दसवां शांगरी-ला डाइअलॉग हाल ही में सिन्गापुर में समाप्त हुआ। वार्तालाप के पैमाने और भावी प्रभाव दोनों पहुलओं से यह प्रतिबिंबित हुआ है कि वर्तमान एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सुरक्षा जटिल स्थिति में है और यहां की सुरक्षा पर पूरे विश्व का ध्यान केन्द्रित है। इस में चीन अमेरिका संबंध क्षेत्र की सुरक्षा पर प्रभाव डालने का अहम तत्व है।
शांगरीला डाइअलॉग की शुरूआत 2002 से हुई, इस के बाद बीते दस सालों के विकास के परिणामस्वरूप इस डाइअलॉग का अभूतपूर्व विकास हुआ और एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा पर कायम विभिन्न वार्ता व्यवस्थाओं में से सब से बड़ी और बहुत से ऊंच स्तर की बहुपक्षीय वार्ता बन गया है, जिस का विश्व पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। मौजूदा डाइअलॉग में ब्रिटिश रक्षा मंत्री भी एक प्रतिनिधि मंडल को लेकर आए थे और फांस, जर्मनी और कनाडा ने भी अपने अपने वरिष्ठ अफसर भेजे थे, इस से जाहिर हुआ है कि एशिया-प्रशांत देशों के अलावा विश्व के अन्य क्षेत्रों व देशों ने भी इस वार्ता पर बड़ा ध्यान दिया है। विश्व राजनीतिक व आर्थिक ढांचे पर एशिया-प्रशांत का स्थान लगातार उभर रहा है और विश्व के अन्य क्षेत्रों व देशों के एशिया-प्रशांत के साथ संबंध भी सुदृढ होता जा रहा है। विश्व विकास व सुरक्षा पर एशिया-प्रशांत का प्रभाव निरंतर बढ़ता जा रहा है।
मौजूदा डाइअलॉग के मुख्य विषयों से साबित हुआ है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सामने सुरक्षा की अनेक चुनौतियां मौजूद हैं, जिन में कुछ पुरानी अनसुलझी समस्याएं हैं, जैसाकि सैन्य अवधारणा, रक्षा नीति, सैनिक खर्च, रणनीतिक विश्वास, प्रादेशिक समुद्रों पर विवाद और समुद्री सुरक्षा आदि, साथ ही इस क्षेत्र में नयी सुरक्षा समस्याएं भी हैं, जैसाकि अफगान स्थिति, कोरियाई नाभिकीय सवाल, दक्षिण चीन समुद्र समस्या, समुद्री लुटेरे और सीमापार मादक पदार्थ तस्करी इत्यादि। ये सवाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सामने चुनौतियों का एक भाग है, जबकि इस क्षेत्र से बाहर रहने वाले देशों के शामिल होने के कारण चुनौतियां और जटिल होंगी।
उल्लेखनीय है कि चीन अमेरिका संबंध एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए अहम है। मौजूदा डाइअलॉग में अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग में चीन की भूमिका वार्ता का एक विशेष विषय बनाया गया है, यह इस का प्रतीक है कि अधिकाधिक देश क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चीन की भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण समझते हैं और चीन के प्रति और अधिक अपेक्षा रखते हैं तथा सुरक्षा के बारे में चीन के अवधारणा, रूख, नीति और रूझान जानना चाहते हैं।
मौजूदा डाइअलॉग में चीनी रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांग ल्ये की उपस्थिति पर ज्यादा ध्यान दिया गया। उन के अलावा वार्ता में अमेरिकी रक्षा मंत्री रोबर्ट गेट्स पर भी लोगों का ध्यान जमा है। वार्तालाप में श्री गेट्स ने कहा कि अमेरिका एशिया-प्रशांत में अपनी फौजी मौजूदगी मजबूत करेगा और अपने मित्रों के साथ अपने वचनों का पालन करेगा तथा चीन के साथ सोफ्ट व हार्ड तौर पर वार्तालाप करेगा। चीनी रक्षा मंत्री ल्यांग ने चीन के रूखों पर प्रकाश डाला और अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग के बारे में चार सूत्रीय सिद्धांत पेश किए। एक शब्द में कहा जाए, तो एशिया-प्रशांत सुरक्षा के बारे में चीन और अमेरिका के मतभेद है, लेकिन सहयोग का विस्तार करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाना विभिन्न पक्षों और अन्तरराष्ट्रीय समाज का एक साझा लक्ष्य बन गया है।