31 मार्च 2012 तक समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष में भारत का वित्तीय घाटा कुल जीडीपी का 5.4 प्रतिशत होगा। राजस्व की हानि और उँची सब्सीडी के कारण यह पहले के अनुमानित 5.1 प्रतिशत से ज्यादा होगा। मंगलवार को स्टैंडर्ड चार्टेड ने एक रिपोर्ट में यह बात कही।
इस वित्तीय वर्ष में भारत सरकार को सरकारी तेल कंपनियों से लगभग 1.2 ट्रिलियन रूपये के हानि होने का अनुमान है वहीं कच्चे तेल और रिफाइंड तेल पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क में कमी के कारण प्रति वर्ष 490 बिलियन रूपये की हानि होगी।
भारत सरकार ने कच्चे तेल पर शून्य से पाँच प्रतिशत तक का सीमा शुल्क कम करने का फैसला किया है वहीं पेट्रोलियम पर 2.5 प्रतिशत तथा डीजल पर 7.5 प्रतिशत सीमा शुल्क कम होगा।
तेल कंपनियों जो कि तेल उत्पाद बेचते हैं, को राहत देने के लिए डीजल पर प्रति लीटर 4.6रूपये से 2.1 रूपये तक का उत्पाद शुल्क कम किया जाएगा।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विनिवेश के बढ़ने और खर्च के बढ़ने से भी वित्तीय घाटा जी डी पी का 5.8 प्रतिशत पहुँच सकता है। सरकार ने यही अनुमान 4.6 प्रतिशत लगाया है।