विश्व में कच्चे तेल और दूसरी वस्तुओं की बढ़ती कीमतें भारत के आर्थिक विकास के लिए खतरा है। सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई )के एक रिपोर्ट में यह बात कही गयी है।
आरबीआई ने इस साल के मौद्रिक नीति की समीक्षा में दुनिया में तेल और दूसरे वस्तुओं के दामों में वृद्धि के खतरे पर प्रकाश डाला।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विकास दर कम घटने का मुख्य कारण तेल के दाम में वृद्धि है, लेकिन वर्ष 2011-12 में जी डी पी की वृद्धि दर आकलन दर के आसपास रहने की संभावना है।भारत सरकार ने 2011 के वित्तीय वर्ष में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 8.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
सेंट्रल बैंक ने अनुमान लगाया है कि वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान मुद्रास्फिति में कमी आएगी लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों के दामों में वृद्धि के कारण सामान्य स्तर से उपर रहेगी।
हाल में निर्यात में वृद्धि होने से चालू खाता घाटा में संतुलन आया है लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर तेल की कीमत में वृद्धि जारी रहेगी तो इसके बढ़ने की संभावना है।
मंगलवार को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नये वित्तीय वर्ष में मौद्रिक नीती को सख्त बनाने की संभावना है।