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सान छिंग शान की सैर
2011-05-09 16:46:13

पिछले कार्यक्रम में मैनें आपको लुंग हू शान की सैर करायी थी। च्यांग शी प्रांत में लुंग हू शान के अलावा एक और महत्वपूर्ण पर्वत है जिसका नाम सान छिंग शान है। अब तक आपको भी पता चल ही गया होगा की चीनी भाषा में शान का अर्थ पहाड़ या पर्वत होता है। तो चलिए आज आपको सान छिंग शान की सैर कराते हैं।

सान छिंग शान च्यांग शी प्रांत के उत्तर-पूर्व में सांग राओ शहर से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ पर लगभग 2500 प्रजातियों के पेड़ पाए जाते हैं जिनका मुख्य रूप से औषधि बनाने में उपयोग किया जाता है। वर्ष 2005 में इसे राष्ट्रीय वन घोषित किया गया और 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज संगठन के 32 वें अधिवेशन में विश्व विरासत स्थल की सूची में स्थान दिया गया। इस तरह यह चीन का साँतवां और चियांग शी प्रांत का पहला विश्व विरासत सूची में स्थान पाने वाला जगह बन गया। इस पहाड़ की सबसे उँची चोटी लगभग 1817 मीटर उँची है जिसका नाम यू चिंग चोटी है। 90 के दशक से पहले इस पहाड़ पर चढना बहुत मुश्किल था, लेकिन वर्ष 1995 से केबल कार के शुरूआत होने से यहाँ की चढ़ाई बहुत आसान हो गई है। केबल कार के द्वारा पर्यटकों को लगभग 1600 मीटर की उँचाई तक ले जाया जाता है, उसके बाद की चढ़ाई कंक्रीट से बने रास्ते पर किया जाता है। इस पूरे क्षेत्र में नौ प्राकृतिक परिदृश्य क्षेत्र और दस महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल हैं।

इस पहाड़ का नाम सान छिंग शान कैसे पड़ा, इसके बारे में एक कहानी है। जब हमने वहीं पर कार्यरत पर्यटन विकास विभाग के अधिकारी ली हुआ से बात की तो उन्होनें कहा

सान छिंग शान की तीन चोटियाँ शु चिंग फंग, यु श्वी चोटी और शु ह्वा चोटी ऐसा लगता है जैसे ताओ धर्म के तीन सर्वोच्च देवता शु छिंग, शान छिंग और थाय छिंग के तरह हों। इसलिए इस पहाड़ का नाम सान छिंग शान कहा जाता है। इसके नाम से भी पता चलता है कि यह पहाड़ ताओ धर्म का ऐतिहासिक और सबसे पवित्र पहाड़ है। इसका इतिहास लगभग चिन राजवंश के समकालीन है। कई इतिहासकारों के द्वारा इस पहाड़ को ताओ धर्म के संग्रहालय का नाम भी दिया गया है। इसके उत्तर में जहाँ प्राकृतिक छटाएं फैली हुई हैं वहीं दक्षिण में ताओ धर्म से जुड़े अवशेष हैं। सूर्योदय देखने के लिए युन थाय सबसे अच्छा जगह है।

केबल कार की लगभग 20 मिनट की सवारी के बाद शुरू होती है कंक्रीट से बनी चढ़ाई। अगर आप चाहें तो केबल कार के बिना भी पहाड़ पर चढ़ाई कर सकते हैं, लेकिन उसके लिए आपको पहाड़ की उँची-नीची और संकरी रास्ते पर चलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। केबल कार से उतरने के बाद वहाँ पर चलने में असमर्थ या वृद्ध व्यक्तियों के लिए पालकी की भी व्यवस्था है। एक पालकी पर एक आदमी बैठता है और उसे दो आदमी मिलकर ढ़ोते हैं। वहीं पर जब हमने उनसे बात की तो उन्होनें कहा

कुछ सालों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हमलोग एक दिन में कम से कम एक बार और ज्यादा से ज्यादा तीन बार पर्यटकों को उपर ले जाते हैं। हमलोग एक सप्ताह के अंतराल पर काम करते हैं। एक बार उपर जाने का लगभग 200 युवान के आसपास लगता है।

