शांगहाई सहयोग संगठन की दसवीं जयंती के उपलक्ष्य में संगठन का शिखर सम्मेलन 15 जून को कजाखस्तान की राजधानी आस्ताना में होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि शांगहाई सहयोग संगठन की स्थापना के बाद इस संगठन के विकास फार्मूले पर अन्तरराष्ट्रीय समाज का ध्यान लगातार बढ़ता जा रहा है।
शांगहाई सहयोग संगठन की स्थापना के बाद पिछले दस सालों के दौरान अन्तरराष्ट्री परिस्थिति में भारी परिवर्तन आया है, अन्तरराष्ट्रीय राजनीति में लोकतांत्रिकरण का रूझान बढ़ता जा रहा है। भावी दस सालों के रूझान का विश्लेषण करते हुए कजाखस्तान स्थित चीनी राजदूत चओ ली ने कहाः
भावी दस सालों में अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति जटिल बनी रहेगी, लेकिन अन्तरराष्ट्रीय मंच पर हरेक देश अपने अपने स्थान को ऊंचा उठाना चाहते हैं और वे शांतिपूर्ण व राजनीतिक तरीके से सभी प्रमुख व कठिन सवालों तथा आर्थिक सहयोग में उभरने वाले विवादों का निपटारा करने तथा बहुमत लोगों द्वारा नियम बनाने के पक्षधर हैं। मुझे लगता है कि ऐसी स्थिति 20वीं शताब्दी में सिर्फ एक अभिलाषा थी, किन्तु 21वीं शताब्दी में वह सच बन जाएगी और अगले दशक में साकार होगी।
राजदूत चोली ने कहा कि शांगहाई सहयोग संगठन ने शांति व राजनीति के तरीके से सभी विवादों को हल करने का जो रूख दिखाया है, वह अन्तरराष्ट्रीय समाज में वर्तमान हॉट पाइंटों व कठिन सवालों के समाधान को मदद दे सकता है। साथ ही वह क्षेत्रीय सुरक्षा व स्थिरता के लिए हितकारी होगा। किर्गिस्तान के प्रसिद्ध विश्लेषक श्री मासाउलोव ने कहा कि आने वाले दो दशकों में शांगहाई सहयोग संगठन में अन्तरराष्ट्रीय सवालों के समाधान व अन्तरराष्ट्रीय संबंधों के विकास के फार्मूले का उज्ज्वल भविषय होगा। संगठन की प्रेरणा से मध्य एशिया क्षेत्र सारी दुनिया में एक सुरक्षित इलाका बन जाएगा। इस पर उन्होंने कहाः
वर्तमान विश्व राजनीतिक केन्द्र एशिया-प्रशांत क्षेत्र की ओर बढ़ रहा है, शांगहाई सहयोग संगठन एशिया-प्रशांत देशों के हितों एवं मध्य एशियाई देशों की सुरक्षा की रक्षा करने वाला प्रभावकारी तंत्र बन जाएगा। शांगहाई सहयोग संगठन एक ऐसा मंच बन जाएगा, जिस के सहारे मध्य एशियाई देश अपने क्षेत्र को सारी दुनिया का सब से सुरक्षित इलाका बना देंगे। मध्य एशियाई देशों की कुल जनसंख्या 6 करोड़ से अधिक है, यदि रूस के साइब्रिया को शामिल किया गया तो इस क्षेत्र में निवेश व विकास होने की और बड़ी संभावना होगी। इस क्षेत्र का सहयोग समूचे एशिया-प्रशांत क्षेत्र की शांति व स्थिरता बढ़ा सकेगा। श्री मासाउलोव के विचार में अन्तरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में शांगहाई सहयोग संगठन का फार्मूले का विशाल भविषय है जो विश्व के प्रगतिशील विकास फार्मूलों में से एक है।
शांगहाई सहयोग संगठन की स्थापना के बाद पिछले दस सालों में संगठन के सदस्य देशों ने आर्थिक सहयोग व सुरक्षा के क्षेत्र में भारी उपलब्धियां हासिल की हैं, मानविकी क्षेत्र के सहयोग भी गहरे जा रहे हैं। वर्तमान में संगठन के ढांचे में चल रहे सहयोग बहुधा द्विपक्षीय सहयोग है, इस के बारे में विशेषज्ञों का सुझाव है कि संगठन को बहुपक्षीय विकास मुद्दों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। कजाखस्तान के राष्ट्रपति कोष के सुप्रसिद्ध विशेषज्ञ श्री तुलेसोव ने संगठन के बहुपक्षीय सहयोग के बारे में अपने सुझाव पेश करते हुए कहाः
विभिन्न देशों को एक ही मुद्दे में शक्ति केन्द्रित करना चाहिए और सदस्य देशों में समन्वय मजबूत करना चाहिए और सहयोग के विभिन्न मुद्दों के मूल्य को संवर्धित करना चाहिए।
श्री तुलेसोव ने कहा कि शांगहाई सहयोग संगठन के सदस्य देशों में आदान-प्रदान बढ़ाना चाहिए, केवल आदान-प्रदान से आपसी समझ और मैत्री गहरी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि आदान-प्रदान के साथ सहयोग बढ़ाना बहुत जरूरी है, खासकर प्रतिभा वर्गों के बीच आदान-प्रदान व सहयोग बढाया जाना चाहिए। विभिन्न देशों के विद्वानों, राजनीतिज्ञों, राजनयिकों एवं वाणिज्य जगत के लोगों में संपर्क बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। शांगहाई सहयोग संगठन को उन के संपर्क व आदान-प्रदान के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करना चाहिए, इससे सदस्य देशों में व्यापक सहमति प्राप्त होगी। इस के अलावा मानविकी क्षेत्र में आदान-प्रदान और सहयोग बढ़ाया जाना चाहिए और अनुसंधानकर्ताओं, कलाकारों और लेखकों में आवाजाही व विनिमय के ज्यादा मौके उपलब्ध कराये जाएंगे और विभिन्न देश मिलकर पुस्तकों को प्रकाशित कर सकेंगे।
श्री तुलेसोव ने कहा कि अभी बीते दस सालों का समय शांगहाई सहयोग संगठन के लिए सिर्फ एक शुरूआत है, इस के आधार पर और ऊंची रणनीतिक ऊंचाई और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से संगठन के विकास को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शांगहाई सहयोग संगठन बीस-तीस सालों के लिए गठित नहीं होगा, वह एक सदी या इस से भी लम्बी अवधि वाला संगठन होना चाहिए और अपने विकास फार्मूले के साथ अपना ऐतिहासिक मिशन पूरा करना चाहिए।