क्यों बीओस्फिअ संरक्षण क्षेत्र में पारिस्थिति का पर्यटन शुरू हुआ है?चीन की "मानव जाति व बीओस्फिअ"अंतर्राष्ट्रीय कमेटी के महासचिव वांग तिंग ने परिचय देते हुए कहा कि अधिकांश बीओस्फिअ संरक्षण क्षेत्र अर्थतंत्र के अपेक्षाकृत कम विकसित क्षेत्रों में स्थित है और वहां लोग भी रहते हैं। अगर पूरी तरह बन्द करके इस का प्रबंधन किया जाए, तो स्थानीय लोगों व बीओस्फिअ संरक्षण क्षेत्र के बीच अंतरविरोध व मुठभेड़ जरूर पैदा होगी। लेकिन"मानव जाति व बीओस्फिअ"योजना की स्थापना का लक्ष्य है कि विभिन्न माध्यमों से मुठभेड़ को दूर किया जाए।
श्री वांग तिंग ने कहा कि"मानव जाति व बीओस्फिअ"की धारणा है कि संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है और पहला काम भी। लेकिन संरक्षण करने के समय संरक्षण क्षेत्र के आसपास के क्षेत्रों में मानव जाति की कुछ समुचित कार्यवाहियां की जा सकती है, विशेषकर संरक्षण क्षेत्र में कुछ कार्यवाहियों का आयोजन करने में स्थानीय लोगों की सहायता लेनी चाहिए। जैसे, अगर कुछ लोगों को जलाऊ लकड़ी चाहिए तो वे पेड़ काटते हैं, तो संरक्षण क्षेत्र को तकनीक का आयात करके बायोगैस का उपयोग करने के लिए उन्हें पूंजी दी जा सकती है, और बाहर रोजगार पाने के लिए स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। इस तरह स्थानीय लोग संरक्षण क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने वाली कार्यवाही नहीं करेंगे।
संरक्षण व विकास एक विरोधाभास है। लेकिन पारिस्थितिकी पर्यटन की परिकल्पना पेश करने के बाद लोगों को विकास का सुअवसर मिला है। लक्ष्य भिन्न-भिन्न हैं, तो संरक्षण क्षेत्रों की प्रबंधन संस्थाओँ, स्थानीय सरकार, पर्यटन उद्योग के ऑपरेटरों तथा पर्यटकों की पारिस्थिति पर्यटन के बारे में जानकारी भी भिन्न-भिन्न है, जिससे यह कदम उठाने के दौरान बहुत कठिनाईयां मौजूद हैं।
पेइचिंग विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान कॉलेज के प्रोफेसर ल्यू च्यी ने जोर देते हुए कहा कि पारिस्थितिकी पर्यटन सिर्फ संरक्षण व विकास के बीच मुठभेड़ का समाधान करने का एक उपाय है। इसलिए यह अल्पमत लोगों की पसन्द वाला पर्यटन होना चाहिए और लम्बे समय तक किया जाने वाला तरीका होगा। वरना इस की गुणवता की गारंटी नहीं की जा सकती है और संरक्षण का लक्ष्य भी अवश्य साकार नहीं होगा।
स्थानीय संस्कृति की विविधता का संरक्षण वर्तमान में चीन के पर्यटन उद्योग के विकास का भी एक सवाल है। चीन में अनेक अल्पसंख्यक जातियों वाले क्षेत्रों की संस्कृति बहुत विविधतापूर्ण व विशेष है। अगर वहां पर्यटन उद्योग का विकास होता है, तो बाहरी दुनिया की मूल्य संकल्पना, उत्पादन का तरीका व माल के उत्पाद ऑपरेटर व पर्यटक वहां जाएंगे। तो स्थानीय संस्कृति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा। अगर संस्कृति की विविधता को नुकसान पहुंचा, तो उस के फिर एक बार स्थापित होने की संभावना नहीं है।
पेइचिंग विश्वविद्यालय के वातावरण विज्ञान व परियोजना कॉलेज की प्रोफेसर सुश्री ली वन चुन ने कहा कि अगर एक जाति अपने सांस्कृतिक वातावरण से बिदा लेती है, तो उस का जीवन बिताने व उत्पादन करने का तरीका भी धीरे-धीरे लुप्त हो जाएगा। सांस्कृतिक दृश्य सिर्फ एक पहलु है। और महत्वपूर्ण बात प्राकृतिक वातावरण व सांस्कृतिक वातावरण से जुड़ने की स्थिति है। अल्पसंख्यक जाति वाले क्षेत्रों को अपने विकास की क्षमता पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
पारिस्थितिकी पर्यटन के विकास के लिए लोगों की जागरूकता को उन्नत करना भी महत्वपूर्ण है। वर्तमान में लोगों के दिमाग में पारिस्थितिकी पर्यटन का अर्थ सिर्फ यह है कि पर्यटन स्थलों पर कचरा न फैलाया जाए । यह पारिस्थितिकी पर्यटन का सही अर्थ नहीं है। इसलिए इस उद्योग के कर्मचारियों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है।