यहाँ से थोड़ी ही दूर पर आपको दो पहाड़ की चोटी दिखाई देगी। जिसमें एक पहाड़ का नाम दरियाई घोड़ा पहाड़ है और दूसरे का नाम लाओ त्स चंद्रमा की पूजा करते हुए। दरियाई घोड़ा पहाड़ भौगोलिक और मौसम के फलस्वरूप एक विचित्र आकार में ढ़ल गया है। दूर से देखने पर यह पहाड़ दरियाई घोड़ा के नाक की तरह दिखता है, इसीलिए इस पहाड़ का नाम दरियाई घोड़ा पहाड़ पड़ गया। इसी पहाड़ के सटे लगभग 30 मीटर उँचा और 20 मीटर चौड़ा एक और पहाड़ है। इस पहाड़ की चोटी मनुष्य के आकार से मिलती-जुलती है। ऐसा लगता है जैसे कोई आदमी पहाड़ की चोटी पर बैठा चंद्रमा की पूजा कर रहा हो। इसलिए लोगों के जुबान पर यह कहानी बन गई कि ताओ धर्म के गुरू लाओ त्स यहाँ बैठकर चंद्रमा की पूजा करते हैं। तब से ही इस पहाड़ का नाम लाओ त्स चंद्रमा की पूजा करते हुए पड़ गया। सान छिंग शान के पहाड़ो की एक विशेषता है कि यहाँ का पहाड़ सीधा होता है।

यहाँ पर दो ऐसे पहाड़ भी हैं जो दिखने में बिल्कुल खड़ावँ के निशान जैसे लगते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस पहाड़ पर बहुत सारे देवी-देवताओं का निवास स्थान था। उन्हीं में से एक देवी इस पहाड़ पर उतरी थी, इसलिए यहाँ पर दो पहाड़ बिल्कुल सटे-सटे हैं जिनके बीच थोड़ी खाली जगह भी है। यह दिखने में ऐसा लगता है जैसे किसी ने दो खड़ावं छोडं दिए हों। यही कारण है कि इस पहाड़ को देवी का पदचिन्ह पहाड़ भी कहा जाता है। इस पहाड़ को देखने के बाद आपको रामायण के पात्र भरत की याद आ जाएगी, जो राम की याद में चौदह वर्षों तक उनके खड़ावं की पूजा करते रहे।

कुछ दूर आगे जाने पर आपको पहाड़ की चोटी पर बैठे हुए दो लोग दिखाई देंगे। जी हाँ आप सोच रहे होगें कि पहाड़ की चोटी पर दो लोग क्या कर रहे होंगे। इस पहाड़ की चोटी मनुष्य के आकार की है। ऐसा लगता है जैसे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को किसी चीज के बारे में बता रहा हो। इस पहाड़ के बारे में ऐसी कहानी भी प्रचलित है कि लाओ त्स जो कि ताओ धर्म के संस्थापक भी कहे जाते हैं, वे जब इस पहाड़ की चोटी पर चिंतन कर रहे थे तभी उनके शिष्य च्वांग त्स उनसे शिक्षा लेने गए। इसलिए इस पहाड़ पर दो मनुष्यों की आकृति बन गई, और कहा जाता है कि लाओ त्स च्वांग त्स को उपदेश दे रहे हैं।

पहाड़ पर जगह-जगह प्लेटफॉर्म बने हुए हैं, जहाँ पर आप कुछ देर के लिए आराम कर सकते हैं और वहीं से प्रकृति के विभिन्न रंगों का अवलोकन भी कर सकते हैं। सान छिंग शान पहाड़ पर वसंत के मौसम में आने वाले पर्यटकों की संख्या ज्यादा होती है। वैसे तो यहाँ पर हरेक मौसम में लोगों का ताँता लगा रहता है लेकिन वसंत के मौसम की बात ही अलग होती है। वसंत में यहाँ पर पेड़ों पर हरियाली के साथ-साथ नये-नये कोपलें भी दिखने को मिलेगी। एक तरफ जहाँ पेड़ों पर नयी पत्तियाँ निकलती है, वहीं दूसरी तरफ पत्ते लाल होकर पेड़ों से झड़ते हैं। इस मौसम में यहाँ आपको कहीं पेड़ों से पत्ते झड़ते हुए नजर आएंगे तो कहीं पेड़ों पर नये पत्ते निकलते हुए दिखेंगे। वहीं हमने एक पर्यटक से पूछा तो उन्होनें कहा

