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शांगरी-ला में विभिन्न देशों के रक्षा मंत्रियों की वार्ता
2011-06-03 16:17:39

एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सब से प्रभावकारी रक्षा व क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग व्यवस्था के रूप में तीन दिवसीय दसवीं शांगरी-ला डाइअलॉग तीन जून से सिन्गापुर में शुरू हुई। वार्तालाप के आयोजक, लंदन में स्थित अन्तरराष्ट्रीय रणनीति अनुसंधान प्रतिष्ठान ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौजूदा वार्तालाप इस डाइअलॉग के शुरू होने के बाद सब से उच्च स्तर का सम्मेलन होगा, जिस में 27 देशों व इलाकों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की पुष्टि की गयी है।

शांगरी-ला डाइअलॉग के आयोजक ने अपनी वेबसाइट में यह बताया कि मौजूदा वार्तालाप के कुल छह थीम मंच हैं जो एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा के लिए नयी चुनौति, एशिया की नयी सामरिक अवधारणा और कार्यक्षमता, एशिया की नयी शक्तियों के फैलाव व उन के महत्व, अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा में चीन के सहयोग, समुद्री सुरक्षा के लिए नये खतरे से निपटने तथा रणनीतिक विश्वास की स्थापना के शीर्षक पर होंगे। विभिन्न खुले मंचों के अंतराल में वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों की बंद द्वार वाली बैठकें भी होंगी, जिन में क्षेत्र के विभिन्न देशों के सैनिक बजटों व निर्माण, नाभिकीय तकनीकी विकास, सीमा विवाद तथा सीमापार सुरक्षा चुनौति पर विचार विमर्श होगा।

चीनी स्टेट काउंसलर व रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांगल्ये शांगरी-ला डाइअलॉग में भाग लेंगे, यह पहली बार है कि चीनी रक्षा मंत्री इस प्रकार के वार्तालाप में हिस्सा ले रहे हैं और चीनी प्रतिनिधि मंडल भी इस डाइअलॉग के लिए भेजा जाने वाला उच्चतम स्तरीय प्रतिनिधि मंडल है। चीनी रक्षा मंत्री वार्तालाप में भाषण देंगे और अन्तरराष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग के बारे में चीन की विचारधारा, सुझावों तथा कामकाज पर प्रकाश डालेंगे। वार्तालाप के दौरान श्री ल्यांग क्वांगल्ये कुछ अन्य देशों के रक्षा विभागों व सेनाओं के नेताओं के साथ भी बातचीत करेंगे।

शांगरी-ला डाइअलॉग वर्ष 2002 से अपनी स्थापना के बाद सिन्गापुर के शांगरी-ला होटल में आयोजित करती आयी है। वर्ष 2007 के बाद चीन हर साल इस में अपने वरिष्ठ रक्षा अधिकारी भेजता रहता है।

सूत्रों के अनुसार डाइअलॉग के दौरान चीनी रक्षा मंत्री ल्यांग क्वांगल्ये अमेरिकी रक्षा मंत्री रोबर्ट गेट्स के साथ वार्ता करेंगे, जोकि चीन और अमेरिका के बीच तीसरे दौर की रणनीतिक व आर्थिक वार्ता तथा चीनी जन मुक्ति सेना के चीफ ऑफ जनरल स्टाफ छन बिंगते की अमेरिका यात्रा के बाद एक ही महीने के भीतर चीनी व अमेरिकी उच्च स्तरीय रक्षा अधिकारियों के बीच तीसरी वार्ता होगी। इसलिए चीन और अमेरिका के बीच रक्षा के क्षेत्र में आदान-प्रदान व सहयोग बहुत से देशों की मीडिया के लिए कवरेज के मुख्य विषय बन गए। चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रेस प्रवक्ता ने हाल ही में कहा कि चीन हमेशा ईमानदारी और सक्रिय व रचनात्मक रूख के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग में भाग लेता आया है और शांगरी-ला डाइअलॉग समेत विभिन्न किस्मों की बहुपक्षीय सुरक्षा वार्तालाप व्यवस्था पर महत्व देता है और आशा करता है कि वार्ता व संपर्क के जरिए आपसी विश्वास बढ़ जाएगा, समहतियों का विस्तार होगा तथा सहयोग बढाते हुए एशिया-प्रशांत शांति व स्थिरता को मिलकर बनाए रखा जा सकेगा।

अमेरिकी रक्षा मंत्री गेट्स ने 2 जून को वाइस आफ अमेरिका से बातचीत में कहा था कि वे अमेरिका व चीन के बीच वर्तमान में चल रही सुरक्षा सहयोग प्रक्रिया पर संतुष्ट हैं। वे मानते हैं कि दोनों देश इस क्षेत्र में और अधिक सहयोग कर सकेंगे। सिन्गापुर में दोनों पक्षों की वार्ता के लिए श्री गेट्स ने कहा कि वर्तमान स्थिति में दोनों देशों को आगे वार्ता करने की निहायत जरूरत है, दोनों पक्ष अपनी अपनी चिंताओं पर रायों का आदान-प्रदान करेंगे तथा समाधान के तरीकों की सक्रिय खोज करेंगे, जिस में शांगरी-ला डाइअलॉग का मूल्य निहित होगा। अमेरिकी अखबार वॉलस्ट्रीट जनर्ल ने श्री गेट्स के हवाले से कहा कि अमेरिका चीन के प्रभाव के विस्तार को रोकने की कोशिश नहीं करेगा, चीन हजारों सालों से विश्व का बड़ा देश रहा है और भविष्य में भी वह विश्व का बड़ा देश होगा।

चीन अमेरिका वार्ता के अलावा एशिया में अमेरिकी शक्ति की आगे मौजूदगी का सवाल भी डाइअलॉग का एक बहुचर्चित मुद्दा है। यूं तो श्री गेट्स जून के महीने में अपना पद छोड़ने जा रहे हैं, फिर भी उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री के रूप में वे अंतिम बार डाइअलॉग में उपस्थित होंगे और अपने एशियाई मित्रों को वचन देंगे कि हालांकि वर्तमान में अमेरिका के सामने वित्तीय समस्याएं मौजूद हैं, तो भी उस के और एशियाई मित्रों के बीच साझेदार का संबंध नहीं बदलेगा और अमेरिकी सेना एशिया में अपनी प्रबल मौजूदगी बनाए रखने को तैयार है।

चीनी व अमेरिकी रक्षा मंत्री के अलावा मलेशिया के प्रधान मंत्री, जापान के रक्षा मंत्री, रूस के प्रतिरक्षा व सुरक्षा मामले के जिम्मेवार प्रथम उप प्रधान मंत्री, भारत के रक्षा मामले के जिम्मेदार राज्य मंत्री पालम राजु तथा दक्षिण कोरिया, ओस्ट्रेलिया, सिन्गापुर एवं इंडोनिशिया आदि के रक्षा मंत्री उपस्थित हैं और ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी तथा कनाडा ने भी अपने वरिष्ठ अफसर भेजे हैं।

लोकमतों का कहना है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के अन्तर्देशीय रक्षा आदान प्रदान व सहयोग के उच्च स्तरीय मंच के रूप में शांगरी-ला डाइअलॉग की मौजूदगी से नए काल में एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बहुरूपों के सुरक्षा खतरों से निपटने तथा सुरक्षा संबंधों के निपटारे में उस की नयी आवश्यकता प्रतिबिंबित हुई है।

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