चीनी प्रधान मंत्री वन च्यांपाओ ने 27 तारीख को लंदन में ब्रिटिश प्रधान मंत्री डेविद कैमरन के साथ वार्ता की।
वन च्यापाओ ने कहा कि वर्तमान काल में अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य बहुत पेजीदा है।चीन और ब्रिटेन के बीच कोई बड़ी रणनीतिक मुठभेड मौजूद नहीं है।विश्व में बड़ा प्रभाव डालने के कारण दोनों देशों के बीच समान हित मतभेदों से अधिक है।चीन-ब्रिटेन संबंधों को अच्छी तरह से रक्षित व विकसित करना द्विपक्षीय विकास को बढावा मिलने के लिए लाभदायक है और इस का विश्व ढांचे में बदलाव पर सकारात्मक असर भी हो सकता है।दोनों देशों को मौके का फायदा उठाकर सहयोग मजबूत करना चाहिए और चुनौतियों का साथ मिलकर मुकाबला करना चाहिए।
मानवाधिकार के सवाल पर वन च्यापाओ ने कहा कि चीन और ब्रिटेन को चाहिए कि वे एक दूसरे का सम्मान करें,तथ्यों का समादर करे,एक दूसरे से समान बर्ताव करें,वार्तालाव के जरिए मतभेदों को समुचित रूप से सुलझाए और द्विपक्षीय समझ बढाएं।
वनच्यापाओ ने कहा कि चीन और ब्रिटेन को 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार को 1 खरब अमरीकी डाँलर तक पहुंचाने का लक्ष्य पूरा करने में प्रयासरत रहना चाहिए।उन्होंने व्यापर व उद्योग से जुड़े ठोस मुद्दों,विज्ञान-तकनीक,वित्त,शिक्षा,संस्कृति और मीडिया आदि क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को लेकर सुझाव भी पेश किया।
ब्रितिश प्रधान मंत्री कैमरन ने कहा कि चीन के विकास से ब्रिटेन को सुअवसर मिला है।ब्रिटेन चीन के साथ आपसी सम्मान के आधार पर मानवाधिकार समेत कई पहलुओं पर वार्ता व सलाह-मशविरा करना चाहता है।उन्होंने वन च्यापाओ के चीन-ब्रिटेन सहयोग संबंधी सुझाव का समर्थन किया और उम्मीद जताई कि दोनों देश एक दूसरे के लिए अपने-अपने बाजार को और ज्यादा खोलेंगे,व्यापार,पूंजी-निवेश,उच्च विज्ञान व तकनीक,वित्तीय सेवा, आधारभूत सरंजामों के निर्माण,शिक्षा एवं संस्कृति जैसे क्षेत्रों में आदान-प्रदान व सहयोग बढाएंगे।ब्रिटेन अंतर्राष्ट्रीय मामलों में चीन के साथ संपर्क व समंवय को और अधिक मजूबती देने को तैयार है।
वन च्यापाओ और कैमरन ने जलवायु-परिवर्तन और दोहा दौर की वार्ता पर भी रायों का आदान-प्रदान किया।
वार्ता के बाद दोनों नेता चीन-ब्रिटेन सहयोग से जुड़े दस्तावेजों पर हस्ताक्षर की रस्म में विराजमान रहे और संवाददाताओं से भी मिले।