श्वत पत्र के अनुसार चीन की केंद्रीय सरकार और तिब्बती सरकार तिब्बती संस्कृति के विकास और संरक्षण को भारी महत्व देती हैं।तिब्बती भाषा की पढाई,प्रयोग एवं विकास की कानूनी गारंटी होती है।तिब्बती भाषा चीन में ऐसी पहली अंतराष्ट्रीय मानकीकृत अल्पसंख्यक जातीय भाषा बन गई है,जो सूचना प्रौद्योगिकी के आधार पर यूनीकोड के रूप में सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकती है।
श्वेत पत्र कहता है कि केंद्र सरकार ने तिब्बत के विख्यात पोताला महल,रोबुलिनका पार्क और सागा मठ आदि मुख्य सांस्कृतिक अवशेषों के जीर्णोद्धार में 1 अरब 45 करोड़ य्वान की धनराशि लगाई है।तिबब्त की परंपरागत हस्तकला,लोक ललितकला और स्थानीय आँपेरा जैसे 76 सांस्कृतिक मुद्दों को राष्ट्रीय संरक्षण प्राप्त अभौतिक सांस्कृतिक विरासतों की सूची में शामिल किया गया है।
श्वेत पत्र के अनुसार तिब्बत में धर्म और धार्मिक समुदाय सब बराबर हैं।तिब्बती बौद्ध धर्म की जीवित बुद्ध के अवतार की व्यवस्था का पूरे सम्मान से पालन किया जा रहा है।मठों में बौद्ध सूत्रों का पाठ करने,बौद्ध सूत्रों पर प्रवचन देने,मुंडन करवाने,बौद्ध-भिक्षुओं का अभिषेक करने और ध्यान लगाने आदि परंपराएं भी सामान्य रूप से जारी है।तिब्बत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न जातियों के लोगों को धार्मिक विश्साव की पूरी स्वतंत्रता प्राप्त है।
वर्तमान समय में तिब्बत में कुल 1700 से भी अधिक धार्मिक केंद्र हैं और बौद्ध-भिक्षुओं की संख्या कोई 46 हजार है।लोग स्वतंत्रता से हर तरह के धार्मिक आयोजनों में हिस्सा ले सकते हैं।