मैं ह पेई प्रांत के पाओ तिंग शहर का रहने वाला हूँ। यहाँ मैं पहली बार आया हूँ और यहाँ का मौसम बहुत अच्छा है। हवा बहुत स्वच्छ है और चारों तरफ हरियाली ही हरियाली है।

यहाँ पर जगह-जगह प्लेटफॉर्म पर कुछ लोग आपको खाने-पिने के सामान के साथ-साथ उपहार की वस्तुएं भी बेचते हुए दिख जाएंगे। यहाँ पर सबसे दिलचस्प चीज यहाँ का स्थानीय भोजन है। इसी पहाड़ पर एक बहुत बड़ा होटल है जहाँ आप यहाँ के स्थानीय व्यंजन का जायका ले सकते हैं। यहाँ के स्थानीय व्यंजन की चर्चा करते हुए ली ह्वा जी ने कहा

सान छिंग एक पहाड़ी इलाका है इसलिए यहाँ पर पहाड़ी खाद्य पदार्थ ज्यादा पाए जाते हैं, जैसे-बाँस का कोंपल, कुकुरमुत्ता आदी। लेकिन आज मैं आपलोगों को यहां के विशेष व्यंजन डंपलिंग से परिचय कराता हूँ। यह डंपलिंग शकरकंद से बना होता है। इसका आकार समोसे जैसा होता है लेकिन अंदर शकरकंद और कुछ मांस भरा होता है। इसे बनाना ज्यादा कठिन नहीं है, एक बार सिख लेने के बाद इसे घर पर भी बनाया जा सकता है।

यहाँ पर दोपहर के समय जब सभी लोग पहाड़ से निचे उतरते हैं तो उस समय भोजनालय में लोगों की भीड़ आपको सांस तक नहीं लेने देती है। एक टेबल पर लोग खा रहे होते हैं तो उसी टेबल के पास कुछ लोग इंतजार कर रहे होते हैं। अब यहाँ पर रात में ठहरने की भी व्यवस्था हो चुकी है। कुछ लोग यहां पर रूककर सूर्योदय और सूर्यास्त का मजा लेना चाहते हैं। यहाँ से सूर्योदय और सूर्योस्त देखने का अलग ही मजा है। सूर्योदय के समय ऐसा लगता है जैसे पहाड़ के पिछे से विशाल आग का गोला धिरे-धिरे उपर उठ रहा हो। वहीं सूर्यास्त के समय ऐसा प्रतित होता है जैसे सूर्य धिरे-धिरे पहाड़ के पिछे अपनी रोशनी को समेट रहा हो। इस रोशनी में पहाड़ की चोटी की सुंदरता तो देखते ही बनती है।

सान छिंग शान में बहुत सारे दर्शनीय स्थल हैं। इन सभी स्थलों के पिछे कोई न कोई ऐतिहासिक कहानी छुपी है। इन स्थलों में एक बहुत प्रसिद्ध स्थल है—देवी चोटी। प्राकृतिक और भौगोलिक कारणों से यह पहाड़ एक युवती की शक्ल में ढ़ल चुकी है। ऐसा लगता है जैसा एक युवती पहाड़ पर बैठी तपस्या में लीन हो। किसी भी कोने से देखने पर यह आपको एक युवती की तरह ही दिखेगी। यह चोटी यहाँ पर बहुत प्रसिद्ध है। कुछ लोग तो यहाँ आकर उनसे अपने खुशहाल जीवन की प्रार्थना भी करते हैं।

सान छिंग शान का पहाड़, पहाड़ों पर स्थित पेड़ और उन पेड़ों के बीच में पक्षियों का कलरव पर्यटकों को स्वर्गलोक की अनुभूति देता है। यहाँ पर ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने अपनी सारी सुंदरता यहां बिखेर दी हो। आशा है आपलोग भी इस पहाड़ की सैर कर यहाँ के आनंदमय वातावरण का लुत्फ जरूर लेंगे।

आपको यह कार्यक्रम कैसा लगा इसके बारे में हमें जरूर बताईए। अगले हफ्ते फिर मिलेंगे। तब तक के लिए धन्यवाद।

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