि में भारी बदलाव आया है। स्थानीय तिब्बती बंधुओं के दिल में तिब्बती जातीय कर्मचारियों व हान जातीय कर्मचारियों में कोई फर्क नहीं है। इस तरह भीतरी इलाके के च्यांशी प्रांत से आए चो क्वांची स्वेच्छे से छ्वुश्वेइ काउटी में अपनी कार्यकाल बढ़ाया।

छ्वुश्वेइ कांउटी ल्हासा नदी के निचले भाग में स्थित है, जो तिब्बत के अनाज अड्डों में से एक ही नहीं, बल्कि एक मात्र राष्ट्र स्तरीय ग्रामीण कृषि सुधार परिक्षण केंद्र भी है। इधर के वर्षों में इस काउंटी में कृषि ढांचे को बदल कर सब्ज़ी ग्रीनहाउस के विकास पर जोर दिया गया है। वर्ष 2007 से चो क्वांगची छ्वुश्वेइ कांउटी में काम करने लगे। उन्होंने कहा कि इधर के सालों में स्थानीय खानपान से लेकर आवास आदि में नागरिकों के जीवन में भारी परिवर्तन आया है। रिहायशी मकानों की स्थिति से देखा जाए, तो इस कांउटी का स्तर भीतरी इलाके के कई स्थलों से बेहतर है। उन्होंने कहा:

"मुझे याद है कि वर्ष 2007 में मैं यहां आया था, उस समय कुछ स्थानीय तिब्बती लोग बंगले में रहते थे। लेकिन आज हमारी काउंटी के 60 प्रतिशत लोग दो मंज़िला मकान में रहते हैं और उनकी रिहायशी मकान स्थिति भीतरी इलाके के कई स्थलों से अच्छी है। इसके साथ ही नागरिकों के खानपान ढांचे में भी भारी परिवर्तन आया है। पहले तिब्बती लोग सिर्फ़ जांनबा(एक किस्म की तिब्बती खाना, जो जौ के आटे से बनाया जाता है) खाते थे, लेकिन आज वे चावल, सब्ज़ियां व मांस खाते हैं।"

चो क्वांगची के अनुसार वर्तमान में तिब्बती लोगों के जीवन स्तर भी उन्नत हुआ है। स्थानीय नागरिकों की आय भी तेज़ी से बढ़ रही है। वर्ष 2007 में उनकी औसतन आय करीब तीन हज़ार थी, लेकिन वर्ष 2010 में स्थानीय लोगों की औसतन आय पांच हज़ार से अधिक हो गई।

सितंबर वर्ष 2010 में ल्हासा शिकाज़े रेल लाइन का निर्माण शुरू हुआ, यह छिंगहाई तिब्बत रेल लाइन का विस्तारित भाग है, जिसकी लम्बाई 253 किलोमीटर है और इसमें कुल दस अरब 80 करोड़ युआन लगाया गया है। ल्हासा शिकाज़े रेल लाइन का एक तिहाई भाग छ्वुश्वेइ कांउटी में है। चो क्वांगची ने कहा कि इस रेल लाइन के निर्माण से तिब्बती लोगों को ज्यादा रोज़गार व समृद्धि के मौके मिले। उनका कहना है:

"वर्तमान में चीन के भीतरी इलाके व तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के बीच आदान प्रदान ज्यादा होने लगा है। हम एक दूसरे से सीखते हैं । वर्ष 2007 में जब मैं यहां आया था, तो मैंने देखा कि तिब्बती लोग मुख्य तौर पर खेती-बाड़ी के साथ-साथ पशुपालन करते थे, उनके पास ज्यादा खाली समय था। इस तरह अगर उनके पास ज्यादा काम नहीं होता, तो वे घी और जौ का मदिरा पीते थे। लेकिन आज इस प्रकार की स्थिति कम देखी जाती है। यहां के तिब्बती लोगों के पास ज्यादा काम होने के कारण वे ज्यादा व्यस्त रहते हैं। इससे वे ज्यादा परियोजनाओं में भाग लेने के अलावा ज्यादा नौकरी प्राप्त कर अधिक कमाई करेंगे, जिससे आर्थिक विकास भी तेज़ होगा।"

तिब्बत के विकास को आगे बढ़ाने के लिए चीन की केंद्र सरकार ने वर्ष 1994 में केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों व भीतरी इलाके के 15 प्रांतों व केंद्र शासित शहरों द्वारा तिब्बत की सहायता देने की महत्वपूर्ण नीति अपनायी गयी। तिब्बत की सहायता देने वाले भीतरी इलाके से आए हान जातीय कर्मचारी के रूप में चो क्वांगची को पहले यहां महसूस हुआ था कि हान व तिब्बती कर्मचारियों के साथ अलग-अलग व्यवहार किया जाता है। लेकिन आज यह स्थिति बिल्कुल बदल गई। उन्होंने कहा:

"वस्तुगत तौर पर कहा जाए, तो पहले यहां तिब्बती व हान जाति वाली विचारधारा यहां मौजूद थी, लेकिन आज यहां इस प्रकार की विचारधारा बिल्कुल नहीं है, हम तिब्बती कर्मचारियों के साथ भाइचारा संबंध कायम रखते हैं।"

इन सभी वजहों से करीब पचास साल के चो क्वांगची ने फैसला किया कि तिब्बत में तीन सालों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे इसे बढ़ाएंगे। वे तिब्बती कर्मचारियों, साथियों व दोस्तों के साथ तिब्बत के विकास में अपना और योगदान देने को तैयार हैं।

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