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मुम्बई में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों में 160 हताहत
2011-07-14 16:29:42

मुंबई में 13 जुलाई की रात श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए, जिन में पेइचिंग समय के अनुसार 14 तारीख की सुबह तक कम से कम 21 लोग मारे गए और अन्य 140 घायल हुए। अभी तक किसी ने इस विस्फोट की जिम्मेदारी उठाने की घोषणा नहीं की है।

13 जुलाई की रात सात बजे, दक्षिण भारत के मुंबई शहर में सिलसिलेवार तीन विस्फोट हुए, पहला विस्फोट मुंबई के भीड़भाड़ वाले जावेरी बाजार में हुआ था, शहर के प्रमुख वाणिज्य मंडी होने के कारण उस समय बाजार में भारी भीड़ थी, सात बजे के आसपास पूर्व समय से छिपाए दो बमों का अचानक विस्फोट हुआ, भारी धमाकों के साथ बहुत से लोग हताहत हुए और जगह जगह खून से लथपथ हुई। इस के एक मिनट बाद मुंबई के दक्षिण भाग में स्थित ओपेरा हाउस के बाहर भी धमाका हुआ, मौके पर रेलवे स्टेशन के निकट होने के कारण ओपरा हाउस के पास भी भीड़ लगी थी, फिर सात बजकर छह मिनट पर मध्य मुंबई के दादर बस स्टेशन पर भी धमाका सुनाई पड़ी। तीनों घटना स्थलों पर भयंकर आग लगी और समूचे शहर में दशहत मच गयी और यातायात भी बुरी तरह ठप्प हो गयी तथा मोबाइल संचार एक बार टूट गया। विस्फोट घटना से निपटने के लिए मुंबई पुलिस तुरंत हरकत में आयी, पुलिसकर्मी फटाफट घटना स्थलों पर पहुंचे और स्थिति को नियंत्रण में रखने के कदम उठाए एवं हताहतों को बचाने का काम शुरू किया. दमकल दस्ते ने भी घटना स्थलों पर पहुंचकर आग बुझायी। बाद की जांच पड़ताल से पता चला है कि सिलसिलेवार विस्फोट प्रचलित सरल विस्फोटकों से कराया गया था। तमाम जख्मियों को अस्पतालों में पहुंचाया गया और कुछों की हालत गंभीर बतायी गयी है।

विस्फोटों के बाद भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने अपने अपने वक्तव्य में आतंकी हमले की कड़ी निन्दा की और कहा कि केन्द्र सरकार मुंबई को हर तरह की सहायता देगी। श्री सिंह ने भारतियों से शांत रहने तथा एकजुट होकर आतंकवाद का सामना करने की अपील की। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान ने भी घटना के तुरंत बाद प्रतिक्रिया की, पाक राष्ट्रपति असिफ अली जरदारी और प्रधान मंत्री रजा गिलानी ने पाक विदेश मंत्रालय के माध्यम से वक्तव्य जारी कर कहा कि हम पाक सरकार व जनता की ओर से मुंबई में हुए आतंकी हमलों की कड़ी निन्दा करते हैं और घायलों पर सहानुभूति जताते हैं और मृत्कों पर शोक मनाते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी 13 जुलाई को एक वक्तव्य में इस श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों की जबरदस्त भर्त्सना की।

भारतीय मीडिया के अनुसार गुप्तचर विभागों की जांच तथा तीन में से दो विस्फोट स्थलों के सीसीटीवी कैमरे के रिकार्डिंग से जाहिर है कि आतंकियों ने भीड़भाड़ वाले स्थलों में सरल शक्तिशाली देशी बमों का इस्तेमाल किया, यह तरीका  2008 को हुए मुंबई आतंकी हमलों से मिलता जुलता है, संभव है कि मौजूदा हमलों में भी लश्करे ताइबे और इंडियन मुजाहिद्दिन का हाथ हो। लेकिन घटना के समय मुंबई में बारिश हो रही थी, इसलिए जांच पुष्टि का काम बाधित हुआ।

2008 मुंबई हमलों के बाद भारत के विभिन्न स्थानों में सुरक्षा के इंतजाम कड़े कर दिए गए। भारत सरकार ने आतंकी हमलों से निपटने पर भी अभूतपूर्व बड़ा ध्यान दिया। 2008 के बाद भारत के बड़े बड़े शहरों में आतंकी हमलों और आतंकी विस्फोटों पर कुछ न कुछ अंकुश लग गयी है। मुंबई पुलिस का कहना है कि अभी विस्फोट रचने वाले बताने की कोई सबूत नहीं है।

विश्लेषकों का कहना है कि अपनी विशेष अन्तरराष्ट्रीय व घरेलू स्थिति होने के कारण भारत बराबर आतंकी संगठनों का निशाना बना रहता है। वर्तमान भारतीय सरकार यानी संप्रग सरकार ने सत्ता पर आने के बाद अमेरिका व पश्चिम की ओर मुख करने वाली नीति अपनायी, जिस का विरोध करने की आवाज भारत में कभी नहीं टूटी। इस साल के मई महीने में अल कायदा के सरगना बिन लादेन को अमेरिकी सेना के हाथों मारे जाने के बाद भारत सरकार में कुछ लोगों ने असीम खुशी प्रकट की और भारत सरकार ने भी अमेरिकी सेना की इस कार्यवाही का भरपूर समर्थन किया, इसके बाद भारतीय प्रधान मंत्री सिंह ने अफगानिस्तान की यात्रा की और इस क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी कार्यवाहियों को सहायता बढ़ाने का दावा किया। अमेरिका और पश्चिम की ओर इस प्रकार झुकने के रवैये का भी भारत में विरोध करने की शक्ति मौजूद है, भारत के कुछ राजनीतिक दलों और जन संगठनों का मानना है कि भारत सरकार को आतंक विरोधी मामले पर अमेरिका के पीछे पीछे नहीं चलना चाहिए। बिन लादेन की मृत्यु के बाद कुछ भारतीय मीडिया संस्थाओं ने अपनी समीक्षाओं में कहा था कि इतिहास और भौगोलित स्थिति के नजरिए से भारत और अमेरिका दो अलग थलग वाले देश हैं, आतंक विरोधी सवाल पर भारत को अमेरिका के पीछे नहीं चलना चाहिए, भारत को आतंकी शक्ति को सामान्य उग्र धार्मिक तत्वों से अलग कर रखना चाहिए, देश में सांप्रदायिक एकता बनाए रखने की भरसक कोशिश करनी चाहिए और इस संभावना से उच्च सतर्कता रखनी चाहिए कि भारत बिन लादेन के बाद अल कायदे के हमलों का लक्ष्य बन जाए।

वर्तमान में भारतीय पुलिस विस्फोट स्थलों की जांच करते हुए हमले रचने वालों की तलाश करने में लगी हुई है, वहीं दूसरी तरफ भारत सरकार जनता को ढाढस देते हुए घटना पर नियंत्रण करने की कोशिश में है, सरकार की ओर से हमले के शिकार घायलों को बचाने तथा सहायता देने और आतंकियों की तलाश करने का काम फिलहाल सुव्यवस्थित तौर पर चल रहा है।

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