युवा पर्वतारोही सुन बिन लम्बे समय से पहाड़ चढने, रॉक क्लाइम्बिंग व पर्वत यात्रा का संगठनात्मक काम करते हैं। उन का विचार है कि अब यह उद्योग सिर्फ प्रारंभिक चरण में स्थित है। उन्होंने कहा कि पूरे समाज को इस तरह की यात्रा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिली है। यह एक अच्छी बात नहीं है। क्योंकि लोगों को इस के बारे में जानकारी नहीं मिली, तो वे इस में नहीं भाग लेंगे। इसलिए इस उद्योग में ज्यादा आय भी नहीं होगी। आय नहीं है, तो प्रचार-प्रसार करने के लिए पैसा भी नहीं मिलेगा। यह हालत एक या दो दिन में नहीं बदलेगी। इस उद्योग की विशेषता है कि यह सिर्फ कुछेक लोगों को पसंद है। इसलिए वर्तमान में हम एक दूसरे को बता कर इस का प्रचार कर रहे हैं।
लोगों में जागरूकता लाना न सिर्फ संरक्षण क्षेत्रों में प्रवेश करने से पहले शुरू होना चाहिए ,अपितु इसे पर्यटन की योजना पेश करते समय शुरू होना चाहिए। यह पारिस्थितिकी पर्यटन का सही व महत्वपूर्ण अर्थ है।
पेइचिंग विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुश्री ली वन चुन ने कहा कि लोगों के लिए पारिस्थितिकी पर्यटन की धारणा व अनुभव दिल को छू सकते हैं। शायद पूरे जीवन में लोग इसे नहीं भूलेंगे। शायद यात्रा के बाद कुछ लोगों के जीवन में बदलाव भी आएगा। मुझे मालूम है कि अनेक लोग पारिस्थितिकी पर्यटन समाप्त करने के बाद अपना काम छोड़कर पारिस्थितिकी संरक्षण का काम करने लगे हैं। इसलिए यह उद्योग एक प्रशिक्षण भी है। इसलिए संरक्षण क्षेत्र पारिस्थितिकी पर्यटन का विकास कर सकता है।
थाईवान में रहने वाले श्री लाई फेंग च्यी ने पारिस्थितिकी पर्यटन से अपने जीवन की दिशा बदल ली। पहले उन्हें वाणिज्य क्षेत्र के विकास में सफलता मिली थी। एक साल में वे तीन बार गाड़ी बदलते थे । 40 साल की उम्र में पहली बार उन का पूरा जीवन बदल गया। उन्होंने उपने जिम्मेदारी देखने के बाद वातावरण संरक्षण का काम शुरू किया। श्री लाई फेंग च्यी ने कहा कि पारिस्थितिकी पर्यटन से लोगों का जीवन बदलने के लिए उच्च स्तरीय गाईड चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर गाईड लोगों को पारिस्थितिकी पर्यटन की गहन व सही रूप से जानकारी नही देता है, तो लोगों को कभी यह मालूम नहीं होगा कि एक रास्ते पर पारिस्थितिकी की स्थिति कैसी है?नदी में पानी स्थानीय वातावरण के संरक्षण के लिए क्यों बहुत महत्वपूर्ण है?इसलिए मानव जाति व प्राकृतिक वातावरण व संस्कृति के बीच संपर्क के लिए गाईड का काम जरूरी है, जिससे लोगों को संरक्षण क्षेत्र का मूल्य व अस्तित्व की आवश्यकताएं मालूम हो सकती हैं।
इस साल क्वांग सी च्वांग स्वायत्त प्रदेश का माऊएरशान प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र विश्व की "मानव जाति व बीओस्फिअ"योजना में शामिल होने के बाद अब इस योजना में चीन के सदस्य 29 हैं। इस के अलावा चीन में 142 संरक्षण क्षेत्रों से गठित बीओस्फिअ जाल भी है, जिससे आदान-प्रदान के लिए एक कारगर मंच स्थापित हो चुका है।
पारिस्थितिकी पर्यटन के सवाल पर चीन की "मानव जाति व बीओस्फिअ" योजना ने ली बो घोषणा पत्र जारी किया। इस घोषणा का विचार है कि वातावरण व पारिस्थितिकी के संरक्षण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, संस्कृति की विविधता का सम्मान व संरक्षण किया जाना चाहिए, पारिस्थितिकी की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए और स्थानीय लोगों के हितों की गारंटी की जानी चाहिए।
चीन की "मानव जाति व बीओस्फिअ"अंतर्राष्ट्रीय कमेटी के महासचिव वांग तिंग ने परिचय देते हुए कहा कि ली बो घोषणा पत्र कार्यक्रम का एक दस्तावेज बनेगा और चीन के बीओस्फिअ के पारिस्थिति संरक्षण क्षेत्रों में पारिस्थितिकी पर्यटन के निरंतर विकास का निर्देशन करेगा।