इस्लामाबाद में आगामी 23 व 24 जून को होने वाली भारत व पाक विदेश सचिव स्तरीय वार्ता में परमाणु संबंधी विश्वास बहाली के उपायों की समीक्षा की जाएगी। भारतीय अख़बार द हिंदू ने सोमवार को इस संबंध में ख़बर जारी की है।
हालांकि, दोनों पक्षों को कश्मीर व आतंकवाद जैसे मुद्दों पर किसी बड़ी उपलब्धि हासिल होने की उम्मीद नहीं है, सरकारी सूत्रों के अनुसार वे लगातार बातचीत के ज़रिए एक-दूसरे के प्रति विश्वास की कमी दूर करने व विवादित मुद्दों को सुलझाने की दिशा में समझ कायम करना चाहते हैं।
इतिहास व संबंधों की जटिलता को देखते हुए भारत वार्ता से "यथार्थवादी" उम्मीद रखता है।
रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाल से लिखा गया है कि वार्ता एक प्रक्रिया है, हमें उससे निर्णय की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना है।
गौरतलब है कि हाल ही में दोनों देशों के युद्धपोतों के बीच हुए टकराव ने वार्ता के माहौल को कुछ तनावपूर्ण बना दिया है, लेकिन सूत्रों ने आगाह करते हुए कहा कि इसे उन्माद का रूप न दिया जाय। साथ ही कहा कि पाकिस्तानी युद्धपोतों ने पहले भी आक्रामक रवैया दिखाया था।
सूत्रों ने कहा, हमारे पास चर्चा करने के लिए बहुत मुद्दे हैं। हमें इन मसलों के बारे में अधिक नहीं सोचना चाहिए।
अधिकारियों ने यह भी सुझाव दिया कि यह घटना दोनों पक्षों के लिए प्रस्ताव को पुनर्जीवित करने व विश्वास बहाली के उपायों को बढ़ाने में उत्प्रेरक का काम कर सकती है।
इससे पहले भारत ने पिछले शनिवार को पाकिस्तान के उन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताते हुए खारिज किया, जिसमें उसने कहा कि अदन की खाड़ी में एक मालवाहक जहाज़ को सोमाली समुद्री लुटेरों से छ़ुड़ाने के दौरान भारतीय युद्धपोत द्वारा बाधित किया गया था।
यहां बता दें कि भारत व पाकिस्तान ने 2008 मुंबई आतंकी हमलों के बाद सभी तरह की बातचीत स्थगित करने के बाद एक साल पहले विदेश सचिव स्तरीय वार्ता फिर से शुरू की।
(हेमा)