हाल की एक अवधि में नाटो ने सैनिक, राजनीतिक और कुटनीतिक तौर पर लीबिया की गद्दाफी सत्ता पर अपना दबाव बढ़ाया और गद्दाफी को कम समय के भीतर सत्ता छोड़ने पर मजबूर करने की हरचंद कोशिश की। पहली जून को नाटो ने लीबिया के खिलाफ अपनी सैन्य कार्यवाहियों को 90 दिन बढ़ाने का फिर फैसला किया । इस बीच गद्दाफी प्रशासन के अनेक वरिष्ठ अधिकारियों और सेना के अफसरों के गद्दाफी के साथ गद्दारी कर फरार होने की खबरें भी सुनने को मिलीं और तेल मंत्री मोहम्मेद घानिम के इटाली में भाग पहुंचने की खबर की भी पुष्टि की गयी है।
नाटो के 28 सदस्य देशों और लीबिया के विरूद्ध नाटो की सैनिक कार्यवाही में शरीक अन्य पांच गैर नाटो देशों ने पहली जून को ब्रुसेल्स में लीबिया पर हवाई हमलों को फिर 90 दिन बढाने का फैसला किया है। नाटो के महासचिव रासमुसन ने उसी दिन अपने एक वक्तव्य में कहा कि सैनिक कार्यवाहियों की अवधि बढ़ाने के निर्णय के जरिए लीबिया के गद्दाफी प्रशासन को यह स्पष्ट संदेश भेजा जाएगा कि नाटो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के आदेशानुसार लीबिया की जनता की दृढ रक्षा करेगा और गद्दाफी पर दबाव बढ़ा देगा। वक्तव्य में यह भी कहा गया है कि नाटो का फैसला लीबियाई जनता को प्रेषित एक स्पष्ट संकेत भी है कि नाटो और अन्तरराष्ट्रीय समाज हमेशा लीबियाइयों के पक्ष में खड़े रहेंगे। मार्च के अंत में अमेरिका से लीबिया पर हवाई हमले की कमान ले लेने के बाद नाटो ने 90 दिनों के भीतर यानिकी 27 जून तक हमले की योजना बनायी थी, लेकिन अब इसे फिर 90 दिन बढ़ाया गया जिस का मतलब है कि लीबिया के खिलाफ नाटो की फौजी कार्रवाइयां 27 सितम्बर तक जारी रहेगी।
नाटो ने अपने इस फैसले को गद्दाफी पर और बड़ा दबाव बढ़ाने को कहा है, किन्तु लोकमतों का मानना है कि नाटो को अपनी पहले की कार्यवाहियों में अपेक्षित नतीजा नहीं मिल पाने के कारण मजबूर होकर यह फैसला लेना पड़ा है। विगत 31 मार्च को नाटो ने अमेरिका के हाथ से लीबिया पर हवाई हमले की कमान ले ली और लीबिया को हथियारों की सप्लाई पर प्रतिबंध लगाने तथा नॉ फ्लाई जोन कायम करने का भार संभाला। इधर के दिनों में नाटो ने लीबिया पर हवाई हमलों का जोर भी बढ़ाया, नाटो के द्वारा जारी सूचनाओं के मुताबिक पहली जून तक नाटो और उस के मित्र देशों ने कुल मिलाकर लड़ाकू विमानों की 9183 उड़ानें भरीं, जिन में से 3489 उड़ानें सीधे हवाई हमलों केलिए थीं। मई की 31 तारीख को ही हवाई हमले के लिए 147 धावे किए गए थे और त्रिपोली के निकट तीन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल लंचरों को तबाह कर दिया गया था। तिस पर भी गद्दाफी को गद्दी से धकेल देने की नाटो की कोशिश कामयाब नहीं हुई। लीबिया सरकार के प्रवक्ता मोसा इब्राहिम ने 31 मई को त्रिपोली में कहा कि गद्दाफी न सत्ता का बागडोर छोड़ देंगे, न ही विदेश में निर्वासित होंगे। उन्हों ने इस खबर से भी इनकार किया कि दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति जुमा की त्रिपोली यात्रा के दौरान गद्दाफी के साथ हुई वार्ता में गद्दाफी के हट जाने की रणनीति की भी चर्चा हुई है। चूंकि नाटो की पूर्व योजना के तहत 90 दिन की युद्ध की अवधि सीमा समाप्त होने वाली है, फिर भी युद्ध की स्थिति मूलतः नहीं बदली और युद्ध कब समाप्त होगा, वह कहना भी मुश्किल है, ऐसे में नाटो को अपनी सैनिक कार्यवाहियों की अवधि बढ़ानी पड़ी। विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान में लीबिया पर हवाई हमले का नतीजा अधर में रह गया, और लगता है कि सिर्फ हवाई हमलों के जरिए गद्दाफी को पद से नीचे लाना भी नामुम्किन है।
यद्यपि नाटो के हमलों से अभी तक गद्दाफी सत्ता का पतन नहीं हुआ, तथापि हमलों के दबाव में आकर गद्दाफी के अनेक वरिष्ठ अफसरों ने उन के साथ गद्दारी की है। संबंधिक रिपोर्टों के अनुसार लीबिया के तेल मंत्री घानिम के इटाली में भाग पहुंचने की पुष्टि की गयी है। मई के मध्य में अनेक मीडिया ने यह खबर दी थी कि लीबिया के तेल मंत्री, लीबियाई राष्ट्रीय तेल कंपनी के डायरेक्टर घानिम फरार होकर ट्युनिशिया में पहुंचा, इस के बाद अरब लीग स्थित लीबियाई पूर्व प्रतिनिधि हुनि ने भी इस की पुष्टि की कि घानिम ने अपना सरकारी पद छोड़ा है, लेकिन उसने औपचारिक ऐलान नहीं किया। पहली जून को घानिम इटाली की राजधानी रोम में संवाददाताओं से मिले और उस ने अपने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि उसने इसलिए अपना पद छोड़ा है, क्योंकि वर्तमान लीबिया में हो रही विभिन्न हिंसक मुठभेड़ उस के लिए असहनीय है। घानिम ने यह आशा भी प्रकट की कि लीबिया की मुठभेड़ों और गद्दाफी मसले का शांतिपूर्ण ढंग से समाधान होगा। इस के अलाना घानिम ने यह भी बताया कि व्यापार पर अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबंध से लीबिया का तेल निर्यात ठप्प पड़ा है, वर्तमान में लीबिया में तेल का उत्पादन तरीबन बंद हो गया है।