दोस्तो , 23 जून को अमरीका , फ्रांस और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने यह घोषित किया है कि उत्तर पूर्वी अफ्रीका की डावांडोल स्थिति से अंतर्राष्ट्रीय तेल आपूर्ति प्रभावित हुई है , बाजार सप्लाई को स्थिर बनाने के लिये तेज बाजार में रणनीतिक तेल भंडार लगाया जाय़ेगा । यह घोषणा घोषित किये जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय तेल दाम में उसी दिन भारी गिरावट आयी है , लंदन के उत्तर समुद्र के वायदे ब्रुंत कच्चे तेल दाम में भी 6 प्रतिशत से अधिक गिरावट आयी ।
अमरीकी ऊर्जा मंत्री स्टेवन चू ने उसी दिन एक वक्तव्य में कहा कि अमरीका बाजार सप्लाई को स्थिर बनाने के लिये बाजार में तीन करोड़ पीपे रणनीतिक तेल भंडार डाल देगा । अमरीका ने ऐसी स्थिति में यह फैसला कर लिया है , जबकि मध्य पूर्व , खासकर अस्थिर लीबियाई परिस्थिति से तेल उत्पादन में कटौती हुई है और विश्व आर्थिक पुनरुत्थान खतरे में पड़ गया है । वक्तव्य में कहा गया है कि अमरीका की निगाह बाजार पर टिकी हुई है , जरूरत पड़ने पर बाजार आपूर्ति को स्थिर बनाने के लिये और आवश्यक कदम उठा देगा । अमरीका के तीन करोड़ पीपों का यह रणनीतिक तेल भंडार बाजार में डाले जाने वाले कुल तेल भंडारण का आधा भाग बनता है । पेरिस स्थित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने उसी दिन अपने वक्तव्य में कहा है कि इस संस्था के 28 सदस्य देश संयुक्त कार्यवाही कर अपने रणनीतिक तेल भंडार का प्रयोग करने पर राजी हुए हैं और आगामी तीस दिनों के भीतर हर रोज औसतन 20 लाख पीपों का कच्चा तेल डाल देंगे । फ्रांस ने 23 जून को यह घोषित भी किया है कि वह अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के आहवान में आकर अपने उपभोक्ता अनुपात के अनुसार बाजार में करीब 32 लाख पीपों का रणनीतिक तेल भंडार रख देगा , ताकि बाजार सप्लाई को स्थिर बनाया जाये । लीबिया तेल निर्यातक संगठन का सदस्य है , उस का तेल उत्पादन सारी दुनिया के कुल तेल उत्पादन का दो प्रतिशत है , पर उथलपुथल स्थिति की वजह से लीबिया की तेल आपूर्ति बुनियादी तौर पर स्थगित हो गयी है । अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी का अनुमान है कि गत मई के अंत तक लीबिया की उथलपुथल स्थिति से अंतर्राष्ट्रीय हल्के कच्चे तेल की आपूर्ति में 13 करोड़ तीस लाख पीपे घट गये । अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि आपूर्ति व मांग के बीच फासला कम करने के लिये उक्त संयुक्त अभियान करने का फैसला किया गया है ।
यह कार्यवाही करने से पहले अमरीका में तेल भंडार के प्रयोग पर विचार विमर्श किये हुए कई महीने हो गये हैं । गत मार्च के शुरु में कुछ मीडिया ने यह रिपोर्ट दी है कि ओबामा सरकार रणनीतिक तेज भंडार का प्रयोग करने की सोच में है । ऊर्जा मंत्री स्टेवन चून ने पहले कहा था कि आपातकालीन तेल भंडार का प्रयोग करना नहीं चाहता और बाजार की शक्ति के सहारे संकट का सामना करने पर आशा बांधे हुए है । पर अमरीकी आर्थिक वृद्धि गति धीमी होने के चलते स्टेवन चून ने यह मान लिया है कि आपातकालीन तेल भंडार के प्रयोग से इनकार नहीं किया जा सकता । स्टेवन चून ने उसी दिन जारी वक्तव्य में बताया कि जुलाई व अगस्त में अमरीका की परम्परागत ऊर्जा की खपत शिखर पर है , इसी वक्त ऊर्जा भंडार डालने का सरकार का विकल्प बिलकुल उचित है । बेशक , यह विकल्प अंतराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के संयुक्त अभियान से संबंधित भी है । साथ ही तेल के ऊंचे दाम से अमरीकी अर्थतंत्र गम्भीर रुप से प्रभावित हुआ है । इस के पूर्व दिन अमरीकी फेडरल ने अमरीकी आर्थिक स्थिति और भविष्य का तिमाही मूल्यांकन किया और भविष्यवाणी भी की तथा चालू वार्षिक आर्थिक वृद्धि में 2.7 से 2.9 प्रतिशत तक बढ़ने का पूर्वानुमान लगाया , जो गत अप्रैल के अनुमान से 0.4 प्रतिशत कम है । अमरीका में रोजगार स्थिति भी बेहद गम्भीर है , गत मई में बेरोजगारी दर बढ़कर 9.1 प्रतिशत तक पहुंच गयी है , अमरीकी श्रमिक मंत्रालय द्वारा 23 जून को जारी नवीनतम रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले हफ्ते आवेदित बेरोजगारों की संख्या फिर बढ़ गयी , जो पूर्वानुमान से कही अधिक है । अमरीकी फेडरल ने जता दिया कि ऊंचा ऊर्जा दाम अमरीकी आर्थिक पुनरुत्थान को प्रभावित करने का एक महत्वपूर्ण तत्व ही है । वर्तमान अमरीकी रणनीतिक तेल भंडार कुल 72 करोड़ 70 लाख पीपे संरक्षित हैं , गत सदी में रणनीतिक तेल भंडार व्यवस्था की स्थापना के बाद मात्र दो बार इस तेल भंडार का प्रयोग किया गया । अमरीकी मीडिया का विचार है कि हालांकि वर्तमान अमरीकी अर्थतंत्र मंदी में है , ऊंचा तेल दाम इस के प्रमुख कारणों में से है , पर अमरीका का यह कदम फिर भी अप्रत्याशित है । मीडिया का मानना है कि यह तेल दाम को स्थिर बनाने का अंतिम कौशल है ।
पर इस अंतिम कौशल की भूमिका एकदम प्रकाश में आयी है , अमरीका की रणनीतिक तेल भंडार के प्रयोग की खबर जारी होते ही अंतर्राष्ट्रीय तेल का दाम तुरंत ही गिर पड़ा । उसी दिन न्युयार्क माल एक्सचेंज में अगस्त के वायदे हल्के कच्चे तेल का दाम 4.39 अमरीकी डालर गिर गया , जिस में 4.60 प्रतिशत की गिरावट आयी । स्टेंडर्ड चाटरेट बैंक के अर्थ शात्री का अनुमान है कि एक ही माह में 6 करोड़ पीपे तेल बाजार में डाले जाने से तेल का दाम अवश्य ही गिर जायेगा और अमरीकी तेल दाम भी कम होगा ।