शांगहाई सहयोग संगठन की दसवीं जयंती पर संगठन का शिखर सम्मेलन कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में आयोजित हुआ। संगठन की स्थापना के बाद पिछले दस सालों में शांगहाई सहयोग संगठन हमेशा शांगहाई भावना पर कायम रहता है, जो उस की एक विशेष पहचान बन गयी है।
शांगहाई सहयोग संगठन की स्थापना वर्ष 2001 में हुई, चीन, रूस, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकस्तान संगठन के छह सदस्य हैं। छह देशों के द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तित शांगहाई भावना संगठन के विकास के लिए बुनियादी कार्यक्रम और निर्देशक सिद्धांत है। शांगहाई भावना में मुख्यतः आपसी विश्वास, आपसी लाभ, समानता, सलाह, विविध सभ्यताओं का सम्मान तथा साझा विकास निहित है। अपनी स्थापना के बाद पिछले दस सालों में शांगहाई भावना अन्तरराष्ट्रीय उतार चढाव में खरी उतरी है। कजाखस्तान स्थित चीनी राजदूत चो ली ने कहा कि पिछले दस सालों के दौरान अन्तरराष्ट्रीय स्थिति में भारी परिवर्तन आया है, जिससे निपटने में शांगहाई सहयोग संगठन कामयाब हुआ है। उन्हों ने कहाः
पिछले दस सालों में अन्तरराष्ट्रीय परिस्थिति में जटिल और गहरा परिवर्तन आया है, बड़े देशों के संबंधों तथा भू-राजनीतिक स्थिति में भी गहरा बदलाव आया। वर्ष 2001 में जब शांगहाई सहयोग संगठन स्थापित हुआ, तो उस समय अन्तरराष्ट्रीय समाज का ध्यान अन्तरराष्ट्रीकरण व वैश्विकरण, नयी न्यायोचित अन्तरराष्ट्रीय राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना, बल राजनीति विरोध, प्रभुत्ववाद विरोध, एकल धुरी वाद विरोध तथा आतंकवाद विरोध पर केन्द्रित था।
लेकिन दस साल बाद, संगठन के सामने बिलकुल अलग प्रकार की छटा है। ब्रिक्स देशों और जी-बीस गुट के उत्थान से बहुपक्षवाद और अन्तरराष्ट्रीय जीवन में आए लोकतंत्र ने लोगों के दिल में अपनी जड़ कस कर रखी है। इस के साथ वैश्विक प्रबंध सवाल एक नये विषय के रूप में उभरा है। राजदूत चो ली ने कहाः
विश्वव्यापी वित्तीय संकट के दौरान ब्रिक्स देश तेज गति से उभरे हैं। वैश्विक प्रबंधन का सवाल अन्तरराष्ट्रीय समाज के सामने आ खड़ा हुआ, खास कर वह बड़े देशों के बीच वार्ता का मुख्य विषय बन गया है. अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा व्यवस्था का सुधार विश्वव्यापी ध्यान का केन्द्र बन गया।
कजाखस्तान के राष्ट्रपति कोष के विश्व आर्थिक राजनीतिक अनुसंधान प्रतिष्ठान के प्रधान वलिखान.तुलेशोव ने कहा कि हालांकि पिछले दस सालों में अन्तरराष्ट्रीय स्थिति काफी बदली है, लेकिन शांगहाई सहयोग संगठन अडिग रूप से अपने विशेष विकास रास्ते पर आगे बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहाः
संगठन की स्थापना के आरंभिक समय में बहुत सारे पश्चिमी राजनीतिक विश्लेषकों और विद्वानों ने दावा किया था कि यह संगठन यूरोपीय संघ की ही तरह एक क्षेत्रीय संगठन रहेगा और अपने क्षेत्रीय ढांचे को बदलेगा। लेकिन तथ्यों से उन का दावा गलत साबित हुआ, क्योंकि शांगहाई सहयोग संगठन की विकास की अपनी पहचान संपन्न हुई है। श्री वलिखान ने कहा कि संगठन की स्थापना के कारण चीन और मध्य एशियाई देशों के संबंधों की दीर्घकालीन सुरक्षा व स्थिरता की गारंटी की गयी है। उन्होंने कहा कि संगठन की मुख्य सफलता यूरोशिया महाद्वीप की सुरक्षा में प्रतिबिंबित हुई है, जिस से युरोशिया के विभिन्न देशों की जनता में शांति व मित्रता का संचार हो गया, देशों के बीच सैनिक मुठभेड़ की अंदेशा मिट गयी और विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक व सामाजिक सहयोग बढ़ गया। अब यहां तनाव की स्थिति हमेशा के लिए खत्म हो गयी है।
वलिखान की नजर में पिछले दस सालों में शांगहाई सहयोग संगठन ने सुरक्षा व आर्थिक क्षेत्र में नयी नयी स्थिति खोली है, सदस्य देशों में सहयोग गहरा हुआ है और संगठन अन्तरराष्ट्रीय सहयोग का अच्छा मंच बन गया है। उन्हों ने कहाः
बीते दस सालों में शांगहाई सहयोग संगठन में भारी सफलता प्राप्त हुई है। संगठन ठंडे दिमाग से सोच विचार करते हुए सहयोग बढ़ाने, शांति के तरीके से समस्याओं का निपटारा करने, संयुक्त रूप से बाहरी खतरों का मुकाबला करने एवं एक दूसरे का सम्मान करने की प्रेरणा देता है। संगठन अपने दार्शनिक चिन्तन के साहरे नया नया आयाम खोलने जा रहा है। संगठन के सभी सदस्य देश वित्तीय संकट से सुभीतापूर्वक गुजरे हैं, इस का श्रेय चीन की तेज आर्थिक वृद्धि से मदद मिलने को जाता है। अब संगठन एक बहुपक्षीय शक्तिशाली संगठन के रूप में विकसित हो रहा है।
श्री वलिखान ने कहा, शांगहाई सहयोग संगठन की सफलता का श्रेय संगठन की अपनी मूल भावना को जाता है। शांगहाई भावना के मुताबिक संगठन हमेशा अपने विशेष विकास के फार्मूले पर कायम रहता है और आपसी सम्मान व शांतिपूर्ण रूप से अन्तरराष्ट्रीय सवालों का निपटारा करने की कोशिश करता है, इसी के कारण संगठन पर वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय समाज का ध्यान केन्द्रित हुआ है।