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तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के पिछले 60 सालों में हुई उपलब्धियों का पेचिंग में प्रदर्शन
2011-06-20 17:40:55

दोस्तो , 60 वर्ष पहले 23 मई 1951 को चीनी केंद्रीय जन सरकार ने पूर्व तिब्बती स्थानीय सरकार के प्रतिनिधियों के साथ तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के उपाय के बारे में समझौता संपन्न किया। इस तरह तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति हुई । आज के तिब्बत में आर्थिक विकास , सामाजिक प्रगति , जातीय एकता और जन जीवन में बहुत विकास हुआ है । आजकल तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के साठ सालों में हुई उपलब्धियों की प्रदर्शनी पेइचिंग जातीय सांस्कृतिक भवन में लगी हुई है।

प्रदर्शनी हाल में कदम रखते ही बांस से बना एक बड़ा व सूक्ष्म शुभंकर बास्केट दिखाई देता है । उस के दाएं व बाएं दोनों तरफ पोटाला महल , नये समाजवादी गांवों के निर्माण और तिब्बत के तीन आयामी यातायात के बड़े आकार वाले चित्र लगे हुए हैं , जिस से तिब्बत की सुंदर छवि और शहरीकरण विकास का जीता जागता दृश्य दिखाई देता है ।

प्रदर्शनी की गाईड युचु का जन्म एक तिब्बती चरवाहे के परिवार में हुआ , आज के तिब्बत में हुए भारी परिवर्तन और प्राप्त उल्लेखनीय उपलब्धियों की चर्चा करते हुए वह अत्यंत उत्साहित है ।  उस का कहना है

शांतिपूर्ण मुक्ति के पिछले 60 सालों में तिब्बत की विभिन्न जातियों की जनता के जीवन में बड़ा परिवर्तन हुआ है । हम इन प्रदर्शित चित्रों में देख सकते हैं कि सुख व संतोष उन के खिले हुए चेहरों पर दिखाई देता है । यह प्रदर्शनी और अधिक लोगों को तिब्बत के बारे में जानकारी देने के लिये लगाई गई है , ताकि सभी के साथ मिलकर तिब्बत को और अधिक सुंदर बनाने करने के लिये प्रोत्साहन दिया जा सके । मुझे खुद अनुभव हुआ है कि तिब्बत में बड़ा बदलाव आया है , मैं ल्हासा में रहती हूं , पहले वहां कोई बड़ी दुकान नहीं थी , पर आज बड़े-बड़े डिपार्टमेंट स्टोर और प्रसिद्ध ब्रांड की दुकानें हर जगह देखने को मिलती हैं ।

पिछले 60 सालों में तिब्बत के आर्थिक व सामाजिक क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं । जन जीवन में बड़ा सुधार आया है । तिब्बत में सब से पहले कृषि कर माफ करने और अनिवार्य शिक्षा लागू करने व मुफ्त इलाज की नीति लागू की गयी। अब तिब्बती जनता अभूतपूर्व सुखी जीवन बिता रही है ।

युचु ही नहीं , पेइचिंग वासी मा छ्वी लिंग भी उन में से हैं , आज वह अपने सपरिवार के साथ यह प्रदर्शनी देखने आयी है । उस ने भावावेश में बताते हुए कहा मुझे भी गहरा अनुभव हुआ है , क्योंकि पहले मैं तिब्बत में काम करती थी । मैं सन 1965 में काम करने तिब्बत गयी । उस साल में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना हुई थी, तिब्बत विकास के प्रारम्भिक दौर में था । वहां की स्थिति बहुत शोचनीय थी , पर अब तिब्बत में सचमुच बड़ा परिवर्तन हुआ है , ल्हासा वासियों ने नये-नये मकान बनवा लिये हैं , जीवन स्थिति में बदलाव आया है ।

प्रदर्शनी में 500 से अधिक चित्रों , तीसेक वास्तविक वस्तुओं और तीस से अधिक नक्शों व ऐतिहासिक दस्तावेजों से तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति की शानदार प्रक्रिया पूर्ण रुप से दर्शायी गयी है और पिछले सालों में तिब्बत में हुए भारी परिवर्तन और तिब्बती जनता का सुखी जीवन और तिब्बत की विभिन्न जातीय जनता की एकता और सामंजस्यपूर्ण समाज की मानसिक सूरत अभिव्यक्त हुई है ।

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